अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Friday, 28 June 2024
लायक नहीं ये एक झोंपड़ी बनाने के, ठेके थमा दिए इनको एयरपोर्टों के!
Wednesday, 26 June 2024
Maharaj फिल्म समीक्षा !
Maharaj फिल्म समीक्षा : वाडो के काले कारनामो को उजागर करती वास्तविक घटना पर आधारित ये फिल्म - न केवल पाखंड को उजागर करती हैं बल्कि थाईलैंड से आयातित धार्मिक पाखंडो के पाप से भरे घड़े को भी फोड़ती हैं.
उत्तर भारत में यह धार्मिक उन्माद नया नया हैं इसलिए यहाँ ऐसा नहीं हुए लेकिन इस धार्मिक ढांचे के इतिहास इतना कला हैं की मंदिर की मुर्तिया भी काली बनायीं जाती थी.
धर्मांध और अंधविस्वास में लिप्त लोगो को इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए. की कैसे भगवान और धर्म के नाम पर मंदिर बनाए गए और फिर उनके नाम पर लूट और शोषण की शुरुआत हुई. कैसे धर्म को धंधा बनाया गया और कैसे इनका भगवान अपने मुँह पर कालिख पोते मंदिर की मूर्ति में मृत पड़ा रहा.
इतिहास : समय क्या नहीं करवाता 1400 ईस्वी में थाईलैंड कल्चर भारत में दस्तक देता हैं. पहली शताब्दी से ही सिल्क रुट पर इजिप्ट और थाई मनोविज्ञान विशाल चर्चा का विषय था. छठी शताब्दी तक इस मनोविज्ञान की अनेको तकनीके अपभ्रंश होकर विकृत परम्परावादी धार्मिकता का रूप ले रही थीं. जैसे आजके समय में नेता अभिनेता यूटूबर आदि प्रसिद्ध हैं. ऐसे ही 7 सदी से लेकर 14 वि सदी तक के इस दौर में लेखन प्रसिद्धि का मुखर विषय बना. इंडियन रीजन ( अफगान बॉर्डर से लेकर इंडोनेशिया तक ) थाई कम्बोडियन और इंडोनेशिया ये तीन ऐसे क्षेत्र थे जहा मनोवैज्ञानिक विषयो से अनेको कहानिया सांस्कृतिक परम्पराओ में विकसित हो चुकी थीं.
चोल सशको के दरबारों में नाटक करने वाले निषाद नट उन कहानियो को कॉपी कर प्रदर्शित नाटकीय रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं. थाईलैंड कम्बोडिआ ऐसे क्षेत्र रहे हैं जहा सबसे पहले मंदिरो (วัด वाड - थाई भाषा में मंदिर को वाड कहा जाता हैं. वाड एक ऐसा अधिकृत क्षेत्र जो चारो और से सुरक्षित स्थान हो ) इसलिए थाई राजा इस वाड में विशेष रूप से रहता हैं. आज भी थाई राजा राम (दसम ) अपने वाड (मंदिर ) में रहता हैं.
वजिरालंकरण 16 अक्टूबर 2016 को 64 वर्ष की आयु में थाईलैंड के राजा बने. लेकिन राजगद्दी पर अपने पिता के निधन के 50 दिवसीय शोक के पश्चात् दिसम्बर 01, 2016 को आसीन हुए. इन्हें "फरा राम दशम" की उपाधि से अलंकृत किया गया. रामकियेन ( रामायण ) थाईलैंड का राष्ट्रिय ग्रन्थ हैं.
ऐसे ही वाड चोल शाशको ने बनवाए जिन्हे वो चोलेश्वर ( चोलो के ऐश्वर्य का स्थान ) कहते हैं. आज ये वाड़े दक्षिण के अनेको मंदिरो में बदले गए है. ऐसे ही एक वाड़े और उसके धार्मिक महाराज और शोषिक धार्मिक अंधभगति की वास्तविक घटना पर आधारित फिल्म है Maharaj - जिसमे Jaideep Ahlawat ने महाराज का रोल निभाया है और करसनदास मुलजी का रोल निभाया है Amir Khan के बेटे Junaid Khan ने. फिल्म के लेखक है Saurabh Shah.
फिम्ल में फिल्म निर्माण नियमो के तहत और धार्मिक माहौल को देखते हुए थोड़ा बैलेंस करके दिखाया गया हैं. ताकि लोग बेवजह विरोध न करें. हालाँकि धार्मिक पाखंडियो ने भोली भली जनता का शोषण किया हैं वो दिखने लायक और बताने लायक भी नहीं हैं.
लेकिन फिल्म का मुख्य प्लाट थाईलैंड ये आयातित धार्मिक पाखंड के इतिहास को प्रत्यक्ष रूप से उजागर करता हैं. पुरे देश के धर्मांध लोगो को इसे देखना चाहिए और इन धार्मिक पाखंडो से खुद को बचाकर आने समाज को भी करसनदास मुलजी की तरह जागरूक करना चाहिए. इन मंदिरो की कोई महानता नहीं हैं ये शोषण के काले इतिहास और अश्लीलता को समेटे हुए हैं. इसलिए दक्षिण के सभी मंदिरो की मुर्तिया भी काली मिलेंगी क्योकि ये कालिख इनके निर्माताओं के चेहरे की हैं.
कर्म ही धर्म हैं और वास्तविकता से स्पष्ट वाकसिद्धि से परिपूर्ण अंधविस्वासो से मुक्त सार्थक और सत्य को धारण करना वास्तविक धर्म हैं. किसी भी कल्पना अंधविस्वास और पाखंड में धर्म नहीं हैं. धन्वयाद
~Rajesh Dhull
Jat riwaj in Turkey!
रिवाजों की समानता!
Sunday, 23 June 2024
इन आम चुनावों में एक बात साफ हो गई कि मोदी-शाह की राजनैतिक शैली से आरएसएस खुश नहीं था और न हिन्दू धर्म के बड़े धर्माचार्य!
मोदी-शाह की जोड़ी जब पूंजी पर बैठकर नैतिकता के प्रतिमान तय कर रही थी तब एक शर्त यह भी थी 75 पार के नेता मार्गदर्शक मंडल में रहेंगे।
यह हिंदूजा बन्धु इंडिया में होते तो क्या कोई इंडियन कोर्ट, स्विट्ज़रलैंड कोर्ट की भाँति सजा दे पाती की तो छोड़िए; क्या देने की सोचती भी?
अनैतिक-पूंजीवाद के धोतक हिंदुजा बंधुओं प्रकाश हिंदुजा (78 साल) और कमल हिंदुजा (75 साल) को साढ़े चार साल और उनके बेटे अजय और बहू नम्रता को स्विट्ज़रलैंड की अदालत ने चार चार साल की सजा सुना दी है। सजा की वजह इनके द्वारा अपने घरेलू नौकरों का शोषण और उत्पीड़न करना है। स्विस अदालत ने पाया कि ये रईस घर मे काम करने वाले अपने कर्मचारियों को मात्र 700 रुपया (8$) रोज की पगार देते थे। यह भुगतान भी भारतीय रुपयों में किया जाता था, और रुक रुक कर, तरसा तरसा कर किया जाता था। यह राशि स्विट्ज़रलैंड के न्यूनतम वेतन से 10 गुना और इन हिन्दूजायों के द्वारा अपने कुत्तों पर किये जाने वाले खर्च से चार गुना कम हैं। इसके अलावा ये रईसजादे इन नौकरों को पेट भर खाना नहीं देते थे, मारपीट करते थे, क्रूरतापूर्ण बर्ताव करते थे। इन सबके पासपोर्ट भी हिन्दुजाओं ने जब्त करके अपने पास रख लिए थे ताकि वे देश वापस न जा सकें। शोषण के शिकार ये सभी कर्मचारी "इंडिया दैट इज भारत दैट इज हिंदुजा के अपने देश हिंदुस्तान के थे"।
#ध्यान_दें
यह कर्म उस हिंदुजा खानदान ने किया है जो "इंग्लैंड दैट इज यूनाइटेड किंगडम" का सबसे रईस खानदान है और स्विट्जरलैंड की हसीन वादियों के जिस विला - भव्य आलीशान भवन - का यह कांड है, उसकी कीमत ही अरबों रुपये में हैं।
यह हिंदूजा बन्धु इंडिया में होते तो क्या कोई इंडियन कोर्ट, स्विट्ज़रलैंड कोर्ट की भाँति सजा दे पाती की तो छोड़िए; क्या देने की सोचती भी? इस हद तक हमारा देश ऐसे संवेदनहीन अनैतिक पूंजीवादियों के कब्जे में आता जा रहा है दिन-भर-दिन।
न्यूज़ सोर्स: https://www.forbes.com.au/news/billionaires/billionaire-hinduja-family-members-get-4-5-years-in-swiss-prison/
Monday, 17 June 2024
यार 5911 वरगा!
सिधू मुसेवाले के साथ एक ट्रॅक्टर का भी चर्चा है जो हमारी पीढ़ी ट्रक्टर था और जिसका अपने जमाने में पूरा टोरा था । ये था सरकारी कंपनी hmt ( हिंदुस्तान मशीन टूल्स ) का hmt 5911 मॉडल । 5911 को सिधू मुसेवाले में गीतों में इतना ज्यादा इस्तेमाल किया किया की किसानों के इस साथी टैक्टर का नाम दिल्ली मुंबई के पबो तक गुज गया । शहर मे जिस किसी ने आज तक इस ट्रक्टर को देखा तक नहीं वो भी 5911 का नाम जानता है , हालाकि बहुत को ये भी नही पता की 5911 किस चीज का नाम है ।
Saturday, 15 June 2024
शमशाद बेगम जी मान गोत की जाट थी!
हमारे समाज में सिर्फ़ जाति आधार पर ही भेदभाव नहीं है, यह भेदभाव क्षेत्र आधार पर भी है, यह भेदभाव धर्म के आधार पर भी है। यह भेदभाव वाली व्यवस्था सिर्फ़ दूसरी जातियों से ही नहीं ख़ुद की जाति से भी है। एक ही जाति, एक ही गोत, पर अगर धर्म अलग-अलग हैं तो दोनों एक दूसरे से पूरी धार्मिक छुआछूत बरतते हैं। इस धार्मिक छुआछूत का उदाहरण महान गायक मोहमद रफ़ी, शमशाद बेगम आदि हैं। बॉलीवुड का ज़िक़्र आता है तो हमारी सोच सिर्फ़ पहलवान दारा सिंह जी और धर्मेंद्र जी तक सीमित रह जाती है। जबकि इन्हीं लोगों के समकालीन बॉलीवुड में गायकी में कई दशकों तक जिनकी बादशाहत रही उनके बारे में हमारे लोगों को या तो पता नहीं, पता है तो ज़ुबान सिल जाती है क्योंकि वो मुस्लिम जाट हैं? मोहमद रफ़ी साहब का बेटा इंटर्व्यू में ख़ुद कहता है कि वो लोग पंजाब के जाट हैं। पर नहीं, हम तो इन्हें मिरासी या हज्जाम मानेंगे? जबकि उनकी ऑटोबायोग्राफ़ी में उनका गाँव गोत सब लिखा है, उनका बेटा ख़ुद को गर्व से जाट बता रहा है।
Friday, 14 June 2024
इस महाशय को अब अकेले जाट ही क्यों याद आएं हैं?:
जब जंतर-मंत्र पर पहलवान बेटियां घसीटी जा रही थी; तब नहीं बोला यह महाशय कि यह बेटियां जाट हैं व् जाट देश की शान होते हैं; उनकी आवाज को इस तरीके से क्यों दबाया जा रहा है? 13 महीने चले किसान आंदोलन में नहीं चुस्का यह महाशय कि यह जो किसान आंदोलन लिए चले आएं हैं दिल्ली तक, इनमें 80% तक किसान जाट-जट्ट बिरादरी से हैं, तो इनको आवाज सुनो व् बिना तकलीफ दिए इनको न्याय दो| जब अग्निवीर ला के सेना का अभिमान कुचल रहा था मोदी, तब नहीं चुस्का यह महाशय कि उस सेना को ऐसे मत खत्म करो, क्योंकि उसमें हर तीसरा सैनिक इसी जाट समाज से आता है, जिसको यह आज देश की शान बता रहा है?
अब चुस्का है क्योंकि पूरी खापलैंड व् मिसललैंड पे फंडियों को, फ़िलहाल हुए लोकसभा चुनावों में जब जाट-दलित-सिख-मुस्लिम व् 50% ओबीसी समाज ने मिल के रसातल में चिपका दिया तो इन महाशय को सिर्फ जाट याद आ रहे हैं (बाकी दलित व् ओबीसी कोई याद नहीं आया)| इसका तथाकथित हिन्दू राष्ट्र की आड़ में "मनुवाद राष्ट्र" बनाने का भूत उतरा नहीं है सर से अभी भी| यह कवायद अब आगामी हरयाणा विधानसभा चुनावों बारे लगती है; व् इनको इसकी ड्यूटी दी गई हो जैसे| और देखें जरा कितनी arrogance व् बदतमीजी से कह रहा है; जैसे जाट कौम इसकी बंधुआ हो|
यह वही भाषा व् एप्रोच है, जैसी 'जाट जी जैसी सारी दुनिया हो जाए तो पंडे-पुजारी भूखे मर जाएं' वाली स्तुति सत्यार्थ प्रकाश के ग्यारहवें सम्मुल्लास में लिखी है; वह व्यक्ति कम-से-कम ईमानदारी से सादर तो लिख रहा था; इसका तो लहजा ही "जाट समाज को बंधुआ" समझने वाला है| भला, कौन तो जाट किसी को भूखा मारने वाला; व् जाट ने किसी के हाथ जूड़ रखे हैं या उनको कमाने-खाने से रोकता है; जो वह भूखे मर जाएंगे; और कौन जाट, जो इसको "मनुवाद राष्ट्र" बना के देगा| बना ले अपने तथाकथित ज्ञान व् शक्तियों से खुद ही; जिसके जाल में फंसा के इतनी जनता अपने पीछे लगाए फिरता है; इसके बाद भी जाट की जरूरत की कसर ही रह गई; हद है|
दूर रखें खुद को व् अपने बच्चों को ऐसे फलहरियों से; होते म्हारे दादों-पड़दादों वाले जमाने तो लठ लगते इसकी पिण्डियों पे|
Bageshwar Dhaam baba about Jats in below video!
राजा vs खाप
राजा का बेटा राजा बनेगा! राजा उसे पहले ही राजकुमार घोषित कर देगा और समय पर उसका राजतिलक कर देगा! प्रजा जय जयकार करेगी और शासन बडे राजा से पुत्र राजा के पास चला जाएगा! उसका शब्द ही कानून होता है और उसका आचरण ही नैतिकता की सीमाएं तय करता है! दशरथ ने समय रहते राम के राज्याभिषेक की तैयारी कर दी थी परंतु जंगल जाना पडा लेकिन जंगल से भी राज चलाते रहे जैसे अब कुछ राजा जेल चले जाते हैं और उनकी जगह भरत गद्दी पर उनकी खडाऊँ रख कर उनके नाम से राज करते हैं!
बागडी जाट और देशवाली जाट!
बागडी जाट और देशवाली जाट के पहले रिश्ते नही होते थे! भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दादा चौधरी मातूराम ने पहली बार देशवाली और बागडी जाट के बीच रिश्ते करवाने की मुहिम शुरु की और अपने परिवार से ही बहुत रिश्ते बागडी जाटों में किए! ये मुहिम जोर पकडती गई और धीरे धीरे सब सामान्य होता चला गया! जाटों में ब्याह रिश्ते का बडा ख्याल रखा जाता था और लगातार विकास की कोशिश जारी रहती थी! गोत्र छोड कर शादी करना भी इसी का हिस्सा था जो बाद में सांइटिफिक निकला!
Thursday, 9 May 2024
407 सीट क्यों चाहिए!
★ एक मैसेज फॉरवर्ड हो रहा है जिसमें बताया गया है कि बीजेपी को 407 सीट क्यों चाहिए..चलिए ज़रा देखते हैं कि हक़ीक़त क्या है?
1. "वक़्फ़ बोर्ड" हटाने के लिए चाहिए : वक़्फ़ बोर्ड पूरे तौर पर सरकारी है..सरकार जब चाहे "वक़्फ़ बोर्ड" को हटा सकती है..10 साल तक मोदी ने क्यों नहीं हटाया?
2. CAA/NRC ला कर 10 करोड़ बांग्लादेशियों को निकालने के लिए : CAA लागू हो चुका है..असम में NRC भी हुई..तो CAA-NRC के लिए 407 सीट की ज़रूरत नहीं है..
बांग्लादेश की जनसंख्या ही लगभग 10 करोड़ है..तो 10 करोड़ बांग्लादेशी भारत मे कैसे आए? मोदी तो बांग्लादेश को मित्र देश बताते हैं..
3. "माइनॉरिटी कमीशन" हटाने के लिए : माइनॉरिटी में मुसलमान के 'अलावा सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, 'ईसाई भी हैं..सरकार जब चाहे कमीशन को हटा सकती है..
4. "प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट" हटाने के लिए : इसके लिए भी 407 सीट की ज़रूरत नहीं है..272 सीट काफ़ी है..मोदी ने क्यों नहीं हटाया?
5. "यूनिफॉर्म एडुकेशन एक्ट" ला कर मदरसा बंद करने के लिए : भारत में अलग अलग राज्यों की अलग अलग एडुकेशन पॉलिसी है..यूनिफॉर्म एडुकेशन एक्ट मुमकिन ही नहीं..
संविधान में माइनॉरिटी को अपने शिक्षा संस्थान चलाने का हक़ है..फिर तो सारे माइनॉरिटी शिक्षा संस्थान बंद करने होंगे..
6. "अल्पसंख्यक मंत्रालय" बंद करने के लिए : अल्पसंख्यक मंत्रालय रखना ही होगा ऐसा कोई क़ानून नहीं है..मोदी/योगी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय रखा ही क्यों है? तो ये बात भी फ़र्ज़ी है..
7. "सिर्फ़ 2 बच्चों का क़ानून" लाने के लिए : अगर 303 सीट से धारा 370 हटाई जा सकती है तो 2 बच्चों का क़ानून भी लाया जा सकता है..407 सीट की कोई ज़रूरत नहीं है..
8. "यूनिफॉर्म सिविल कोड" लाने के लिए : 303 सीट काफ़ी है..तीन तलाक़ का बिल 303 सीट पर ही पास हुआ..
9. "दंगा विरोधी क़ानून" बनाने के लिए : क़ानून बनाने के लिए 272 सीट काफ़ी है..वैसे भी बग़ैर क़ानून के बुलडोज़र चल ही रहा है..
10. भारत को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए : यह पॉइंट बताता है कि मोदी का दिमाग़ हिल चुका है..ये जो तथाकथित पांचवी अर्थव्यवस्था बनी है उसके लिए कौन सा क़ानून बना था?
तो इन बातों-तर्कों का मतलब साफ़ है कि 407 सीटें सविंधान बदलने व् आरक्षण खत्म करने के लिए चाहिएं हैं|
#कृष्णनअय्यर
हरयाणा में तीन MLA द्वारा कांग्रेस को समर्थन दिए जाने के बिंदु को low-profile रखा जाना बेहद जरूरी है!
इस मसले पर JJP व् INLD अगर कांग्रेस से चिपकने की कोशिश करती है तो इनसे सवाल-जवाब के आदान-प्रदान से बचना होगा; क्योंकि:
यह एक ऐसी स्क्रिप्ट की भी तैयारी हो सकती है जिसको मोदी हरयाणा में आते ही ऐसे उछालेगा कि बहुत सारा वोट फिर से एक झटके में उसके पाले जा बैठेगा| क्या कहेगा, कि देखो मैंने तुम्हें एक ओबीसी मुख्यमंत्री दिया, परन्तु तथाकथित पारवारिक पार्टियों, उनमें भी एक जाति वाले कैसे उस बेचारे शरीफ ओबीसी की सरकार गिराने को उतारू हैं| अभी से इनकी धक्काशाही देख लो, क्या तुम चाहोगे कि इनको सत्ता मिले वापिस? और लोग कहेंगे ना|
ना कोई मुद्दा होगा, ना कोई मसला और एक झटके में सब बनी-बनाई हवा साहमार ले जाएगा; इंडिया गठबंधन की हरयाणा में| क्योंकि इन्होनें दिनरात लगा के विभिन्न समाजों को इतना ह्यपरसेंसिटिव कर रखा है, कि ऐसा करने की कोशिश होवे ही होवे| वरना और क्या मसला ले के आएगा मोदी जब हरयाणा आएगा?
बीजेपी-आरएसएस ने दिन-रात कान-फुंकाई कर-कर के लोग इतने ह्यपरसेंसिटिव कर रखे हैं कि मोदी ने यह बात कही और अधिकतर इनके पाले| इसलिए इंडिया गठबंधन वालों को हरयाणा में मोदी की एंट्री से पहले ही इस बात की काट निकाल के फैलानी शुरू कर लेनी चाहिए कि सरकार की लड़ाईयों का किसी की जाति से क्या लेना, सैनी जी की जगह खुद खटटर सीएम होता तो भी हमारा ऐसा मौका लगता तो हम यही करते, आदि-आदि|
फूल मलिक
Friday, 26 April 2024
के के खत्म होग्या।
चुड़ी पहरावण खातर घर घर, आया करती मणियारी।
चिमटा पलटा बेचया करती, ना रही गाडिया लुहारी।।
बीण बजाकर सांपों को जो, गाळ मं नचाया करते।
वो सपेले लुप्त हुए, संग खत्म हुई सांप की पिटारी।।
कांगी सुई डोरा तागड़ी आली, गुवारणी इब ना आती।
पोडर सुर्खी लाली के संग, बेचया करती चोटी कारी।।
भजनी आया करदे गाम मं, दमड़ दमड़ बजै था ढोल।
रागिनी की जब टेक चढै थी, लाग्या करती किलकारी।।
बजा डूगडूगी बांसूरी पै, नई नई धून सुणाया करता।
खेल दिखावणिया जादू का, इब ना आता कोये मदारी।।
रस्सी पै चालणिये नट बी, इब कोय दिखाई ना देता।
हल की फाली ऊपर बच्चा, पड़ जाता था जान पै भारी।।
लोक संपर्क विभाग से भी, नाटककार आया करते।
खूब हंसाया करदे सबनै, लगा चुटकुलों की तरकारी।।
कबिसर बी जब आया करते, गा गाकर करते बड़ाई।
पिछले घर से जो बी मिला, दोनों गाते थे बारी बारी।।
कुलड़ी, झाकरा और मटका, जब आहवे से उतर जाते।
भरके टोकरे में सबको, घर घर बांटया करती कुम्हारी।।
सुनील जाखड़ इब टेम बदल गया, आधुनिक सब हो गये।
के के चीज खत्म हुई गाम तैं, मनै खोल बता दी सारी।
सुनील जाखड़ पूर्व सरपंच लडायन की लेखनी से