Wednesday, 4 September 2024

खाप के प्रधान नही खाप महत्वपूर्ण होती है!

 खाप के प्रधान नही खाप महत्वपूर्ण होती है! व्यक्ति नही सामूहिकता महत्वपूर्ण होती है! समस्या है कि हम व्यक्ति की तरफ जा रहे हैं सामूहिकता की तरफ नही!

प्रधान सिर झुका सकते हैं पर व्यक्ति नही! वहां वो व्यक्ति के रुप में सिर झुका रहे थे खाप प्रधान के रुप में नही! ऐसे लोगों को खाप से बाहर करो जो खुद नही जानते कि वो कर क्या रहे हैं! संघ किन खाप प्रधान को टारगेट करता है ये निम्नलिखित हैं
1)
जो बेहद कम पढा लिखा होगा मतलब पांचवी दसवीं और दिमाग से पैदल होगा
2)
जो अन्दर से कमजोर होगा और बेहद स्वार्थी होगा
3)
जिसके परिवार में ज्यादा धार्मिकता होगी और जो खुद बहुत धार्मिक अंधता लिए होगा
4)
जिसमें जमीर नही होगा और जो थोडे लालच में ही जो काम दिया जाएगा उसे कर देगा
5)
जिसको राजनीतिक भूख बहुत ज्यादा होगी और जो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार होगा
6)
जिसे अपने खाप सिस्टम से कुछ लेना देना नही होगा और जो जैसा फीड किया जाएगा वैसा ही उगल देगा

By: Sukhwant Singh Dangi

Tuesday, 3 September 2024

पगड़ी बांधने की प्रथा सिर्फ व्यक्ति को आदर देने की प्रथा ही नहीं है, बल्कि उन्हें नेतृत्व प्रदान करने की संज्ञा भी है

 इलियट ने 1830 में जाटों के लिए लिखा है कि "पगड़ी बांधने की प्रथा सिर्फ व्यक्ति को आदर देने की प्रथा ही नहीं है, बल्कि उन्हें नेतृत्व प्रदान करने की संज्ञा भी है।"

जाट हमेशा से सांसारिक मसलों वाली नस्ल रही है। जाट को इस ग्रह के रहस्यों को संभालने वाले अज्ञात बल और सुख दुख के कारणों को खोजने में कभी भी कोई गहरी दिलचस्पी नहीं रही है।
जाट अपनी जिंदगी को खुशहाल जीवनशैली से जोड़ने के लिए कठिन परिश्रम से होकर गुजरना पसंद करता है। वो किसी थोते काल्पनिक ज्ञान में उलझता नही रहा है।
जाट किसी अन्य लोक की कहानियां सुनाने वालो या खुशियों की चाभी देने वाले गुरुओं की कथाओं में नतमस्तक नही रहा। जाट अपने सांसारिक मसलों में ही अपनी जीवनशैली निर्मित करता है।
कि मेरे पशु दूध ज्यादा कैसे देंगे इसके लिए वो किसी अज्ञात बल के भरोसे न रहकर पशु के चारे पानी उसके रहन सहन पर मेहनत करता है।
मेरी फसल की पैदावार कैसे बढ़ेगी। इसके लिए भी अज्ञात बल पर निर्भर न रहकर जाट अपनी मेहनत पर यकीन करता है। किसी प्राकृतिक आपदा के आने के बाद भी जाट किसी प्रार्थना स्थल की शरण में न जाकर फिर से अपनी फसल की पैदावार पर मेहनत करता है।
मेरी नस्ले कैसे स्वस्थ रहेंगी। इसके लिए जाट बढ़िया खान पीन और नई पीढ़ी के लिए स्वस्थ जेनेटिक श्रंखलायुक्त् सामाजिक व्यवस्थाओ से निर्मित वैवाहिक संबंधों में यकीन रखता है।
मेरे बच्चो की आर्थिक संपन्नता नष्ट न हो।पहले अधिक जमीन के लिए ज्यादा सदस्य लगते थे।तो कई भाई बहन होते थे। आज के युग में धन कमाने से ज्यादा पैतृक संपत्ति बचाना अहमियत रखता है।इसके लिए जाटों ने अपनी संतानोत्पत्ति पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है।
चलते फिरते मेहनत करते सुख दुख में अज्ञात बल का नाम किसी भी ईश्वरीय रूप में ले लेता है।जाट के सारे तीर्थ धाम उसके खेत घर या आमदनी के जरिए में है। ईश्वर के नाम पर तैनात मिडिएटर के पास दर दर भटकना जाट की जेनेटिक कोडिंग में ही नही है।
आज वक्त बदला है। जाट भी पैसे के लिए दौड़ रहा है। आज मजबूत संपत्ति के लिए और बन चुकी संपत्ति को ओर ज्यादा बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। दूसरो से पिछड़ जाने के किसी अनजाने डर के कारण कुछ भटक गए है।
थोड़ी सी चूक 100%पैसे के लिए दौड़ने के कारण हुई है। जाटों को पैसे के लिए दौड़ने वाला थोड़ा समय बच्चो की निगरानी के लिए देना होगा।
अगर आज हमारा दिमाग अशांत है चिंतित है डर में है तो इसका समाधान भी अपने सांसारिक मसलों को सुलझाने में है। किसी गुरु के पास कोई दवाई नही है।
मै किसी गुरु के विषय में अपशब्द नही कह सकता। हर कोई किसी न किसी की जिंदगी पर प्रभाव छोड़ता है। हो सकता है कुछ लोग प्रभावित होते हो।
मुझे दुख है अपने पगड़ीधारियो पर जो खुद को नेतृत्व बताकर चरणों में समर्पित हो गए। कोई समुदाय या समूह ऐसे नेतृत्वकर्ताओं का क्या करेगा? जो उन्हें किसी भी दुख के समाधान के लिए वास्तविकता की जगह किसी के चरणों में पहुंचा दे।
मै अपील करूंगा कि हमे ऐसे किसी नेतृत्व को नहीं स्वीकारना चाहिए। जो वास्तविकता से ज्यादा समुदाय को किसी के इस्तेमाल का साधन बनाए।
वास्तविक जट्ट

Sunday, 1 September 2024

विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस कराते थे कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं!

ऐसा खुद उनका अपना ही एक पूर्व कार्यकर्ता कोर्ट में एफिडेविट दे कर बोल रहा है

इस खबर से जुड़ी हुई हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर का लिंक कमेंट बॉक्स में दिया जा रहा है जिसमें कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा के ऊपर हमला बोला है

पढ़िए पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की यह पोस्ट  - 

'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी, यशवंत शिंदे ने भारतीय राज्य महाराष्ट्र में नांदेड़ अदालत में एक हलफनामा दायर किया है कि वह बम विस्फोट प्रशिक्षण का गवाह था और आरएसएस देश भर में बम विस्फोटों में शामिल था।

यशवंत शिंदे ने हलफनामे में कहा कि आरएसएस भारत में सभी बम विस्फोट कर रहा था।

“1999 में, जब आवेदक महाराष्ट्र में था, इंद्रेश कुमार ने उससे कहा कि वह कुछ लड़कों को पकड़कर जम्मू ले जाए जहाँ उन्हें आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए लड़कों का चयन करने के लिए ठाणे (महाराष्ट्र) में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की राज्य स्तरीय बैठक हुई। उस बैठक में आवेदक का परिचय नांदेड़ के एक हिमांशु पांसे से हुआ। उस समय हिमांशु पांसे गोवा में विहिप के पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे। उन्हें और उनके 7 दोस्तों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया था। आवेदक हिमांशु और उसके 7 दोस्तों को लेकर जम्मू गया। वहां उन्होंने भारतीय सेना के जवानों से आधुनिक हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त किया,” हलफनामे में लिखा है।

“इन दो व्यक्तियों ने आवेदक को सूचित किया कि बम बनाने का एक प्रशिक्षण शिविर शीघ्र ही आयोजित होने वाला था और उसके बाद, पूरे देश में बम विस्फोट करने की योजना थी। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि देश के विभिन्न भागों में अधिक से अधिक बम-विस्फोट करने की जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए। वे चौंक गए लेकिन अपने चेहरे पर नहीं दिखा और उनसे हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा कि क्या यह 2004 के लोकसभा चुनाव की तैयारी थी। उन्होंने जवाब नहीं दिया, ”हलफनामे में लिखा है।

हलफनामे के मुताबिक एक राकेश धावड़े उसे ट्रेनिंग के स्थान पर लाकर वापस ले जाता था. वह वही धावड़े था जिसे बाद में मालेगांव 2008 विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था। “प्रशिक्षण के बाद आयोजकों ने विस्फोटों की रिहर्सल करके बमों का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षुओं को एक वाहन में एक सुनसान वन क्षेत्र में ले गए। प्रशिक्षु एक छोटा गड्ढा खोदते थे, उसमें टाइमर के साथ बम लगाते थे, उसे मिट्टी और बड़े शिलाखंडों से ढँक देते थे और बम को विस्फोट कर देते थे। उनके परीक्षण सफल रहे। हलफनामे में कहा गया है कि बड़े विस्फोट हुए और पत्थरों को लंबी दूरी तक फेंक दिया गया।

हलफनामे के अनुसार, आवेदक कई बार नांदेड़ गया और हिमांशु पानसे को बम-विस्फोट में शामिल न होने के लिए मनाने की कोशिश की, क्योंकि यह चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए संघ परिवार की साजिश थी। “आरएसएस और भाजपा नेताओं ने जानबूझकर इस परियोजना में आवेदक को शामिल किया था क्योंकि वे जानते थे कि अगर वह चाहता तो वह पूरे देश में विस्फोट कर सकता है। उनका महाराष्ट्र में 'गर्जना', जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, असम और यूपी में 'हिंदू युवा छात्र परिषद', कर्नाटक में 'श्री राम सेना' और पश्चिम बंगाल में तपन घोष जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ संपर्क था।" हलफनामा पढ़ें।

“अगर वह चाहता तो 500-600 बम विस्फोट कर सकता था। लेकिन जैसा कि वह नेताओं के गुप्त इरादों को जानता था, उसने उनकी योजना को विफल कर दिया और उसे सफल नहीं होने दिया। उन्होंने तपन घोष को नेताओं की गलत मंशा के बारे में भी आश्वस्त किया। तपन घोष ने उनकी बात मान ली और इन नापाक हरकतों से खुद को दूर कर लिया। इसी तरह कर्नाटक के श्री राम सेना के प्रमोद मुतालिक जो तपन घोष के करीबी थे, उन्होंने भी कुछ नहीं किया। इस प्रकार, आवेदक ने आरएसएस और भाजपा की विनाशकारी योजना को विफल कर दिया और कई निर्दोष हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों की जान बचाई, ”हलफनामे में कहा गया है।

“चूंकि आरएसएस और विहिप की पूरे देश में विस्फोट करने की योजना उतनी सफल नहीं थी जितनी उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा को राजनीतिक रूप से फायदा नहीं हुआ। नतीजतन 2004 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला। मिलिंद परांडे जैसे व्यक्ति जो मुख्य साजिशकर्ता थे, डर गए और भूमिगत हो गए, लेकिन वे गुप्त रूप से साजिश रचते रहे। भूमिगत रहकर उन्होंने देश भर में कई बम-विस्फोट किए और पक्षपाती पुलिस और एक तरफा मीडिया की मदद से मुसलमानों पर दोष मढ़ दिया। इससे उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में मदद मिली।'

हलफनामे के मुताबिक, 2014 में बीजेपी ने केंद्र की सत्ता हासिल की और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. इसके परिणामस्वरूप विहिप और आरएसएस से संबंधित सभी भूमिगत विनाशकारी ताकतें अचानक सक्रिय हो गईं। "आवेदक देख सकता था कि पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, आदि में आतंकवादी विरोधी-संवैधानिक गतिविधियों के पीछे वही लोग थे और जानबूझकर पूरे देश में अविश्वास और भय का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे।"

हलफनामे के अनुसार, आवेदक इस मामले में एक महत्वपूर्ण गवाह है, क्योंकि वह इस मामले में शामिल आरोपियों के साथ सिंहगढ़ में आतंकी प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुआ था। "इसके अलावा, जहां तक आवेदक को पता है, इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता जैसे। 1) मिलिंद परांडे, 2) राकेश धवाडे, जो पुणे के पास सिंहगढ़ में प्रशिक्षण शिविर के मुख्य आयोजक थे और 3) रवि देव (मिथुन चक्रवर्ती) जिन्होंने आरोपियों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है और उन्हें आरोपी बनाया गया है। इस मामले में।"

हलफनामे के अनुसार, मिलिंद परांडे वर्तमान में विहिप के 'केंद्रीय संघटक' (राष्ट्रीय आयोजक) हैं। वह विहिप के मुख्य कार्यालय आर.के. पुरम, नई दिल्ली। राकेश धवाडे पुणे के रहने वाले हैं। उन्हें मालेगांव 2008 विस्फोट मामले और कुछ अन्य विस्फोट मामलों में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह जमानत पर है। रवि देव (मिथुन चक्रवर्ती) हरिद्वार में रहते हैं और उनका मोबाइल नंबर 9411786614 है।

हलफनामे में, आवेदक ने कहा है कि जिन तीन व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है, वे 2006 के नांदेड़ विस्फोट मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं। "आवेदक अनुरोध करता है कि उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए।" हलफनामे में कहा गया है।'

Pankaj Chaturvedi


Source: https://www.facebook.com/share/p/VyV6XG3ms1b8AMUN/?mibextid=oFDknk

Saturday, 24 August 2024

ज्ञानवापी मंदिर तोड़ने का फरमान औरंगज़ेब ने जारी किया था 👇👇👇 *****

पर आप जानते हैं  - क्यों?

कच्छ की महारानी के साथ मंदिर के महन्त ने बलात्कार की कोशिश की थी

मंदिर के तहखाने में अनेक औरतें और लाशें बंद पाई गई थीं 


मंदिर तोड़ने से पहले औरंगज़ेब ने महारानी से पूछा था कि क्या करना है, महारानी ने जब तोड़ने की अनुमति दी तब फरमान जारी हुआ था


देखिए 


इतिहासकार बी द्वारा एन पांडेय के अनुसार: कच्छ की 8 रानियां बनारस शहर में काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए गईं, जिनमें से सुंदर रानी का ब्राह्मण महंतों द्वारा अपहरण कर लिया गया


कच्छ के राजा द्वारा औरंगजेब को इसकी सूचना दी गई, जिन्होंने कहा कि यह उनका धार्मिक व व्यक्तिगत मामला है।वह उनके आपसी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन जब कच्छ के राजा ने शिकायत की, तो औरंगजेब ने सच्चाई का पता लगाने के लिए कुछ हिंदू सैनिकों को भेजा, लेकिन महंत के लोगों ने औरंगजेब के सैनिकों को मार डाला, डांटा और भगा दिया।


जब औरंगजेब को इस बात का पता चला तो उसने स्थिति का जायजा लेने के लिए कुछ विशेषज्ञ सैनिकों को भेजा, लेकिन मंदिर के पुजारियों ने उनका विरोध किया। मुगल सेना भी लड़ाई में आ गई, मुगल सैनिक और महंत मंदिर के अंदर फंस गए और युद्ध में मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।तीसरे दिन सैनिकों को सुरंग में प्रवेश करने में सफलता मिली और वहां हड्डियों की कई संरचनाएं मिलीं। जो केवल महिलाओं के थे


सैनिकों ने मंदिर में प्रवेश किया और लापता रानी की तलाश शुरू कर दी। 

इस संबंध में, मुख्य मूर्ति (देवता) के पीछे एक गुप्त सुरंग की खोज की गई थी जो बहुत जहरीली गंध छोड़ रही थी। दो दिन तक दवा छिड़ककर बदबू दूर करने की कोशिश करते रहे और सैनिक देखते रहे।


कच्छ की लापता रानी का शव भी उसी स्थान पर पड़ा हुआ था, उसके शरीर पर एक कपड़ा भी नहीं था। मंदिर के मुख्य महंत को गिरफ्तार कर लिया गया और कड़ी सजा दी गई


(बी. एन. पाण्डेय, खुदाबख्श मेमोरियल एनविल लेक्चर्स, पटना, 1986 द्वारा उद्धृत। ओम प्रकाश प्रसाद: औरंगज़ेब एक नई दृष्टि, पृष्ठ 20, 21)


~ Prof. Dr. Arun Prakash Mishra

Thursday, 22 August 2024

हरियाणा के प्रवक्ता और विशेषज्ञों ध्यान दो !

ये लंबी-चौड़ी जानकारी से भरी पोस्ट इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि कुछ दिनों से ऐसे लोग हरियाणा के विशेषज्ञ और प्रवक्ता बनकर TV डिबेट में बैठ रहे हैं, जिन्हें हरियाणा का 'ह' तक नहीं पता।

ये लोग 4 गुगल सर्च मारकर एक्सपर्ट बन जाते हैं और हद दर्जे का गुड़-गोबर कर रहे हैं। कहने को TV पर BJP के विरोध में बोलने जाते हैं, लेकिन अपने अध-कचरे ज्ञान के ज़रिए बीजेपी की ही मदद करते हैं।
ऐसे लोगों के लिए कुछ बेसिक जानकारियां Share कर रहा हूं। अगर इनको पढ़कर TV पर जाओगे तो हम हरियाणा वालों पर बड़ी मेहरबानी होगी। इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों के कामों का प्वाइंट-टू-प्वाइंट विश्लेषण है।
शिक्षा के क्षेत्र में काम
कांग्रेस
केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ बनवाया
12 नए सरकारी विश्वविद्यालय बनवाए
154 नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, 56 नए आईटीआई, 4 नए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गए।
राजीव गांधी एजुकेशन सोसाइटी सोनीपत में बनवाई।
भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का शिलान्यास करवाया।
2623 नए स्कूल बनाए, 1 नया सैनिक स्कूल रेवाड़ी, 6 नए केंद्रीय विद्यालय बनवाए
शिक्षा विभाग में 1 लाख से अधिक नौकरियां 25000 जेबीटी, 25000 टीजीटी-पीजीटी, स्कूल स्टाफ, 50000 यूनिर्वसिटी, इंस्टिट्यूट स्टाफ इत्यादि।
हर जिले में DIET खोले गए।
डाक्टर अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना लागू की।
बीजेपी
एक भी केंद्रीय विश्वविद्यालय, सरकारी विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, आईटीआई, इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोले।
भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का दूसरे राज्य में स्थानांतरण करवाया।
5000 स्कूल बंद किए।
0 जेबीटी भर्ती, 38000 टीचर्स पद खाली, पीटीआई, ड्राइंग अध्यापकों को नौकरी से निकाला।
DIET बंद किए।
डाक्टर अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना को बंद किया।
राष्ट्रीय शैक्षिणक संस्थान
कांग्रेस
हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बना था जहां IIIT, IIM, IIHM, AIIMS (बाढ़सा), IIt Ext.(सोनीपत, बाढ़सा ), NID (कुरुक्षेत्र), NIFT(पंचकुला), FDDI(रोहतक), NIFTEM(सोनीपत), IICA(गुरुग्राम), NCI(बाढ़सा), टूल रुम (अंबाला, रोहतक) GCNEP(बहादुरगढ़), CIPET(मुरथल) जैसे सभी राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान खुले थे।
बीजेपी
10 साल में प्रदेश में एक भी राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान नहीं खुला।
स्वास्थ्य सेवाएं के काम
कांग्रेस
1 नया स्वास्थ्य विश्वविद्यालय गोहाना, 6 नए मेडिकल कॉलेज
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट और एम्स-2 बाढ़सा बनवाया
एम्स-2 में 10 राष्ट्रीय सुपर स्पेशियलिटी संस्थान मंजूर करवाए
641 नए ग्रामीण अस्पताल बनवाए सीपीसी-पीएचसी
एमबीबीएस की फीस सिर्फ 40हजार थी
बीजेपी
एक भी ख़ुद का मेडिकल कॉलेज व मेडिकल विश्वविद्यालय पूरा नहीं बनवाया
भाजपा सरकार ने एम्स-2 में आने वाले सभी सुपर स्पेशियलिटी संस्थान रद्द करवाए
MBBS की फीस 40 लाख रुपये की
रोजगार के काम
कांग्रेस
2 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी।
सर्वाधिक निवेश से रिकार्ड रोजगार सर्जन
ठेकेदारी प्रथा खत्म करने की नीति बनाई।
सबसे ज्यादा विदेशी कंपनियां हरियाणा में आई, नौकरियां बढ़ी
हर साल फौज में 5500 पक्की भर्तियां होती थीं
बीजेपी
30+ पेपर लीक, एचएसएससी घोटाले, एचपीएससी दफ्तर में करोडों रुपये पकड़े गए, हर भर्ती में गैर हरियाणवियों को प्राथमिकता दी गई।
भारत सरकार के अनुसार छह साल से हरियाणा बेरोजगारी में देश में पहले स्थान पर है।
कौशल निगम की ठेकेदारी प्रथा शुरू की।
बेरोजगार युवाओं का डंकी के रास्ते विदेशों में पलायन हुआ।
अग्निवीर योजना के तहत 914 अग्निवीर भर्ती किए।
औद्योगिक क्षेत्र के काम
कांग्रेस
6 नई आईएमटी (HSDIC औद्योगिक क्षेत्र), मारुती, एशियन पेंटस, एनटीपीसी, रिलाइंस, होंडा, आईओसी, पेनासोनिक, योकोहामा, डेंसो, जैसे बड़े उद्योग लगे थे।
रेल कोच फैक्ट्री, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी मंजूर करवाया था
प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, रोजगार में नंबर एक था
बीजेपी
एक भी IMT स्थापित नहीं की।
एक भी बड़ा निवेश नहीं आया, उद्योग जगत में दहशत का माहौल बनाया, छोटे-बड़े उद्योगों ने पलायन किया।
रेल कोच फैक्ट्री, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का यूपी में स्थानानतरण करवाया।
बेरोजगारी, अपराध, नशा, पलायन, भ्रष्टाचार में प्रदेश को देश में नंबर एक बनाया
बिजली के क्षेत्र में काम
कांग्रेस
5 पावर प्लांट, 1 मंजूरशूदा परमाणू संयंत्र
किसानों व घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे सस्ती बिजली दी
घरेलू व खेती की बिजली लाइन, ट्रांसफार्मर व फीडर अलग-अलग बनाए
बीजेपी
एक भी पॉवर प्लांट व परमाणू संयंत्र स्थापित नहीं किया।
अडाणी से समझौते में संशोधन कर बीजेपी ने सबसे महंगी बिजली प्रदेश को दी।
लाखों रुपये में भी नहीं मिलता किसान को ट्यूबवैल कनेक्शन।
रेल व मेट्रो सेवा
कांग्रेस
81 किलीमीटर लाइन बनाकर 4 शहरों को मेट्रो से जोड़ा गया था।
250 किमी की नई रेल लाइन बनी / मंजूर हुई थी।
RRTS (रैपिड मेट्रो दिल्ली-सोनीपत-पानीपत, दिल्ली-गुड़गाव-अलवर तक) मंजूर करवाया था।
बीजेपी
मेट्रो का एक भी खंभा नहीं लगा।
एक इंच भी रेल लाइन नहीं बढ़ी है।
RRTS योजना पर भी कोई काम नहीं हुआ है।
SC व गरीब कल्याण के काम
कांग्रेस
SC समेत 4 लाख गरीब परिवारों को सौ-सौ गज के मुफ्त प्लाट दिए।
SC समेत 3.5 लाख परिवारों को मुफ्त मकान दिए।
15,000 ग्रामीण चौकीदार, 11,000 ग्रामीण सफाईकर्मी व 13,000 शहरी सफाईकर्मी भर्ती किए थे
सफाईकर्मियों को पक्का करने की नीति भी बनाई थी
20 लाख गरीब स्कूली विद्यार्थियों को वजीफा दिया था।
मनरेगा की रोजगार गारंटी योजना शुरू की थी।
देश में सबसे ज्यादा मनरेगा मजदूरी दी थी।
10 लाख 16 हजार 532 गरीब परिवारों को मुफ्त टंकी, टोंटी व पानी का कनेक्शन दिया था।
गरीब परिवार को 5 किलो अनाज, दाल, चीनी, तेल, मिट्टी का तेल व नमक आदि मिलता था।
SC वर्ग के बैकलॉग भरकर प्रदेश रिकार्ड नौकरियां दी थी।
SC निगम में करोड़ों रुपये के कर्ज माफ किया था।
SC के विरुद्ध अपराधों पर सख्त व त्वरित कार्रवाई होती थी।
सोनीपत जिले में बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम से लॉ यूनिर्वसिटी बनाई थी।
बीजेपी
SC एवं गरीब परिवारों को एक इंच जमीन नहीं दी।
100-100 गज के प्लॉट की स्कीम बंद की।
सफाईकर्मियों को पक्का करने की नीति को खत्म किया।
करोड़ों का छात्रवृत्ति घोटाला किया और वजीफे को बंद किया।
मनरेगा का बजट आधा किया।
गरीब परिवारों को पानी की टंकी व टोंटी का बिल भेज दिया।
SC एवं गरीब परिवारों को कुल पांच किलो अनाज दिया जाता है।
नौकरियों का निजीकरण करके आरक्षण खत्म करने का प्रयास किया गया।
SC निगम में किसी भी वर्ग का कर्ज माफ नहीं किया गया।
SC वर्ग के नाम पर कोई शिक्षण संस्थान नहीं बनाया गया।
SC वर्ग के विरुद्ध अपराधों में दो गुणा वृद्धि हुई।
OBC कल्याण के काम
कांग्रेस
BC को क्लास 1 और 2 में मिलने वाली आरक्षण की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया।
BC A को क्लास 1 और 2 में 10 प्रतिशत अलग आरक्षण दिया गया।
सौ-सौ गज के प्लाट, वजीफा व पक्के मकान देने की योजना में भी BC-A वर्ग को शामिल किया।
BC निगम के कर्जे माफ किए गए।
केश कला व माटी कला बोर्ड बनाया।
बीजेपी
BC को क्लास 1 और 2 के आरक्षण में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की।
क्रीमी लेयर आय लिमिट घटाकर आरक्षण छिना।
BC वर्ग की सभी योजनाओं को बंद किया।
BC वर्ग के कोई कर्ज माफ नहीं किए।
केश कला व माटी कला बोर्ड को बंद किया।
डोमिसाइल की शर्त को 15 साल से घटाकर 5 साल करके SC-BC वर्ग के आरक्षण को खत्म किया गया।
किसान कल्याण के काम
कांग्रेस
किसानों के 1600 करोड़ के बिजली बिल व 2200 करोड़ का कर्जा माफ किया।
किसानों को शून्य ब्याज पर फसली ऋण प्रदान किया।
गेहूं की MSP 126 प्रतिशत, धान की एमएसपी 143 प्रतिशत बढ़ी थी
गन्ने के भाव देश में सर्वाधिक 117 से बढ़ाकर 310 दिया था।
किसानों को कभी आंदोलन नहीं करना पड़ा था।
समय पर सस्ते रेट में पूरा खाद दिया।
बीजेपी
एक भी किसान का बिजली बिल व कर्जा माफ नहीं किया।
किसानों पर GST थोपी।
किसानों को 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल में उलझाया।
गेहूं पर 39 प्रतिशत व धान पर 54 प्रतिशत एमएसपी बढ़ाई।
गन्ने का रेट सिर्फ 19 प्रतिशत बढ़ाया।
750 किसान शहीद हुए। न एमएसपी की गांरटी मिली और न ही दोगुणी आय का वादा पूरा किया।
खाद के कट्टे का वजन घटाया, रेट बढ़ाया, समय पर खाद नहीं दिया।
महिला सम्मान
कांग्रेस
शिक्षक भर्ती में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया।
पुलिस विभाग में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया।
छात्राओं को मुफ्त बस सेवा
खिलाड़ियों को देश में सबसे ज्यादा ईनाम, सम्मान और DSP जैसे पद दिए
रजिस्ट्री फीस स्टांप ड्यूटी में 2 प्रतिशत की छूट दी।
खून के रिश्ते में प्रोपर्टी ट्रांसफर पर स्टांप ड्यूटी मुक्त किया।
बीजेपी
महिलाओं के विरुद्ध अपराध में हरियाणा देश में नंबर एक।
महिला खिलाड़ियों का किया घोर अपमान।
खेल मंत्री पर यौन उत्पीड़न के लगे आरोप, नहीं हुई कोई कार्रवाई।
शिक्षकों के 25000 पद खत्म किए।
रजिस्ट्री फीस स्टांप ड्यूटी बढ़ाई।
खेल व खिलाड़ी के काम
कांग्रेस
पदक लाओ-पद पाओ नीति लागू की।
खिलाड़ियों को 5 करोड़ तक नकद ईनाम व DSP, इंस्पेक्टर पद पर नियुक्ति
750 पदक विजेता खिलाड़ियों की सीधी भर्ती की
SPAT नीति लागू की
481 खेल स्टेडियम-परिसर बनवाए
बीजेपी
खेल स्टेडियम-परिसर नहीं बनाए।
खिलाड़ियों की उच्च पदों पर नियुक्ति बंद की।
हुड्डा सरकार में नियुक्ति DSP को आजतक पदोन्नति नहीं दी
SPAT खेल बंद किए
3% खेल कोटा खत्म किया।
महंगाई का मुद्दा
कांग्रेस
सभी पड़ोसी राज्यों से सस्ता पेट्रोल-डीजल था
VAT सिर्फ 8.9% था
400 रुपये में गैस सिलिंडर था
बीजेपी
देश में सर्वाधिक मंहगाई वाला राज्य बना,
VATदोगुणा किया
गैस सिलिंडर बढ़कर 1000 के पार हुआ
रजिस्ट्री फीस, डॉक्यूमेंट्स फीस, टैक्स, किराया सबने महंगाई के रिकॉर्ड तोड़े
बीजेपी के घोटालों की लिस्ट
1. FPO घोटाला
2. सहकारिता घोटाला
3.शराब घोटाला,
4.जहरीली शराब घोटाला,
5.CAG आबकारी घोटाला
6.HSSC भर्ती घोटाला,
7.HPSC घोटाला,
8.पेपर लीक घोटाला,
9.कैश फॉर जॉब
10.डाडम खनन घोटाला,
11.यमुना खनन घोटाला,
12.ग्वाल पहाड़ी घोटाला,
13.प्रोपर्टी ID घोटाला,
14.धान घोटाला,
15.चावल घोटाला,
16.बाजरा खरीद घोटाला,
17.राशन घोटाला,
18.सफाई फंड घोटाला,
19.रोडवेज किलोमीटर स्कीम घोटाला,
20.HTET घोटाला,
21.छात्रवृति घोटाला,
22.फसल बीमा योजना घोटाला,
23.बिजली मीटर खरीद घोटाला,
24.मेडिकल सामान ख़रीद घोटाला,
25.शुगर मिल घोटाला,
26.अमृत योजना घोटाला,
27.सड़क निर्माण घोटाला,
28.स्टेडियम निर्माण घोटाला...
29. Family ID घोटाला
30. आयुष्मान योजना घोटाला
31. गुरुग्राम नगर निगम घोटाला
32. फरीदाबाद नगर निगम घोटाला
33. CET की नई भर्ती ग्रुप-56 और 57 में घोटाला उजागर हुआ, जिसकी शिकायत लेकर हजारों युवा HSSC दफ्तर पहुंचे थे.
34. CET ग्रुप 1 और 2 में रोल नंबर जारी करने को लेकर धांधली सामने आई.
इत्यादि, इत्यादि... जितने गिनवाएंगे, उतने कम हैं.
इसके अलावा किसी को भी कोई जानकारी चाहिए तो Please Inbox कीजिए, पूरी कोशिश करूंगा।

Wednesday, 21 August 2024

मामा की पुत्री से विवाह के उदाहरण!

 अर्जुन ने अपने मामा की लड़की सुभद्रा से विवाह किया जिससे उसका पुत्र अभिमन्यु पैदा हुआ। कुन्ती और सुभद्रा के पिता सगे भाई-बहन थे, दोनों शूरसेन की सन्तान थे। कुन्ती का वास्तविक नाम पृथा था, राजा कुन्तीभोज ने पिता शूरसेन से गोद लेने के कारण कुन्ती पड़ा। इसलिए तो अर्जुन को पार्थ कहा जाता है।

वासुदेव की दो पत्नियाँ थीं . रोहिणी और देवकी। रोहिणी की सन्तान बलराम और सुभद्रा थे जबकि देवकी की सन्तान कृष्ण थे।
अभिमन्यु ने अपनी माता सुभद्रा के सगे भाई अर्थात अपने सगे मामा बलराम की पुत्री वत्सला से विवाह किया। सुभद्रा और बलराम एक ही माँ रोहिणी और वासुदेव की सन्तान थे। अभिमन्यु की दो पत्नियाँ थीं - 1. उत्तरा(विराट नरेश की पुत्री) 2. वत्सला (बलराम की पुत्री)
श्रीकृष्ण के लड़के प्रद्युम्न का विवाह भी अपने मामा की लड़की रुक्मावती के साथ हुआ था।
श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध ने अपने मामा की लड़की रोचना से विवाह किया।
परीक्षत ने अपने सगे मामा राजा उत्तर(विराट नरेश के पुत्र) की लड़की इरावती से विवाह किया था।
सहदेव ने अपने सगे मामा द्युतिमान(शल्य के भाई) की बेटी विजया से विवाह किया।
बुद्ध धर्म के स्थापक,सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) का विवाह अपने सगे मामा सुप्पबुद्ध की लड़की यशोधरा से हुआ था।
बौद्ध राजा अजातशत्रु ने अपने सगे मामा प्रसेनजित को युद्ध में हराकर उनके बेटी वज्जिरा से जोर जबरदस्ती विवाह किया।
महावीर स्वामी ने अपनी पुत्री अनोज्जा(प्रियदर्शिनी) का विवाह सगी बहन सुदर्शना के पुत्र जमालि से किया।
महावीर स्वामी के सगे बड़े भाई नन्दिवर्धन का विवाह सगे मामा राजा चेटक की पुत्री ज्येष्ठा से हुआ। महावीर की माता त्रिशला और चेटक भाई बहन थे।
मौखरि वंश के राजा आदित्यवर्मा के पुत्र ईश्वरवर्मा का विवाह सगे मामा उत्तरगुप्त वंश के राजा हर्षगुप्त की पुत्री उपगुप्ता से हुआ।

Monday, 19 August 2024

विनेश सिर्फ वह खिलाडी नहीं है जो पेरिस में मैडल से चूकी हो!

किसी के भीतर का तथाकथित राष्ट्रवाद तो इसी बात के साथ खत्म हो जाता है, जब वह पेरिस ओलिंपिक जैसे स्टेज पे जा के देश का देश के झंडे का प्रतिनिधित्व करने वाली बेटी के भी विरुद्ध बोलने का जज्बा ढूंढ लाते हैं| क्या यह बात राष्ट्रवाद की परिभाषा में निहित नहीं होती कि कोई अगर आपके देश को एक इंटरनेशनल स्टेज पर रिप्रेजेंट कर रहा है तो वह आप समेत, हर एक देशवासी को रिप्रेजेंट कर रहा है? उसकी जीत में ख़ुशी व् उसकी हार में दुःख समेत उस खिलाडी को पुचाकरना-संभालना खुद को राष्ट्रवादी कहने का दम्भ भरने वाले की पहली भावना होनी चाहिए? अगर नहीं है तो ऐसे 'राष्ट्रवाद शब्द' को हाईजैक करके इसका अपने प्रोपेगंडा में इस्तेमाल करने वाले तमामों को फांसी पर टांग देना चाहिए| फांसी इसलिए कि पहले तो राष्ट्रवाद शब्द से चिपके क्यों और चिपकने के बाद उसी शब्द की परिभाषा के विरुद्ध व्यवहार करते हो? यह तक नहीं समझते कि जीते हुए से ज्यादा आपके हारे हुए भाई-बहन के साथ खड़ा होना होता है? इसको सीखने को कहीं आस्मां पे जाने की जरूरत नहीं है, बस सप्ताब (वेस्ट-यूपी, दिल्ली, हरयाणा, पंजाब, नार्थ-राजस्थान) के हर गाम-गली का कल्चर देख आओ जा के; शर्म करने लगोगे खुद को राष्ट्रवादी कहने पर| म्हारे पुरखे ऐसे नौसिखियों के लिए जो "उघाड़े" शब्द दे के गए हैं, वह गलत नहीं दे के गए| 


और विनेश सिर्फ वह खिलाडी नहीं है जो पेरिस में मैडल से चूकी हो, अपितु वह वो खिलाडी है जिसने स्पोर्ट्स-सिस्टम को सुधारने हेतु, दिल्ली के जंतर-मंत्र पर ठीक वैसे ही आवाजें उठाई जैसे इसके पुरखे उठाते आए| विनेश के कौम-कल्चर-किनशिप का इतिहास उठा के देख लो, सन 714 वाले मुहम्मद-बिन-कासिम से ले आज वाले मोदी-शाह के राज तक; कोई शताब्दी ऐसी नहीं मिलेगी, जब इस कौम-कल्चर-किनशिप ने तमाम शासकों को उनकी गलतियां ना दिखाई हो, व् ज्यादा अड़ियल को ना झुकाया हो| और यह जज्बा जा नहीं सकता, क्योंकि यह कौम-कल्चर-किनशिप से ले जेनेटिक्स तक से आता है| 


फूल मलिक

हमें गर्व हैं कि हमने हमारी पहलवान बेटी के लिए आन्दोलन किया

हमें गर्व हैं कि हमने हमारी पहलवान बेटी के लिए आन्दोलन किया, जिसने ओलंपिक्स में एक ही दिन में संसार की तीन धुरंधर पहलवानों को धूल चटाई। भले ही वो किसी कारण मेडल नहीं जीत पाई, पर उसने हमारा दिल जीता।

इसीलिए हमने उसका एक विजेता की तरह विराट स्वागत कर, उसको अहसास दिलाया कि मेडल तो मात्र टोकनिज़्म हैं। पर यदि किसी को लगता हैं कि विनेश का इतना भव्य स्वागत करना एक अपराध हैं, तो उसको मानसिक इलाज की आवश्यकता हैं।
अब मैं आपको बताता हूं कि सकारात्मक और नकारात्मक "जातिवाद" में क्या अंतर हैं:
गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां, डेरा सच्चा सौदा का प्रधान, श्री गंगानगर का जाट हैं, पर जब इस पर अपराधों—हत्या और ब्लातकार—में संलिप्त होने का आरोप लगा, तो किसी जाट ने इसका पक्ष नहीं लिया। उल्टे अन्य हिन्दुओं ने इसका पक्ष लिया, पर किसी जाट ने नहीं।
दूसरी ओर, वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर राज्य के कठुआ में एक नन्हीं मुस्लिम लड़की का अपहरण, ब्लातकार और हत्या हुई, तो उन अपराधियों के पक्ष में जम्मू के राजपूतों और अन्य हिन्दुओं ने बड़े स्तर पर रैलियां निकाली।
इसी वर्ष में उत्तर प्रदेश के उन्नाव के कुलदीप सिंह सेंगर नामक एक एमएलए को एक नाबालिग लड़की का ब्लातकार करने के आरोप में जेल भेजा गया, तो उत्तर प्रदेश के राजपूतों ने कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में रैलियां निकाली।
वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की का ब्लातकार और हत्या हुई, तो राजपूतों ने आरोपियों के पक्ष में बड़े स्तर पर रैलियां आयोजित की, क्योंकि सारे आरोपी राजपूत जाति के थे।
इसके पश्चात् कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने कुश्ती संघ के प्रधान बृजभूषण शरण सिंह पर छेड़खानी का आरोप लगाया, तो लाखों राजपूतों ने बृजभूषण शरण सिंह के लिए आसमान ऊपर उठा दिया। हालांकि एक नाबालिग पहलवान तो स्वयं ही राजपूत थी, जिसने बृजभूषण पर छेड़खानी का आरोप लगाया।
यह ही अन्तर हैं जाटों के "जातिवाद" में और अन्य हिन्दुओं के "जातिवाद" में।

Shivatva Beniwal

सलुमण का मतलब

 सलुमण का मतलब आज 90साल से ऊपर एक बुजुर्ग ताई से पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि इसका मतलब है सावन का त्योहार जो रिश्तेदारियों में तीज पर सिंधारा,कोथली के बाद मनाया जाता था,बेटी बहन कभी भी शादी के तुरंत बाद आने वाले सामन में अपनी ससुराल न रुक कर अपने मायके रुका करती थी और अपनी पहचान बना सारा घर लीपा करती और एक तागा या ज्योत घर के आंगन,दहलीज,देहल,पशुओं के ठान या खेत में बने दो ईंटों के बीच बने दादा खेड़ा को पूजा करती और कहती हे मालिक आगे सुख राखिए,इस घर बार जहां मैने जन्म लिया उसकी मेर बनाए राखिए और बाबू,भाई घर के बड़े के एक तागा बांध दिया करती। कहीं कहीं आपस में इकट्ठी हो पिंग झूल लेती और देशी गीत गा लिया करती। चमासे में गुड तेल के गुलगुले,सुहाली खाने का अलग ही मजा था जो तीज वाले दिन या आगे पीछे बारिश आने में ज्यादा मात्रा में बना लिए जाते थे।कुल मिला कर सामन में सलूमण बहन भाई के संयुक्त परिवार के आनंद रंगचाह का दिन हुआ करता जो किसान परिवारों में हजारों वर्षों से इसके रीति रिवाज परंपराओं सभ्यता संस्कृति का प्रतीक रहता आया है,गांव में रक्षा बंधन आजादी के बाद ही आया है।भाई बहन का प्यार इसकी सबसे बड़ी खूबी है तो वहीं बहन बेटी के ससुराल के परिजनों द्वारा यह पूछा जाना कि बता थारे घर से रक्षा बंधन पर तुझे क्या क्या मिला?यह बुराई भी है जबकि एक बहन भाई से अपेक्षा तो रखती है मगर कभी भी लालच नहीं करती,भाई की आर्थिक स्थिति को वह सदा समझती है।अपने घर पर अपने मां बाप के जिंदा रहते पूरा अधिकार समझती है मगर मां बाप के चले जाने के बाद यह अधिकार भाभी की वजह से कम या ज्यादा हो जाता है।कुल मिला कर यह त्यौहार परिवारों को प्यार सहित जोड़े रखने का है इसका महत्व सावन माह से ही है,लेकिन आप सभी को पता है असल में नकल तो घुस ही पड़ी है।आप सभी भाई बहनों बड़े छोटों को यह त्यौहार मुबारक हो।


Thursday, 15 August 2024

कितना भाग्यवान व् शुभकारक है विनेश खेलों के सिस्टम व् देश के लिए कि देश में ना सही परन्तु ओलिंपिक के नियमों में बदलाव करवाने का कारक बनी!

विनेश को किस्मत की मारी, बेचारी आदि कहने बारे, थोड़ा ठीक-ठीक तोल के बोलेन, कहीं आपकी यह इतनी भावुकता आपकी बेटी को मूर्ख साबित ना कर दे! दुःख होना स्वाभाविक है, परन्तु उसको बुद्धि पे हावी करके भावुक हो के हताश होना कतई सही नहीं; वह क्यों नीचे पढ़ें| 


क्योंकि जो लड़की अप्रैल-2024 में बाक़ायदा ट्वीट करती है कि मेरे साथ धोखा हो सकता है, तो उसको इतनी तो नादाँ व् मूर्ख तो नहीं ही समझो कि किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों कुछ भी खाने-पीने का ले लेगी, जिसपे उसको शक रहा होगा| व् ऐसे बना के प्रतीत करने लगे हो कि जैसे साजिशकर्ता इंडिया से ही पीछे पड़ लिए होंगे, व् उसने उनको स्पेस दे भी दिया होगा? इतनी नादाँ या मूर्ख मान रहे हो क्या अपनी बेटी को? ठीक-ठीक लगा लो| 


और ना ही मोदी एंड कंपनी को इतना ज्यादा शातिर व् तेज मानो कि सब उसकी स्क्रिप्ट से ही हो गया होगा| कहीं ना डंका बज रहा उसका कि उस लेवल पे जा के कोई ओलिंपिक का विदेशी अधिकारी उसके कहे से ऐसी साजिश कर देगा, हाँ देश वालों की गारंटी नहीं| तो कहीं तो अपने बालकों की अक्ल का भी हाथ ऊपर रखो| क्योंकि फाइनल में पहुंचने तक तो उसके साथ कोई गड़बड़ हुई नहीं, या कहो वह इतनी सतर्क थी कि होने नहीं दी| कितने ही तो डोप-टेस्ट्स से गुजरी होगी, स्क्रीनिंग से गुजरी होगी; तो इंडिया वाले उसको वहां तो किसी लेवल पर रोकने में कामयाब हुए नहीं, और ओलिंपिक में हो जाएंगे?


कई कह रहे हैं कि प्री-क्वार्टरफईनल में ही जापान वाली सबसे ताकतवर से भिड़वाना भी साजिश थी; इन कयासों को नकारात्मक डायरेक्शन में किस स्तर तक ले जाओगे; आप तो किसी ऐसी माँ की भांति व्यवहार करने लगे कि जैसे उसकी लाड़ली औलाद के लाड़ में वह इतना डूब जाती है कि उसके बच्चे को कुदरती तौर पर भी खरोंच आ जाए तो उसमें भी दिमाग में सिर्फ साजिशों के अम्बार बना बैठती है| 


प्री-क्वार्टरफईनल में सुसाकी भी तो किसी के बांटें आनी थी या वर्ल्ड-टॉप थी तो इसका मतलब यह तो नहीं था कि उसको सीधा फाइनल में ही भिड़ने आना था; या मोदी वहीँ से साजिश करवा चुका होगा, इतना भी डंका नहीं है या है? क्यास के अलावा इस बात का कोई तथ्यात्मक ठहराव है? नेगेटिव-पॉजिटिव का बैलेंस कीजिए किसी बिंदु पे तो| राऊटर-सिस्टम जैसा कुछ होता है उसके तहत आ गई वो विनेश के बांटे, पहली भिड़ंत में| 


दूसरा, ऊपर बता ही दिया; जिस तरीके से सचेत हो कर वह चल रही थी, तो क्या लगता है उसने ऐसे ही किसी के भी हाथ से कुछ भी ले के खा लिया होगा? या उसके विदेशी कोच ने कोई खाने की चीज उसके पास ऐसे ही फटकने दी होगी; एक बार को इंडियन-स्टाफ पे भरोसा नहीं भी करो तो? उसका पति तक साए की तरह उसके साथ था, तो इतना तो इर्दगिर्द का ध्यान उसने भी रखा होगा कि कम-से-कम खाने के जरिए कोई उसको गलत ना खिला जाए| 


हाँ, जहाँ मोदी, नीता अम्बानी व् पीटी ऊषा व् IAO को दोष देना है तो वह यह इंसिडेंट होने के बाद से शुरू होता है; वह चाहे उनके ब्यान रहे हों, मोदी का ट्वीट आने का वक्त व् मौका रहा हो, केस को कोर्ट में डालने में उनका गायब रहना रहा हो; वहां दोष रखो| इतना मत सब इनके ही पल्ले जड़ दो कि यह तो पता नहीं धरती के ऐसे कौनसे षड्यंत्रकारी हो गए कि एक भी दांव छोरी का कामयाब ना हुआ हो| ऐसा करके जाने कहो या अनजाने में आप विनेश को, उसके कोच को मंदबुद्धि मानने की दिशा में जा रहे हो; थाम्बो इसको यहीं, कण्ट्रोल करो अपनी भावनाओं को| और लड़की की बदकिस्मती की लकीर भी इतनी मत बढ़ाओ कि जैसे वह पहली भुग्तभोगी थी इस नियम की; वह जो 4-5 और पहले के भुग्तभोगी पहलवानों के भी तो ट्वीट्स व् मेसेज आए थे, जूरी उनसे भी तो डरी होगी कि इसको मैडल दिया तो फिर वो मोर्चा खोल के बैठेंगे, उनको भी मैडल देने होंगे| 


बल्कि विनेश को इस मामले में भाग्यशाली कहो कि इंडिया में जैसे वह सिस्टम ठीक करने को लड़ी, उसी भांति ओलिंपिक का भी सिस्टम ठीक करने का कारक बनी; जूरी ने कहा कि आगे कोई ऐसा केस आवे, उससे पहले ही यह नियम बदल लिए जावें| यह क्रेडिट दो अपनी बेटी को कि नेशनल हो या इंटरनेशनल स्तर वह दोनों जगह सिस्टम की खामियां उजागर करने का कारक तो बनी ही, इंटरनेशनल वाले को तो उसकी वजह से सुधारा भी जाने वाला है| हाँ यहाँ नेशनल वाले यानि मोदी गवर्नमेंट को कोस सकते हो कि ओलिंपिक बॉडी व् CAS से सीखे मोदी सरकार व् WFI हमारी पहलवान वहां के कानून बदलवाने में कामयाब हुई परन्तु अपने देश के ही ना बदलवा सकी; और वह भी 40 दिन धरने पे बैठ के ही नहीं अपितु तब से अब तक डेड साल होने को आया तब भी नहीं, जबकि CAS ने 7 दिन में ही किसी 'खाप-पंचायतों वाली एक ही सिटींग में न्याय कर देने की परम्परा' जैसे 7 दिन में ही केस का फैसला भी कर दिया, डेड साल के आगे 7 दिन तो एक ही सिटींग जितना ही मान सकते हैं? 


अत: मायूसी जरूर है; परन्तु उसको हताशा के स्तर तक बढ़ाने से बचें; 17 अगस्त को बेटी आ रही है इंडिया, उस दिन इतना हजूम खड़ा कर दो कि अगर कोई साजिशकर्ता वाकई में कामयाब हुआ भी होगा, तो उसको भी झटका लगे कि कैसा यह समाज है व् कैसा इनका कल्चर कि हम साजिश कर-कर थक गए परन्तु इनके हैं कि हौंसले डाउन के बजाए ऊपर-ही-ऊपर और ऊपर जाए-जाते हैं!


जय यौधेय! - फूल मलिक

Tuesday, 13 August 2024

Vinesh medal and IOA chief P T Usha stand

इस भाषण 👆का मतलब तो यही हुआ, कि जो राष्ट्रभक्ति का ठेका सिर्फ वचनों में उठाने वाले हैं; इनके कहे का उल्टा समझना चाहिए! कहाँ, इस आदमी का यह भाषण और कहाँ आज घर-आए-उए मेडल्स तक बचाने की बजाए; इन्हीं के शासन तले IOA की चीफ पीटी उषा यह कह के पल्ला झाड़ लेती है कि वजन बढ़ने-घटने की जिम्मेदारी खुद खिलाडी व् उसके कोच की होती है? और कोई उससे प्रतिउत्तर लेने वाला नहीं कि अगर ऐसा है तो फिर डाइटीशियन, फिसिओथिरेपिस्ट किसलिए भेजे जाते हैं, खिलाडियों के साथ?


खिलाडी का काम खेलना होता है व् कोच का काम उसको संबंधित खेल जैसे कि विनेश के मामले में कुश्ती; उसके दांव-पेंच सिखाने होते हैं| कोच का काम खिलाड़ी की डाइट में इतना तक ही हो सकता होगा कि वह अपने उस खेल बारे लाइफटाइम अनुभव से यह बता दे कि इसको यह खिलाओ, वह खिलाओ; परन्तु कितना व् कब खिलाओ; आखिर यह एक कोच की जिम्मेदारी कैसे हो सकती है? और हो सकती है तो फिर वही बात, यह डाइटीशियन व् फिसिओथिरेपिस्ट किसलिए भेजे जाते हैं साथ?


इन IOA वालों की रूल्स एंड रेगुलेशंस की बुक उठवा के एनालाइज की जाए, क्या-क्या क्लॉज हैं इनके व् क्या-क्या ड्यूटी हैं; ऐसे थोड़े ही कि झाड़ के पल्ला हुई एक तरफ खड़ी| वह भी राष्ट्रभक्ति का डंका पीटने वालों की सरकार में; यही राष्ट्रभक्ति है क्या कि देश का नाम बदनाम हो रहा है पेरिस जैसी इंटरनेशनल जगह पर व् यह लोग एक मिनट नहीं लगाते पल्ला-झाड़ने में?


जय यौधेय! - फूल मलिक




Thursday, 8 August 2024

आपकी सामलात की जमीनों के कानून पहले ही बदल चुके हैं, गामों के लाल-डोरे तोड़ दिए हैं; आप तो नहीं चुस्के, परन्तु मुस्लिम समाज चुस्का व् बचा ली अपनी जमीनें; आप पड़े रहो फंडियों की जागरण-कथाओं की अफीम सूंघ के! देखो नीचे कैसे:

 *आपकी सामलात की जमीनों के कानून पहले ही बदल चुके हैं, गामों के लाल-डोरे तोड़ दिए हैं; आप तो नहीं चुस्के, परन्तु मुस्लिम समाज चुस्का व् बचा ली अपनी जमीनें; आप पड़े रहो फंडियों की जागरण-कथाओं की अफीम सूंघ के! देखो नीचे कैसे:*


★ "वक़्फ़ संशोधन बिल" लोकसभा में पास नहीं हुआ... इस बिल का पास नहीं होना Pm नरेंद्र और आरएसएस गैंग की शिकस्त है..एक और शिकस्त..

◆ माहौल कुछ बनाया गया था कि "वक़्फ़ बोर्ड" ने ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है..तो फिर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में "वक़्फ़ मिनिस्टर" क्यों रखा है? वक़्फ़ तो सरकारी है..

👉 एक सवाल : अगर एक हिंदू अपनी ज़मीन किसी को हिंदू धर्म के लिए दान करता है तो क्या सरकार उस ज़मीन में "मुस्लिम ट्रस्टी" रखने देगी? 

👉 क्या सिखों की "गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC), बुद्ध/जैन मंदिर, पारसी मंदिरों में दूसरे धर्म के ट्रस्टी हो सकते हैं? 

👉 तो फिर एक मुस्लिम की धर्म के लिए दान की गई ज़मीन में "2 हिंदू ट्रस्टी" क्यों रहेंगे? कुछ तो शर्म रखनी चाहिए..

★ और वक़्फ़ की 9.4 लाख एकड़ के 70% हिस्से में मसाजिद, क़ब्रिस्तान, स्कूल, कॉलेज, मदरसे, यूनिवर्सिटी, लाइब्रेरी, यतीमख़ाने हैं..और ये ऑलरेडी सरकारी क़ब्ज़े में ही हैं..करना क्या चाहते थे?

◆ एक और सवाल : ये "2 हिंदू ट्रस्टी" कौन होंगे? RSS या अडानी-अम्बानी के लोग नहीं होंगे इस की क्या गारंटी है? और अगर RSS या अडानी-अम्बानी के लोग ट्रस्टी बनाए गए तो वक़्फ़ या'नि भारत की ज़मीनों का क्या होगा ये समझना बहुत आसान है!! आज के दिन अयोध्या में सेना की 13000 हजार एकड़ जमीन अडानी-रामदेव व् रविशंकर ढोलकापड़िये को पूज दी है, इसी से समझ जाईए इनकी मंशा

👉 और जिन्हें लगता है कि ये क़ानून सिर्फ़ वक़्फ़ के लिए है वो लोग "मा'सूम मूर्ख" हैं..ऐसा ही क़ानून दूसरे मज़हबों पर भी लागू कर देंगे..यही इन का रिकॉर्ड है.. कल को इसी कानून के तहत, तमाम *जाट शिक्षण संस्थाओं व् अन्य जातियों की भी ऐसी ही तमाम संस्थाओं की जमीन से ले आर्यसमाजी गुरुकुलों व् गौशालाओं की जमीन* RSS या अडानी-अम्बानी को चढ़ा देंगे तो कहाँ जाओगे?

● पहले रोज़ से मोदी की नज़र ज़मीन पर है..ज़मीन क़ानून, किसान क़ानून के बा'द यह मोदी की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करने की तीसरी कोशिश थी..आगे भी कोशिश जारी रहेगी..

● अगर विपक्ष मज़बूत रहा होता तो किसान कृषि बिल जैसे देश को बरबाद करने वाले क़ानून पास नहीं होते और नाही इतनी नफ़रत फैलती.. परन्तु आज विपक्ष मजबूत है तो रोक दिया है इस कानून को!

✋ भारत की 'अवाम का शुक्रिया कि मोदी की साज़िश को देर होने के बावजूद समझा और विपक्ष को मज़बूत बना दिया..देश में नफ़रत फैलाने और ज़मीन लूटने की सब से बड़ी साज़िश नाकामयाब हो गई..जय हिंद..


जय यौधेय! - फूल मलिक

Tuesday, 6 August 2024

बीजेपी सांसद रामचंद्र जांगड़ा को कोई यह आकंड़े दिखाओ!

 इस आदमी के नाम के आगे श्री या पीछे जी तो क्या ही लगाऊं, क्योंकि इसका काम नहीं ऐसा; जैसा इसने दो दिन पहले थर्ड-क्लास गंवारों वाला भाषण दिया है राज्यसभा में, वह भी अपनी ही होमस्टेट व् एथनिसिटी यानि हरयाणत का फूहड़ मजाक उठाते हुए|


एक मिथ का भी पर्दाफाश करता हुआ, यह आंकड़ा दिखाओ इस मोलड़ को| अक्सर फैलाया जाता है कि सबसे ज्यादा IAS बिहार-बंगाल से आते हैं, यहाँ तक कि गुजरात तक को यह माना जाता है कि वहां से भी ज्यादा IAS आते होंगे; परन्तु यहाँ तो आंकड़ा कुछ और ही कहता है; देखें सलंगित डाटा| सबसे ज्यादा जनसंख्या अनुपात में तो IAS दिल्ली-हरयाणा-पंजाब से आते हैं| बिहार से तो हरयाणा-पंजाब के आधे भी नहीं आते! बंगाल-गुजरात की हालत तो और खस्ता है| यानि स्पोर्ट्स-हब के साथ-साथ IAS हब भी हरयाणा-पंजाब ही हैं| यह ऐसा झूठ फैला के कोई मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जाता है क्या इन राज्यों वालों पे|

और इस दबाव बनवाने में खुद इन्हीं राज्यों के MP सबसे पहले ताल ठोंकते हैं; अभी दो दिन पहले BJP सांसद रामचंद्र जांगड़ा का हरयाणा बारे फूहड़ केटेगरी वाला थर्ड क्लास गँवारपणे से भरपूर भाषण तो सुना होगा? क्या मतलब इस जांगड़ा साहब में हरयाणवी-स्वाभिमान की ओंस भी कभी पास से नहीं निकली क्या; या इनको यह लगता है कि हरयाणवी का मतलब सिर्फ एक जाति है, हरयाणा का मजाक उड़ाओ तो उसको उड़ेगा; तुम्हारा कुछ नहीं उड़ेगा? समझाओ कोई ऐसे गंवारों को कि जन्मे-पले-बड़े तो तुम भी उसी स्टेट में हो; वह भी पीढ़ियों से! कोई शरणार्थी ऐसा गोबर फेंकता तो समझ भी आती; हरयाणा का मूल-निवासी होने के बाद; संसद जैसी जगह खड़ा हो के ऐसी बेहूदगी दिमाग में|

दो जोक्स सुनाए इसने, दोनों थर्ड क्लास, लगता है यह अपनी जिंदगी में ऐसी ही हरकतें करता रहा है|

जय यौधेय! - फूल मलिक