Sunday, 15 March 2015

मेरा दान मेरी ताकत, मेरी कंस्यूमर पावर मेरा कंट्रोल!



 ताकि मुझ किसान को कोई लूट ना सके, मुझे लूटने की सोच ना सके, मुझे गुलाम व् बंधुआ ना बना सके|

मैं, एक किसान वंशज भारतीय किसान इतिहास के सबसे काले लैंड-आर्डिनेंस 2015 व् कर्मकांड के नाम पर बढ़ते पाखंडों से बुरी हो चली किसान कौम की दुर्दशा के मद्देनजर आज दिनांक 15/03/2015 को आधिकारिक व् सार्वजनिक तौर पर निम्नलिखित ‘आजीवन संकल्प’ लेता हूँ कि:

मैं ताउम्र किसी भी ऐसी धार्मिक सभा-संस्था-आस्था में ना दान दूंगा, ना भाग लूंगा, जो:
1) मुझे मेरे दिए दान का हिसाब-किताब ना बताती हो|
2) उस दान को कहाँ और क्यों लगाया गया, इसकी जानकारी ना देती हो|
3) उस दान के पैसे से मेरी कौम-समाज-गांव-जिले-राज्य के इतिहास और विरासत लिखने-संजोनें पे कितना खर्च किया, यह ना बताती हो व् कितना खर्च करने का लक्ष्य रखती है यह निर्धारित ना करती हो|
4) उस दान के पैसे से मेरी कौम-समाज-गांव-जिले-राज्य की संस्कृति के संवर्धन-उत्थान-प्रचार के लिए कितना खर्च करती है, यह ना बताती हो व् ऐसा कोई लक्ष्य ना रखती हो|

मैं ताउम्र किसान समाज को प्रेरित व् जागृत करता रहूँगा कि:
1) वो अपनी औलाद को व्यापार जरूर सिखाये, अर्थात भावनात्मकता से पहले पैसा-उन्मुख (money oriented) बनना सिखाएं|
2) उसको त्रिभाषी (हिंदी, इंग्लिश व् अपनी जन्मज भाषा/बोली) बनाएं और इसको गलत बताने वालों की आलोचना करना सिखाएं|
3) अपने उत्पाद यानी फल-फसल-फूल का विक्रय मूल्य खुद निर्धारित करने का हक लेवे|
4) अपनी खेती का व्यापारीकरण कैसे किया जाए, इस पर तब तक चिंतन-मंथन करते रहें, जब तक कि एक दिन यह हासिल ना हो जाए|
5) साल में दो हफ्ते का "किसान उपवास" रखें; जिसमें दो हफ्ते तक बाजारों से सिवाय खाने के बाकी किसी भी प्रकार का सामान ना ही तो खरीदा जावे, और ना ही बेचा जावे|

अनियंत्रित और बिना निगरानी के दान से फंडी अनियंत्रित होता है और बिना सोची समझी स्वभिमान रिक्त खरीदारी से मंडी अनियंत्रित होता है| और इन दोनों बातों की अनुपस्थिति में यह दोनों इतना दुःसाहस पा जाते हैं कि किसान को भूमि अधिग्रहण आर्डिनेंस 2015 जैसे बिल और कटटरता-धर्मान्धता के नाम पर भटकाए व् गुलाम बनाये रखने के गौरख-धंधे बढ़ाते ही चले जाते हैं| यह दोनों किसान के बाड़े के वो खूंखार व् उन्मादी पशु हैं, जिनको अगर खूंटे से बाँध के ना रखा जाए, तो दूसरे शांत-शरीफ पशुओं को भी नुक्सान पहुंचाने से बाज ना आवें|

इसके साथ मैं हर किसान-कमेरे की संतान को भी इन संकल्पों को धारण करने का आग्रह करता हूँ| इन संकल्पों बारे आपके संदेह-सुझाव हेतु मैं आपसे चर्चा करने को उपलब्ध हूँ|


- फूल मलिक, निडाना नगरी, जिला जींद, हरियाणा!

जय यौद्धेय! जय माँ हरियाणवी! जय दादी भारती!

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