Thursday 20 April 2017

हिंदुइज्म की खाप व्यवस्था को ईसाई धर्म की प्रोटोस्टेंट लाइन के समक्ष रखा जा सकता है!

क्रिश्चियनिटी में तीन मुख्या धाराएं हैं या कहिये धड़े हैं| एक रोमन कैथोलिक, दूजा ऑर्थोडॉक्स व् तीसरा प्रोटोस्टेंट|

रोमन कैथोलिक क्रिस्चियन चर्च के वेग को फॉलो करते हैं| 
हिंदुइज्म की सनातनी परम्परा को क्रिश्चियनिटी में ऑर्थोडॉक्सी कहा जाता है|
और जो अब तक शायद संज्ञान-रहित पड़ी रही आ रही है वह है हिंदुइज्म की खाप व्यवस्था, जो कि सघन अध्यन से देखने पर क्रिश्चियनिटी की प्रोटोस्टेंट व्यवस्था से मेल खाती है| जो कि ऑर्थोडॉक्सी व् कॅथोलिज्म की भांति हिन्दू की धर्म की शंकराचार्य व्यवस्था, ऑर्थोडॉक्स सनातनी व्यवस्था व् मैथोलॉजिकल मान्यताओं को सहज स्वीकार नहीं करती| सहज स्वीकार इसलिए कहा क्योंकि यह माइथोलॉजी को मानने वाले का विरोध भी नहीं करती|


परन्तु जैसे प्रोटेस्टंट्स ने पंद्रहवीं सदी में पैदा हुए मार्टिन लूथर के 95 सख्त रूल्स वाली नियमावली को मानने से इंकार कर दिया था व् इसको मानवता पर धर्म के नाम पर मानवीय आज़ादी छीनना माना था, ठीक वैसे ही खाप व्यवस्था की आइडियोलॉजी का मूल शंकराचार्य, सनातनी व् माइथोलॉजी को मानवता की आज़ादी पर गैर-जरूरी बोझ की तरह देखती आई है|

जैसे क्रिश्चियनिटी में प्रोटेस्टंट्स कहते हैं कि एक इंसान की उसके धर्म के प्रति सच्चाई मापने के लिए उसका उस धर्म के प्रति विश्वास ही काफी है, व् धर्म से संबंधित कर्मों को भी करना नहीं; ऐसे ही खाप व्यवस्था कहती है कि हिंदुइज्म में विश्वास काफी है; उसको साबित करने के लिए कावड़ ढोना, खड़तल बजाना, भजन-कीर्तन-जगराते-भंडारे आदि करना जरूरी नहीं|

इसलिए हिंदुइज्म में खाप व्यवस्था के फोल्लोवेर्स एक पल को रुक के अपनी डीएनए को पहचानें तो खुद को हिंदुइज्म का प्रोटोस्टेंट पाएंगे व् इन ढोंग-पाखंडों से ऐसे ही बच के चलेंगे, जैसे इनके पुरखे चलते रहे हैं|

मुझे गर्व है कि मैं मेरी जीवन शैली व्यवस्था यानी हिंदुइज्म (धर्म नहीं) की प्रोटोस्टेंट श्रेणी को मानने वाला हूँ, जो किसी भी धर्म के अंदर धर्म को उसकी सीमा सिखाती है व् धर्म को मानवता पर हावी होने से बचाती है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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