मैं ना तो मोदी को ढूंढ रहा, ना समाज के ठेकेदारों को, और ना तथाकथित राष्ट्रवादियों को; मैं तो हिन्दू धर्म के उन ठेकेदारों को ढूंढ रहा हूँ, जो लोकसभा इलेक्शन से पहले हिन्दू धर्म में एकता और बराबरी की बात करते थे| ....... यह लोग मिल भी गए तो नहीं आएंगे आगे| क्योंकि हिन्दू धर्म है ही नहीं, होता तो कोई इतनी जुर्रत कर पाता कि उसके अपने धर्म वाले ऐसे फाड़ करने पे तुले हैं और धर्म वाले चुसक भी नहीं रहे| वही धर्म वाले जिनको जब वोट चाहिए होती हैं तो पता नहीं कहाँ ख्वाबी-ख्यालों से हिन्दू एकता और बराबरी का जुमला उठा लाते हैं|
निसंदेह हिन्दू कोई धर्म नहीं अपितु मानवता का धंधा है, जिसको दान-पुन: के
नाम पर सिर्फ पैसे कमा के अपना पेट भरना आता है| बाकी इसमें राजनैतिक
सरकार और तथाकथित राष्ट्रवादियों का जो हाथ है सो तो है ही|
ऐसे-ऐसे किस्से सबक हैं उन नादानों जाट बालकों के लिए जिनको हिन्दू धर्म वाले यह कह के बहका लेते हैं कि, सदियों से बिछड़े रहे तो गुलाम रहे, अब तो एक हो जाओ| क्या यही सब देखने और झेलने के लिए एक हो जाओ, कि जो जाति समाज की रीढ़ की हड्डी है, उसके खिलाफ कोई जहर उगले और ना धर्म वाला और ना कोई समाज वाला उसका मुंह थोबे?
और हम गुलाम इस वजह से नहीं हुए थे कि हम एक नहीं थे, अपितु इन्हीं हरकतों और साजिशों के चलते हुए थे जो आज फिर से मंडी-फंडी जाट के खिलाफ बाकी के पैंतीस बिरादरी के समाज को खड़ा करके रच रहा है| बाज आ जा मंडी-फंडी, और अगर शर्म ना हो तो इतिहास की तारीखें पलट के देख ले, जाट ने हमेशा तुझे आईना दिखाया है|
कभी मुसलमान खा जायेंगे का डर दिखा के एक होने की बात करते हैं, जबकि हमें तो मुसलामानों से डर लगता भी नहीं, क्योंकि हम मुस्लिमों से डंके की चोट पर भाईचारा निभाना जानने वाली कौम रहे हैं| हमें कोई खायेगा तो यह खुद हिन्दू धर्म वाले खाएंगे जाटो, इसलिए लामबंध और एक होना है तो इन मंडी-फंडी की ताकतों के खिलाफ एक होवो| ताकि आपको एक देखकर यह ओबीसी भाई भी इन मंडी-फंडी की साजिशों में फंस इन सैनी साहब की तरह आपके विरुद्ध मोहरे की तरह इस्तेमाल ना हो पावें|
फूल मलिक
ऐसे-ऐसे किस्से सबक हैं उन नादानों जाट बालकों के लिए जिनको हिन्दू धर्म वाले यह कह के बहका लेते हैं कि, सदियों से बिछड़े रहे तो गुलाम रहे, अब तो एक हो जाओ| क्या यही सब देखने और झेलने के लिए एक हो जाओ, कि जो जाति समाज की रीढ़ की हड्डी है, उसके खिलाफ कोई जहर उगले और ना धर्म वाला और ना कोई समाज वाला उसका मुंह थोबे?
और हम गुलाम इस वजह से नहीं हुए थे कि हम एक नहीं थे, अपितु इन्हीं हरकतों और साजिशों के चलते हुए थे जो आज फिर से मंडी-फंडी जाट के खिलाफ बाकी के पैंतीस बिरादरी के समाज को खड़ा करके रच रहा है| बाज आ जा मंडी-फंडी, और अगर शर्म ना हो तो इतिहास की तारीखें पलट के देख ले, जाट ने हमेशा तुझे आईना दिखाया है|
कभी मुसलमान खा जायेंगे का डर दिखा के एक होने की बात करते हैं, जबकि हमें तो मुसलामानों से डर लगता भी नहीं, क्योंकि हम मुस्लिमों से डंके की चोट पर भाईचारा निभाना जानने वाली कौम रहे हैं| हमें कोई खायेगा तो यह खुद हिन्दू धर्म वाले खाएंगे जाटो, इसलिए लामबंध और एक होना है तो इन मंडी-फंडी की ताकतों के खिलाफ एक होवो| ताकि आपको एक देखकर यह ओबीसी भाई भी इन मंडी-फंडी की साजिशों में फंस इन सैनी साहब की तरह आपके विरुद्ध मोहरे की तरह इस्तेमाल ना हो पावें|
फूल मलिक
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