Sunday 22 December 2019

79 जातीय आधारित हरयाणवी कहावतों में 64 ऐसी हैं जिनमें "जाट" मौजूद है!


यह प्रस्तुति दूसरे जाटरात्रे यानि 24 दिसंबर के उपलक्ष्य में इस रात्रे का शीर्षक "कहावतों, आम बोलचालों व् राजकीय-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय साहित्य में जाट" विषय के तहत है|

दूसरे जाटरात्रे को मनाने का थीम है - "जाट किसे-नैं घी-दूध खुवावैगा, तो गळ म रस्सा डाल कें"|

मुख्य मंथन क्या करें - "किसी जाति या मानव-समूह का उससे संबंधित कल्चर-कस्टम-लोक्कोक्ति-लोकवाणी-साहित्य-संवाद में कितना स्थान होता है, स्थानीय कहावतें-बातें-मुहावरे उसको जानने का सबसे बढ़िया जरिया होते हैं| जिस समाज का इनमें जितना ज्यादा स्थान वह समाज उतना अग्रणी-सम्मानित-स्थापित-टिकाऊ व् भरोसेमंद होता है"|

अब इन 79 जातीय आधारित हरयाणवी कहावतों में ही देख लीजिये, 64 ऐसी हैं जिनमें जाट जरूर है| हो सकता है कुल संख्या 79 से ज्यादा हो शायद 100 हो, 120, 150 या 200 भी होंगी तो इतना मानता हूँ कि जैसे 64/79 = 81% कहावतों में जाट है तो 200 भी हुई तो इतना अंदाजा है कि जाट न्यूनतम 50% में तो जरूर मिल जायेगा| तो एक जाट के तौर पर आपका-हमारा द्वितीय जाटरात्रे का मकसद यह होना चाहिए कि यह समझा-समझाया जाना चाहिए कि जिन पुरखों की वजह से यह कहावतें हैं, उनके क्या कर्म-सोच-साइकोलॉजिकल थ्योरियां रही होंगी जो "जाट" शब्द को इतना प्रचुर मात्रा में इनमें स्थान मिला|

एक अनुरोध है: जाट बारे अच्छी हैं तो अच्छी लिखी हैं और बुरी हैं तो बुरी परन्तु लिखी हैं ज्यों-की-त्यों, और ऐसे ही बाकी जिस भी बिरादरी की हैं ज्यों-की-त्यों वह लिखी हैं; मकसद सिर्फ कल्चरल हेरिटेज को 'किनशिप' कांसेप्ट के तहत अगली जनरेशन को पास करना है; तो कोई भाई/बहन खामखा सर मत हो जाना मेरे|

इन्हीं शद्बों के साथ प्रस्तुत हैं 79 कहावतें 2 भागों में, पहले में 64 जिनमें "जाट" शब्द जरूर है व् दूसरे में 15 जो साथी बिरादरियों बारे हैं:

Part 1:
1. जाट किसे-नैं घी-दूध खुवावैगा, तो गळ म रस्सा डाल कें|
2. जाट रांडा मरे वो दुर्भागा, ब्राह्मण भूखा मरे वो दुर्भागा|
3. अनपढ़ जाट पढ़े जैसा, अर पढ़या जाट खुदा जैसा!
4. मति मरी जाट की, रांगढ़ राख्या हाळी; वो उसनै काम कहे, ओ दे उसने गाळी!
5. ओच्छा बाणिया, बोराया जाट, मरूं-मरूं करदा बाह्मण, गोद लिया छोरा, ओच्छे की प्रीत, बाल्लू की भींत; कदे सुख ना दें!
6. कविता सोहै भाट की, खेती सोहै जाट की!
7. काटे जाट का, सीखै नाई का!
8. काळा बाह्मण, धोळा चमार, तिलकधारी बाणीया अर कैरे जाट तें बच कें रहणा चहिये!
9. खेती जट्ट की, बाजी नट की!
10. खागडा की लड़ाई म्ह, भेड़िये की चतराई म्ह अर जाट की बुराई म्ह कदे नी फहना चाहिए!
11. गूमड़ा अर जाटडा, बंधे ही भले!
12. गुज्जर के सौ, जाट के नौ (अनाज-दलहन आदि) और माळी के दो किल्ले (फल-फूल-सब्जी) बराबर हो सें|
13. जाट बाहरने (दर) पै आये के घर तक बसा दे!
14. जाट ने हारया तब जाणिये, ज्ब कह पुराणी बात!
15. जाट छिक्या अर राह रुक्या!
16. जाटडा अर काटडा, आपणे नै ऐ मारें!
17. जाट-जाट का दुश्मन, ज्यांते जाट की 36 कौम दुश्मन!
18. जाट-जाट के साठे करदे, घाले-माले!
19. जाट जब तक साथी, हाथ म्ह होवै लाठी!
20. जाण मारे बाणिया, पिछाण मारे जाट!
21. आग्गम बुद्धि बाणिया, पाच्छ्म बुद्धि जाट!
22. बावन बुद्धि बणिया, छप्पन बुद्धि जाट|
23. जाट बलवान जय भगवान!
24. जाट कै लागी हंगाई, म्हास बेच कै घोड़ी बिशाई!
25. जाट अर सांप म्ह तै पहल्यां किसने मारे, सांप नै जाण दे अर जाट नै समारे!
26. जाट, बैरागी, नटवा, चौथा राज-दरबार, यें चारों बांधे भले, खुल्ले करें बिगाड़!
27. जाट जब दुश्मन पिछानना अर मंत्रणा करणी शुरु कर दे, तै सब काहें नै कूण म्ह धर दे!
28. जाट एक समुन्दर सै अर जो भी दरिया (जाती) इसमै पड़ती है वाः समुन्दर की बण ज्या सै!
29. जाट एक दमड़ी पै लहू-लुहान, बाणिया सौ पै भी ना खींचा-ताण!
30. जाट जितना कटेगा, उतना ही बढ़ेगा!
31. जाट सोई पांचों झटकै, खासी मन ज्यों निशदिन अटकै!
32. जाट जाट को मारता यही है भारी खोट, ये सारे मिल जायें तो अजेय इनका कोट!
33. जाट नै मरया जद जाणिये जब उसकी तेरहँवी हो ले|
34. जाट नै कै तै जाट मारै अर नहीं तै भगवान (जाट को मारै जाट या फिर करतार)
35. जाट तैं यारी अर शेर की सवारी - एक बात हो सें|
36. जाट ठाणे जो मरोड़, भला कौन दे तोड़|
37. जाटनी कदे विधवा ना होती (प्राचीन विधवा-विवाह प्रचलन की वजह से)|
38. जाट कै तो खा कै मरेगा कै बोझ ठा कै मरेगा|
39. जाटां का बुड्ढा, बुढापे मै बिगड़या करै|
40. जाट नाट्या अर कर्जा पाट्या|
41. जाट रै जाट, खड़ी करदे तेरी खाट - बीज खोस ले बोण नी दे, सोड़ खोस ले सोण नी दे, डोग्गा मारै रोण नी दे|
42. दो पाटा के बचाल्ये साबत बच्या ना जाट!
43. नट विद्या आ जावै पर जट्ट विद्या कोनी आवै|
44. पात्थर म्ह घुणाई कोन्या, जाट म्ह समाई कोन्या!
45. बिन जाटां किसने पाणीपत जीते!
46. ब्राह्मण खा मरे, तो जाट उठा मरे!
47. बणिया हाकिम, ब्राह्मण शाह, जाट मुहासिब, जुल्म खुदा।
48. भूरा चमार, काला जाट अर कानी लुगाई, काले भीतर आले बताये!
49. भरा पेट जाट का, हाथी को भी गधा बतावे!
50. भरा पेट जाट का, अम्बर म्ह मओहरे करे!
51. माँगे तो, जाट दे ना गंडा भी, ब्यन मांगे दे दे भेल्ली|
52. मकौड़ा, घोड़ा और जठोड़ा पकड़ने पर कभी छोड़ते नहीं!
53. जाट मर्द साठा ते पाठा|
54. एक नट की कला की गहराई मापी जा सकती है लेकिन एक जाट की बुद्धि की कभी नहीं|
55. मिट्टी के बर्तन म्ह धरया घी, हिन्दू की दाड़ी, कई बेटियों वाले पिता और जाट को दिए कर्ज का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए|
56. जाटां का समूह, अळसु-पळसु बाताँ का ढूह|
57. जाट जब आप्पे तैं बाहर हो ज्या तो खुदा-ए उसनें थाम सकै|
58. जाट की हांसी आम आदमी की पसली चटका दे|
59. निरे सफ़ेद कपड़े पहनने वाले और मांस (चिकन) खाने वाले जाट की ऋणदेन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए|
60. ऐकले जाट कै फसियो ना, इनकी पंचायत तैं डरियो ना!
61. जाट रे जाट, सोलह दूनी आठ!
62. जाट रे जाट, तेरे सर पे खाट, तेली रे तेली, तेरे सर पर कोल्हू|
63. जाट जब तक साथी, हाथ में होवै लाठी|
64. जाटड़ा और काटड़ा, अपने को मारे|

Part 2:
1. कुम्हार गधे पै फल्लारे मारै|
2. जै बाणिया बणज्या हाक्क्म, तो गजब खुदा!
3. इह्सा भाज्दा हंडे सै, ज्यूँ गहण म चूड़ा!
4. काश की खेती,साँस की ब्यमारी, बीर तैं बैर अर हीर तैं यारी कदे ना निभै!
5. चूड़ा रग देख कें लठ मारया करै|
6. देखी भाळी डूमणी, गावै औल-पचौल!
7. नयी-नयी मुसल्लमानणी, अल्लाह-ए-अल्लाह पुकारै|
8. नाईयां के ब्याह म्ह होक्का कूण भरे|
9. न्यूं बोअळा होया हाँडै जाणु बिगड़े ब्याह म नाई!
10. परहेज पुगाण बाणिया सबतें पक्का बताया अर बाह्मण, नाई अर लुगाई सबतें कच्चे बताये|
11. ब्राह्मण भूखा भी बुरा तो धापा भी बुरा!
12. बीर, बाणिया, पुलय्स, ड्रेवर, बच्छ्यु, सांप, गव्हेरा, जिसकै मारैं डंक गात में, दीखे घोर अँधेरा|
13. भूले ब्राह्मण भेड़ खाई, अर फेर खाऊं तो राम-दुहाई!
14. लोभ लाग्या बाणीया, चून्दें लाग्या गौका (गाय), रुकें तै रुके रहं ना तै चाल्ले-ए-जाँ!
15. गाम बसाये बाणीये,पार पड़ै तो जाणिए|

उद्घोषणा: लेखक सर्वसमाज-सर्वधर्म का पैरोकार है जब तक बात समाज को एक सामूहिक परिवार की भाँति चलाने की आती है तो| यह लेख घर के भीतर के एक सदस्य को उस घर में उसके योगदान-सहयोग-सम्पर्ण आदि बता उसकी हस्ती को जिन्दा रख एक 'किनशिप' के नियम के तहत अगली पीढ़ी को पास करने की कवायद भर है| इसके अलावा घर के जिस सदस्य के लिए यह लिखा जा रहा है यानि "जाट" वह हमेशा यह बात सबसे ऊपर रखेगा कि समाज रुपी इस सामूहिक परिवार में उसके साथ 36 बिरादरी व् सर्वधर्म रहते हैं| इसलिए इस लेख में बताई गई बातों को खुद की हस्ती बारे जागरूकता तक ही प्रयोग करेगा| कहीं भी, किसी भी हालात में यह लेख कोई भी द्वेष-घमंड-अहम्-तुलना पालने या उसका प्रदर्शन करने का जरिया नहीं बनाया जाए| ऐसा करने वाले असली "जाट के जाम" नहीं माने जायेंगे| लाजिमी है कि ऐसी मति को ठीक करके ही इस लेख को पढ़ें, तभी इसका मंतव्य समझ आएगा, इसको पढ़ने में लुत्फ़ आएगा|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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