Thursday 17 October 2019

इंडिया में जो बढ़ रहा है या युगों से रहा है इसको पूंजीवाद नहीं कहते, इसको वर्णवाद की लक्ज़री कहते हैं!

वही वर्णवाद जिसके बारे ग्रंथों के हवाले से सुनते हैं कि उच्च वर्ण कोई अपराध भी कर दे तो वह दंड का भागी नहीं| तभी तो जितने भी उच्च वर्ण वाले करोड़ों-अरबों के घोटाले कर देश छोड़ जो चले गए जैसे कि माल्या-मोदी-चौकसी आदि-आदि एक की भी धर-पकड़ नहीं की गई आज तक| जितने भी कॉर्पोरेट वालों ने कर्जे लिए एक से भी उगाही नहीं; बल्कि सुनते हैं कि लाखों-करोड़ों के एनपीए और माफ़ कर दिए इनके; क्या यह स्टेट-सिस्टम के मामा के लड़के हैं या बुआ के? यह इसलिए हुआ है क्योंकि इनमें 99% तथाकथित उच्च वर्ण के हैं|

पूंजीवाद तो अमेरिका-यूरोप में भी है, परन्तु ऐसी खुली छूट थोड़े ही कि आप बैंक से ले कस्टमर तक से फ्रॉड करो और आपको सिस्टम-स्टेट कुछ ना कहे? यहाँ फेसबुक वाले जुकरबर्ग की कंपनी के हाथों कस्टमर का डाटा लीक हो जाता है तो तुरताफुर्ति में ट्रिब्यूनल्स हाजिर कर लेते हैं जुकरबर्ग को; वह भी सीधी एक-दो तारीख में ही एक-दो महीने में ही फैसला सुना दिया जाता है; कोई तारीख-पे-तारीख नहीं चलती| मामला जितना पब्लिक सेन्सिटिवटी का उतना ताबतोड़ सुनवाई और फैसला|

सच्ची नियत व् नियमों से पूँजी बना पूंजीवादी कहलाना कोई अपराध नहीं, जैसे बिलगेट्स-जुकरबर्ग आदि| परन्तु आपराधिक-फ्रॉड तरीकों से पूँजी बना के हड़प कर जाना और सिस्टम-स्टेट का उनको धरपक़डने की बजाये हाथों-पर-हाथ धरे रहना; यह पूंजीवाद नहीं अपितु वर्णवाद की लक्सरी है| ध्यान रखियेगा यह आपको इसको पूंजीवाद बता के परोसते हैं परन्तु यह है वर्णवाद की लक्सरी|

और यह वर्णवाद की लक्सरी, दुनिया में जाने जाने वाले तमाम तरह के भ्र्ष्टाचारों की नानी है|

अत: यह जो कहते हैं ना कि जातिवाद को खत्म करो; इनको बोलो कि पहले वर्णवाद को खत्म करो| करवाओ खत्म इससे पहले कि यह तुम्हारी नशों में नियत-नियम बन के उतर जाए या उतार दिया जाए और तुम इसको ही एथिक्स समझने लग जाओ| साइंस उलटी प्रयोग हो तो विनाश लाती है और सोशियोलॉजी उलटी प्रयोग हो तो नश्लें व् एथिक्स सब तबाह कर देती है| यह वर्णवाद यही है जो आपकी-हमारी नश्लें व् एथिक्स ही नहीं अपितु विश्व पट्टल पर देश की छवि तक को तबाह कर रहा है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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