आखिर यह किस चीज
की कीमत चुका
रही है हरयाणवी
संस्कृति?
इनके बंद होने पीछे बताने वाले जो भी राजनैतिक, वित्तीय, मैनेजमेंट, स्ट्रेटेजी फेलियर या इसको बंद करवाने वालों की हरयाणवी से नफरत (हाँ, नफरत भी एक वजह हो सकती है और मुझे इसकी पूरी सुबाह है) को कारण बताएं, परन्तु एक बात तो जरूर है कि हरयाणवी को ब्रांड बनाने हेतु सर्वोत्तम तरीके से सक्रिय रहे इन चैनलों को हरयाणा सरकार की तरफ से जरूर मदद मिलनी चाहिए थी।
एडवरटाइजिंग
और स्पोंसर्स की
कमी झेलते हुए
भी हरयाणा ब्रांड
को खड़ा करने
में यह दो
चैनल विगत अढ़ाई
साल (Jan. 2013 to July. 2015)
से बड़ी ही
तन्मयता से सक्रिय
थे। इन दोनों
चैनलों के संचालकों-एंकरों व् कलाकारों
में से कई
के साथ तो
निजी ताल्लुक व्
पहचान भी है।
जब तक दोनों
चले हरयाणवी सभ्यता
का एक ब्रांड
के रूप में
फलने-फूलने का
बड़ा सुखद, स्वछंद
व् सहज अहसास
दे अंतर्मन को
आल्हादित करते रहे।
मेरे जैसा हरयाणवी सभ्यता एवं संस्कृति का अदना सा सिपाही भी इन प्रयासों के जनरेशन
नेक्स्ट के कांसेप्ट और आइडियाज पर सोचने-विचारने लगा था।
जैसे ही हरयाणा
में विगत सरकार
पलटी और हिंदूवादी
राज की सरकार
आई तो मन
में बड़ी उम्मीदें
थी कि जरूर
हरयाणवी सभ्यता को खड़े
करने के फोकस
टीवी हरयाणा और
ए वन तहलका
हरयाणा टीवी चैनलों
के प्रयासों को
नए आयाम मिलेंगे।
लेकिन यह क्या
कि सरकार को
आये महज सात-आठ महीनें
ही हुए थे
और हरयाणा ब्रांड
के अग्रणी अग्निपुंज
बने यह चैनल
एक के बाद
एक बंद हो
गए। हालाँकि जनता
टीवी, ईटीवी जैसे
चैनल बाजार में
अभी भी हैं
परन्तु जिस सिद्द्त
और सटायर से
यह दोनों चैनल
लगे हुए थे
वो बात दोनों चैनलों को बाकियों से अलग अलग खड़ा करती थी।
इनके बंद होने पीछे बताने वाले जो भी राजनैतिक, वित्तीय, मैनेजमेंट, स्ट्रेटेजी फेलियर या इसको बंद करवाने वालों की हरयाणवी से नफरत (हाँ, नफरत भी एक वजह हो सकती है और मुझे इसकी पूरी सुबाह है) को कारण बताएं, परन्तु एक बात तो जरूर है कि हरयाणवी को ब्रांड बनाने हेतु सर्वोत्तम तरीके से सक्रिय रहे इन चैनलों को हरयाणा सरकार की तरफ से जरूर मदद मिलनी चाहिए थी।
जय यौद्धेय! जय हरयाणा!
- फूल मलिक
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