वो कैसे, वो ऐसे:
16.25 से 16.30 मिनट्स की रिकॉर्डिंग में सुरेन्द्र मित्तल बोलता है कि "तेरी आशाराम से बुरी हालत होगी|"
और यहीं conflict आ गया क्योंकि यह रिकॉर्डिंग 13 साल पहले यानी 2002 की बताई जा रही है, जबकि उस वक्त तो आशाराम बापू बड़े मजे में थे| ना कोई केस था ना कोई लफड़ा|
हाँ अगस्त 2013 में आके जरूर आशाराम जेल गए हैं|
तो अब सुरेन्द्र मित्तल आशाराम जैसी हालत की जो दुहाई दे रहे हैं वो तो अगस्त 2013 के बाद हुई है, और इसका साफ़ संकेत है कि यह रिकॉर्डिंग 2002 की नहीं अपितु 2013 में आशाराम के जेल जाने के बाद की है|
और जिस गाने का इस रिकॉर्डिंग में जिक्र है वो 2014 में आया था|
2002 में खुद राधे माँ कहाँ थी, इसकी भी खबर है किसी को? और अब 2014 के बाद तो वो इतनी establish हो चुकी है कि क्या जरूरत उसको किसी की इतनी मान-मनुहार करने की?
निचोड़ यही है कि राधे माँ ने चाहे लाख गुनाह कर रखे हों, परन्तु उनको फंसाने वालों को उन्हें फँसाना है तो डेढ़-स्याणा बनके नहीं बल्कि सिर्फ स्याणा रह के फँसाएं|
इसमें जरूर जाति-पाति का कोई लोचा मिलेगा, find out करो!
और ऐसे ही ये टीवी वाले, जो जनता को इतना उल्लू समझते हैं कि यह जो दिखा रहे हैं जनता उसपे अपना दिमाग नहीं लगाएगी, इसलिए तो इन जैसे एंकर्स की वजह से मीडिया को भांड और प्रेस्टीच्यूट कहा जाने लगा है|
बाकी इन ढोंगी-पाखंडियों का तो बस एक ही इलाज है कि इनके सेक्टर को बिज़नेस सेक्टर की तरह रेगुलराइज कर दिया जाए| जिसको यह दान कह के लेते हैं उसको इनका service charge घोषित किया जाए और इनकी हर service failure पर compensation और reimbursement का प्रावधान डलवाया जाए| हर एक को बाकायदा गवर्नमेंट लाइसेंस इशू हो और जो नियम तोड़े उसको सीधी जेल|
विशेष: ना मैं राधे माँ का भगत हूँ और ना इंसान को भगवान बना के पूजने का समर्थक, परन्तु जो गलत है वो गलत है।
वीडियो सोर्स: http://abpnews.abplive.in/video/2015/08/06/article676380.ece/Bribing-torturing--seducing-Watch-Radhe-Maa-in-all-these-%E2%80%98Avtars%E2%80%99
Jai Yauddhey! - Phool Kumar Malik
16.25 से 16.30 मिनट्स की रिकॉर्डिंग में सुरेन्द्र मित्तल बोलता है कि "तेरी आशाराम से बुरी हालत होगी|"
और यहीं conflict आ गया क्योंकि यह रिकॉर्डिंग 13 साल पहले यानी 2002 की बताई जा रही है, जबकि उस वक्त तो आशाराम बापू बड़े मजे में थे| ना कोई केस था ना कोई लफड़ा|
हाँ अगस्त 2013 में आके जरूर आशाराम जेल गए हैं|
तो अब सुरेन्द्र मित्तल आशाराम जैसी हालत की जो दुहाई दे रहे हैं वो तो अगस्त 2013 के बाद हुई है, और इसका साफ़ संकेत है कि यह रिकॉर्डिंग 2002 की नहीं अपितु 2013 में आशाराम के जेल जाने के बाद की है|
और जिस गाने का इस रिकॉर्डिंग में जिक्र है वो 2014 में आया था|
2002 में खुद राधे माँ कहाँ थी, इसकी भी खबर है किसी को? और अब 2014 के बाद तो वो इतनी establish हो चुकी है कि क्या जरूरत उसको किसी की इतनी मान-मनुहार करने की?
निचोड़ यही है कि राधे माँ ने चाहे लाख गुनाह कर रखे हों, परन्तु उनको फंसाने वालों को उन्हें फँसाना है तो डेढ़-स्याणा बनके नहीं बल्कि सिर्फ स्याणा रह के फँसाएं|
इसमें जरूर जाति-पाति का कोई लोचा मिलेगा, find out करो!
और ऐसे ही ये टीवी वाले, जो जनता को इतना उल्लू समझते हैं कि यह जो दिखा रहे हैं जनता उसपे अपना दिमाग नहीं लगाएगी, इसलिए तो इन जैसे एंकर्स की वजह से मीडिया को भांड और प्रेस्टीच्यूट कहा जाने लगा है|
बाकी इन ढोंगी-पाखंडियों का तो बस एक ही इलाज है कि इनके सेक्टर को बिज़नेस सेक्टर की तरह रेगुलराइज कर दिया जाए| जिसको यह दान कह के लेते हैं उसको इनका service charge घोषित किया जाए और इनकी हर service failure पर compensation और reimbursement का प्रावधान डलवाया जाए| हर एक को बाकायदा गवर्नमेंट लाइसेंस इशू हो और जो नियम तोड़े उसको सीधी जेल|
विशेष: ना मैं राधे माँ का भगत हूँ और ना इंसान को भगवान बना के पूजने का समर्थक, परन्तु जो गलत है वो गलत है।
वीडियो सोर्स: http://abpnews.abplive.in/video/2015/08/06/article676380.ece/Bribing-torturing--seducing-Watch-Radhe-Maa-in-all-these-%E2%80%98Avtars%E2%80%99
Jai Yauddhey! - Phool Kumar Malik
No comments:
Post a Comment