Thursday 22 January 2015

ऐ जाट, तेरी चाल लोकतंत्र की रही है, निरंकुश तंत्र की नहीं, तो फिर क्यों भूला तू इसको?


कहने को तो जाट अपने आपको एंटी-ब्राह्मण कहलवाते आये, और इस बात में गर्व भी महसूस करते आये परन्तु फिर भी ब्रह्मिणों वाली वर्ण-जाति-नश्ल भेद की हरकतें करने से खुद को बचा नहीं पाये| अब ब्राह्मणों का तो ठहरा धंधा यानी आजीविका का साधन, परन्तु बहुतेरे मेरे ऐसे बावले जाट इसको यह समझ बैठे कि दलित या पिछड़ी जाति के की उसकी वर्ण-जाति-नश्ल के आधार पर आलोचना करने से वो और भी ऊँचे बन जायेंगे|

जबकि दलित से जितना रोटी-बेटी का नाता जाट निभाता आया है, इतना भारतीय इतिहास में किसी ने नहीं निभाया| ना यकीन हो तो यह देख लो; वैसे तो सारी खापलैंड उसमें भी जाट बहुल तो अधिकतर गाँवों में छत्तीस बिरादरी की लड़की को बेटी मानने की परम्परा जाट चलाता आया| दलित को अपने घर में नौकर रखता है फिर भी उसको नौकर नहीं कहता बल्कि सीरी-साझी यानी दुःख-सुख-काम-धंधे का पार्टनर कहता आया; यानी इंसानी सभ्यता का व्यवहारिक रूप जीवंत रखता आया| और तो और खेतों में रोटी-पानी जाता तो अधिकतर जाट और जो दलित उनके खेतों में काम कर रहा होता, दोनों एक साथ बैठ के, कई बार तो एक थाली में भी खाते आये|

पर यह दलित को अपने से अलग और कई मामलों में तो छोटा अथवा नीचा दिखाने का ब्राह्मणों वाला चस्का पता नहीं जाटों को कब से पड़ा| पर जो भी पड़ा, इस चस्के ने दलित की तो कमर तोड़ी ही तोड़ी, जाट की भी भ्यां बुला दी|

वो कैसे वो ऐसे, जाट नॉन-जाट की राजनीती फैला के इनसे राज छीनने वाले राज छीन ले गए और अपनी यह वर्ण-जाति-नश्ल भेद की बीमारी में जाटों को दलितों से उलझा दिया| इधर यह लोग उलझे रहे आपस में और उधर वो राज ले के फुर्र, इब लखाओ तीतर-बटेर बणे कूणों मह को, दोनों के दोनों|

अरे मेरे भोले जाट, जो वर्ण-जाति-नश्ल भेद के काम ब्राह्मणों के हैं वो ना तेरे खून में, और ना तू वो करता फबता ना सजता, तो क्यों ऐसी चाल चलनी, कि अपनी ही चाल भूल बैठणी? जाट को फिर से याद करना होगा कि तेरी चाल लोकतंत्र की रही है, निरंकुश तंत्र की नहीं|

आज भी जाट इस बात को समझ के अपनी दलित व् सहयोगी जातियों से इनको दूर करने वाले, जाट नॉन-जाट की राजनीती फैलाने वालों के विरुद्ध लामबंद होना व् बोलना शुरू कर लें तो बात फिर से संभल सकती है| और सिर्फ जाट-जाट क्यों, दलित भी आगे आ जाओ भाई, आखिरकार बहकावे में आ के छींटक के दूर तो आप भी गए हो|

वैसे खापें चाहें तो इस काम के लिए आगे बढ़ सकती हैं| राजनेता चाहें तो वो नई शुरुवात कर सकते हैं| पर जो भी हो अब यह जाट नॉन-जाट का जहर बोने वालों को ना तो बोल ही दो|

हरियाणा यौद्धेय उद्घोषम, मोर पताका: सुशोभम्!

शर्मिला टैगोर, करीना कपूर, गौरी छिब्बर, रीना दत्त, किरण राव:

शर्मिला टैगोर, करीना कपूर, गौरी छिब्बर, रीना दत्त, किरण राव:

न्यूं बता द्यो मैनै, इनमें तैं कुणसी तो जाटनी सै, अर जाटनी ना भी सै तो इनके जाटां बारे विचार के सैं| इनके विचार के सैं इस बारे तो मेरे को थाहरे को बताने की जरूरत ना, इनके कोई सी के भी आगे एक बार जाट का नाम ले के देख लो, इतनी नाक सिकोड़ेंगी जितनी तो गली का कचरा देख के ना सिकोड़ें कभी|

सच्चाई सामने है, यह पता है कि यह हैं कौन, फिर भी पूंजड़ जलवाने से जाटों को बाज नी आना| अरे अगली कम से कम जाटों का, जाटों की जाति का मन से आदर ही करती हों तो समझ भी आवे इन लव जिहादियों के खिलाफ नारे लगाने वालों की आवाज में आवाज मिलाना|

और ऊपर से एक अनुभव और बता दूँ, जब-जब जाट के किसी छोरे ने किसी ब्राह्मणी या हिन्दू पंजाबन से ब्याह करने की कही या प्यार की पींघें बढ़ानी चाही, 90% मामलों में लड़कियों की फैमिली ने रिजेक्ट किया या लड़कियों के जरिये करवाया | तो क्यों अपनी पूंजड़ जलवानी इनके पीछे?

हमें अपनी जिंदगी बनाने के लिए और काम भतेरे, कहीं खाद के कट्टे मिलते ना, कहीं भूमि अधिग्रहण बिल रुपी नाग से जमीनें बचानी हैं तो कहीं खापों के अस्तित्व की लड़ाइयां लड़नी हैं| और किसी तरीके से समझ ना आती हो, तो इसी से बता दो कि ये लव जिहाद के खिलाफ तुम्हें भड़काने वाले, तुम्हें खाद कट्टे दिलवाते हों, भूमि अधिग्रहण बिल को रुकवाते हों, या हमारी खापों पे ही भोंकने वालों को "खाप-जिहादी" कह उनको सबक सिखाते हों?

और तो और थारी खुद की लुगाई थानों में लाइन-हाजिर करवा राखी खाद के कट्टों की खातिर और तुम फिर भी यह सोचते हो कि इनकी बिगड़ीजादियों की हरकतों के लिए अपना वक्त और ऊर्जा ज्याया करें हम?

या फिर आदरणीय हिन्दू महासभा और विहिप जी से यही पूछ लो कि यह जाटों को बिना थाना लाइन हाजिर हुए खाद के कट्टे दिलवाने हेतु कब आवाज उठा रहे हैं? यह जुणसे हिन्दुओं की छोरियों को हिन्दू धर्म से बाहर ले जा रहे इनकी तो बाद में देखी जागी, उससे पहले आप लोग यह तो बता दो कि इन हिन्दुओं का क्या करें, जिन्होनें हिन्दुओं की ही औरतें खाद के कट्टों की खातिर लाइन हाजिर करवा राखी?

पगड़ी संभाल जट्टा, दुश्मन पहचान जट्टा!