सलंगित स्क्रीनशॉट: Crispin Bates लिखित पुस्तक "Mutiny at the Margins:
New Perspectives on the Indian Uprising of 1857" के अध्याय दो का है
जिसमें साफ़-साफ़ लिखा है कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने 1857 की क्रांति में
अंग्रेजों का साथ देने पर महार रेजिमेंट को बधाई दी थी| यह पंक्ति पढ़िए इस
स्क्रीनशॉट की ध्यान से, ""It is not surprising that Jyotiba Phule
congratulated the Mahars for aiding the British in suppressing the 1857
Revolt".
इसी सिलसिले में ज्योतिबाफुले का एक और वक्तव्य है जिसमें वह कहते हैं कि "अभी 1857 की जरूरत नहीं थी, देश पर कुछ साल और अंग्रेजों का राज रहना जरुरी है तभी देश में सुधर हो सकता है"|
और ऐसी ही बहुत सी बातें निकल आएँगी अगर और ज्यादा "चूचियों में हाड ढूंढने" की भांति मेरे जैसे भी ठीक वैसे ही महापुरुषों के करैक्टर असेसिनेशन पर उतर आये तो जैसे राजकुमार सैनी जब दांव लगता है चला आता है और "हिरै-फिरै गादड़ी और गाजरों म्ह को राह" की तर्ज पर जाट समाज पर लगता है बरगलाने|
और अबकी बार यह दांव लगा 23 मार्च 2019 को बरवाला में जननायक जनता पार्टी द्वारा किये गए शहीदी दिवस सम्मान समारोह में मुंहफट पंडित रामकुमार गौतम द्वारा आज़ादी के वक्त के 'सर', 'राव', राय-बहादुर आदि उपाधि मिले महापुरुषों को अपनी बेलगाम व् बेसोची जुबान द्वारा गद्दार बोलने व् कुर्सी के लालच में अंधे हुए अपने सगे दादा को दरकिनार गौतम में नया दादा ढूंढते हुए उनकी हाँ-में-हाँ मिलाने वाले दुष्यंत के बाद तुकबंदी जोड़ते हुए राजकुमार सैनी ने फिर से महापुरुषों के खिलाफ जहर उगला|
राजकुमार सैनी कितना ही फंडियों का भोंपू बन ले परन्तु एक बात याद रखना जाट-समाज जितनी रेपुटेशन और ओहदा आप तो क्या आपके तो फ़रिश्ते भी नहीं पा सकते| और इस ओहदे की ऊंचाई इस स्तर की है कि जाटों को तो महर्षि दयानन्द जैसे समझदार बाह्मणों तक ने अपने ग्रंथों में "जाट जी" और "जाट-देवता" लिखा-कहा और गाया है| यह ऐसा रुतबा जो बाह्मण उसके सबसे चाहते राजपूत तक को भी आजतक नहीं दिया, जाट के लिए उसके मुंह से निकलता आया| तो जाओ सैनियों के लिए लिखवा दे बाह्मणों से "सैनी जी" और "सैनी देवता" फिर बात करना जाटों से| एवीं खामखा लेते हैं और उठ के चले आते हैं| खैर कोई ना समंदर है जाट समाज, तेरे जैसे गंदंगी के नाले भी समेट लेंगे| परन्तु एक बात गौर फरमाए सैनी समाज|
मेरे जैसे समाज की ऐसी बातों पर नजर रखने वाले, राजकुमार सैनी जैसों की नादानियों को सिर्फ इसलिए दरकिनार करते आ रहे हैं क्योंकि हम उन फंडियों का भोंपू नहीं जिनका भोंपू बनके राजकुमार सैनी पिछले 2-3 साल से बदजुबानी किये जा रहा है| और इन महाशय के निशाने पर जाट समाज, सर छोटूराम और जाट रेजिमेंट यदाकदा चली आ रही हैं| अगर राजकुमार सैनी को जाट समाज के किसी व्यक्ति विशेष से कोई दिक्कत है तो उस व्यक्ति का सीधा नाम लेकर अपनी दिक्कत दूर करे; अगर वह दोषी होगा तो समाज सैनी के साथ होगा| परन्तु यह कौनसी भड़ास है कि कभी जाट रेजिमेंट, कभी जाट समाज में जन्में परन्तु सर्वसमाज के महापुरुष? वह भी उस इतिहास के जिस वक्त यह जनाब पैदा भी नहीं हुए थे?
हमारे पुरखों ने इस हरयाणा को बड़ी कुर्बानियां दे-दे इन फंडी-पाखंडियों से बचा के रखा हुआ है| जितनी सीधी टक्कर जाट समाज ने इनकी ली है सदियों से उसके राजकुमार सैनी जैसे तो पासंग भी नहीं| जहाँ आपके यहाँ फंडियों से टक्कर लेने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे इक्का-दुक्का ही हुए, वहीँ यह जाट समाज है यहाँ फंडी को फंडी कहने और ताड़ने का साहस तो जाट का बच्चा-बच्चा करता आया है| और जिन सर छोटूराम के खिलाफ इतनी लम्बी जुबान हुई जाती है उन जितनी खुली वाट तो फंडियों की पूरे हिंदुस्तान में कोई नहीं लगा सका| यहाँ तक कि बाबा साहेब आंबेडकर से ले ज्योतिबा फुले तक इनसे गच्चा खा गए थे परन्तु सर छोटूराम इनको आजीवन पटखनी दी| और जाट समाज इस मर्म को भलीभांति समझता है इसलिए राजकुमार सैनी की बकवासों पर चुप है| अन्यथा उसकी तरह बदजुबानी और अनादर करने पर उतरे तो ज्योतिबा फुले तक को घेर सकते हैं, उदाहरण ऊपर दिया है सबूत समेत|
ऐसे में मैं जिला जिंद हरयाणा में सैनी खाप के प्रधान दादा दरियाव सिंह सैनी जी (जिसने मैं 23 फरवरी 2017 को रोहतक मे खापलैंड वेबसाइट के लांच के वक्त मिला था) से अनुरोध रहेगा कि सैनी समाज या सर्वसमाज (जिसकी भी जरूरत पड़े) की खाप पंचायत बुलाकर राजकुमार सैनी की बदजुबानी को लगाम लगवाएं, अन्यथा हम आपके बालक यही मानेंगे कि आप जैसे समाज के मौजिज लोगों की भी इस मुंहफट को शय है| दादा जी तक मेरी यह चिट्ठी पहुँचाने वाले वाले का शुक्रिया| मैं खुद भी उन तक इसको पहुंचाने की कोशिश करूँगा|
अनुरोध सिर्फ इतना है कि हम नहीं चाहते कि राजकुमार सैनी जैसों के जरिये समाज को "डिवाइड एंड रूल" पर ले जाते हुए दांव लगाए बैठे फंडी का कोई और नया मौका लगे|
हम रामकुमार गौतम से सफाई लेते हुए नहीं डरे क्योंकि हमें पता है वह ना कभी हमारा था और ना होगा, चाहे जजपा वाले उसने घी में तो गाड़ लियो और दूध में नुहा लियो और गूगा बना लियो| इसीलिए शहीदी दिवस पर काटी उनकी बदजुबानी को लेकर उनके पीछे पड़े और पंडित रामकुमार गौतम एक ही दिन में फेसबुक पर आ कर सफाई दे गए| दूसरा सलंगित स्क्रीनशॉट उनकी सफाई की पोस्ट का है| परन्तु हम राजकुमार सैनी को घेरने से पहले इसलिए सोचते हैं क्योंकि फंडी ताक में बैठा है, ताक में बैठा है राजकुमार सैनी जैसों के जरिये समाज में पड़ी फूट को और गहरी करवाने को|
और यही फर्क समझा दिया जाए राजकुमार सैनी जैसों को कि पूरा सैनी समाज पिछड़ा नहीं है परन्तु तेरे जैसों की सोच के चलते समाज पर पिछड़ा होने का ठप्पा लगता है|
आशा करता हूँ कि सैनी समाज इस मर्म को समझेगा और राजकुमार सैनी जैसे फंडियों के भोंपुओं को समझायेगा|
विशेष: इस पोस्ट में प्रस्तुत किये गए महात्मा ज्योतिबा फुले के दोनों प्रसंग, इस मसले की गंभीरता को समझाने हेतु प्रयोग किये गये हैं, इसमें उनका कोई अपमान या उपहास ना देखा जावे| यह सिर्फ इस तौर पर पेश किये गए हैं कि अगर सामने वाला पक्ष भी ऐसी ही बेशर्मी पर उतर आवे जैसी पर राजकुमार सैनी उतरा हुआ है तो बेशर्मी उससे भी भारी बन जाए|
इस पोस्ट को आगे शेयर करने वालों से अनुरोध: इसको ज्यों-का-त्यों शेयर करें तो बेशक करें अन्यथा इसमें मिर्च-मशाला लगा के करना चाहें तो टाल करें, नहीं करें| यह पोस्ट समाज में शांति बहाली हेतु है, वैमनस्य बढ़ाने हेतु नहीं और यही संदेश इसको शेयर करने वाले आगे देवें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
इसी सिलसिले में ज्योतिबाफुले का एक और वक्तव्य है जिसमें वह कहते हैं कि "अभी 1857 की जरूरत नहीं थी, देश पर कुछ साल और अंग्रेजों का राज रहना जरुरी है तभी देश में सुधर हो सकता है"|
और ऐसी ही बहुत सी बातें निकल आएँगी अगर और ज्यादा "चूचियों में हाड ढूंढने" की भांति मेरे जैसे भी ठीक वैसे ही महापुरुषों के करैक्टर असेसिनेशन पर उतर आये तो जैसे राजकुमार सैनी जब दांव लगता है चला आता है और "हिरै-फिरै गादड़ी और गाजरों म्ह को राह" की तर्ज पर जाट समाज पर लगता है बरगलाने|
और अबकी बार यह दांव लगा 23 मार्च 2019 को बरवाला में जननायक जनता पार्टी द्वारा किये गए शहीदी दिवस सम्मान समारोह में मुंहफट पंडित रामकुमार गौतम द्वारा आज़ादी के वक्त के 'सर', 'राव', राय-बहादुर आदि उपाधि मिले महापुरुषों को अपनी बेलगाम व् बेसोची जुबान द्वारा गद्दार बोलने व् कुर्सी के लालच में अंधे हुए अपने सगे दादा को दरकिनार गौतम में नया दादा ढूंढते हुए उनकी हाँ-में-हाँ मिलाने वाले दुष्यंत के बाद तुकबंदी जोड़ते हुए राजकुमार सैनी ने फिर से महापुरुषों के खिलाफ जहर उगला|
राजकुमार सैनी कितना ही फंडियों का भोंपू बन ले परन्तु एक बात याद रखना जाट-समाज जितनी रेपुटेशन और ओहदा आप तो क्या आपके तो फ़रिश्ते भी नहीं पा सकते| और इस ओहदे की ऊंचाई इस स्तर की है कि जाटों को तो महर्षि दयानन्द जैसे समझदार बाह्मणों तक ने अपने ग्रंथों में "जाट जी" और "जाट-देवता" लिखा-कहा और गाया है| यह ऐसा रुतबा जो बाह्मण उसके सबसे चाहते राजपूत तक को भी आजतक नहीं दिया, जाट के लिए उसके मुंह से निकलता आया| तो जाओ सैनियों के लिए लिखवा दे बाह्मणों से "सैनी जी" और "सैनी देवता" फिर बात करना जाटों से| एवीं खामखा लेते हैं और उठ के चले आते हैं| खैर कोई ना समंदर है जाट समाज, तेरे जैसे गंदंगी के नाले भी समेट लेंगे| परन्तु एक बात गौर फरमाए सैनी समाज|
मेरे जैसे समाज की ऐसी बातों पर नजर रखने वाले, राजकुमार सैनी जैसों की नादानियों को सिर्फ इसलिए दरकिनार करते आ रहे हैं क्योंकि हम उन फंडियों का भोंपू नहीं जिनका भोंपू बनके राजकुमार सैनी पिछले 2-3 साल से बदजुबानी किये जा रहा है| और इन महाशय के निशाने पर जाट समाज, सर छोटूराम और जाट रेजिमेंट यदाकदा चली आ रही हैं| अगर राजकुमार सैनी को जाट समाज के किसी व्यक्ति विशेष से कोई दिक्कत है तो उस व्यक्ति का सीधा नाम लेकर अपनी दिक्कत दूर करे; अगर वह दोषी होगा तो समाज सैनी के साथ होगा| परन्तु यह कौनसी भड़ास है कि कभी जाट रेजिमेंट, कभी जाट समाज में जन्में परन्तु सर्वसमाज के महापुरुष? वह भी उस इतिहास के जिस वक्त यह जनाब पैदा भी नहीं हुए थे?
हमारे पुरखों ने इस हरयाणा को बड़ी कुर्बानियां दे-दे इन फंडी-पाखंडियों से बचा के रखा हुआ है| जितनी सीधी टक्कर जाट समाज ने इनकी ली है सदियों से उसके राजकुमार सैनी जैसे तो पासंग भी नहीं| जहाँ आपके यहाँ फंडियों से टक्कर लेने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले जैसे इक्का-दुक्का ही हुए, वहीँ यह जाट समाज है यहाँ फंडी को फंडी कहने और ताड़ने का साहस तो जाट का बच्चा-बच्चा करता आया है| और जिन सर छोटूराम के खिलाफ इतनी लम्बी जुबान हुई जाती है उन जितनी खुली वाट तो फंडियों की पूरे हिंदुस्तान में कोई नहीं लगा सका| यहाँ तक कि बाबा साहेब आंबेडकर से ले ज्योतिबा फुले तक इनसे गच्चा खा गए थे परन्तु सर छोटूराम इनको आजीवन पटखनी दी| और जाट समाज इस मर्म को भलीभांति समझता है इसलिए राजकुमार सैनी की बकवासों पर चुप है| अन्यथा उसकी तरह बदजुबानी और अनादर करने पर उतरे तो ज्योतिबा फुले तक को घेर सकते हैं, उदाहरण ऊपर दिया है सबूत समेत|
ऐसे में मैं जिला जिंद हरयाणा में सैनी खाप के प्रधान दादा दरियाव सिंह सैनी जी (जिसने मैं 23 फरवरी 2017 को रोहतक मे खापलैंड वेबसाइट के लांच के वक्त मिला था) से अनुरोध रहेगा कि सैनी समाज या सर्वसमाज (जिसकी भी जरूरत पड़े) की खाप पंचायत बुलाकर राजकुमार सैनी की बदजुबानी को लगाम लगवाएं, अन्यथा हम आपके बालक यही मानेंगे कि आप जैसे समाज के मौजिज लोगों की भी इस मुंहफट को शय है| दादा जी तक मेरी यह चिट्ठी पहुँचाने वाले वाले का शुक्रिया| मैं खुद भी उन तक इसको पहुंचाने की कोशिश करूँगा|
अनुरोध सिर्फ इतना है कि हम नहीं चाहते कि राजकुमार सैनी जैसों के जरिये समाज को "डिवाइड एंड रूल" पर ले जाते हुए दांव लगाए बैठे फंडी का कोई और नया मौका लगे|
हम रामकुमार गौतम से सफाई लेते हुए नहीं डरे क्योंकि हमें पता है वह ना कभी हमारा था और ना होगा, चाहे जजपा वाले उसने घी में तो गाड़ लियो और दूध में नुहा लियो और गूगा बना लियो| इसीलिए शहीदी दिवस पर काटी उनकी बदजुबानी को लेकर उनके पीछे पड़े और पंडित रामकुमार गौतम एक ही दिन में फेसबुक पर आ कर सफाई दे गए| दूसरा सलंगित स्क्रीनशॉट उनकी सफाई की पोस्ट का है| परन्तु हम राजकुमार सैनी को घेरने से पहले इसलिए सोचते हैं क्योंकि फंडी ताक में बैठा है, ताक में बैठा है राजकुमार सैनी जैसों के जरिये समाज में पड़ी फूट को और गहरी करवाने को|
और यही फर्क समझा दिया जाए राजकुमार सैनी जैसों को कि पूरा सैनी समाज पिछड़ा नहीं है परन्तु तेरे जैसों की सोच के चलते समाज पर पिछड़ा होने का ठप्पा लगता है|
आशा करता हूँ कि सैनी समाज इस मर्म को समझेगा और राजकुमार सैनी जैसे फंडियों के भोंपुओं को समझायेगा|
विशेष: इस पोस्ट में प्रस्तुत किये गए महात्मा ज्योतिबा फुले के दोनों प्रसंग, इस मसले की गंभीरता को समझाने हेतु प्रयोग किये गये हैं, इसमें उनका कोई अपमान या उपहास ना देखा जावे| यह सिर्फ इस तौर पर पेश किये गए हैं कि अगर सामने वाला पक्ष भी ऐसी ही बेशर्मी पर उतर आवे जैसी पर राजकुमार सैनी उतरा हुआ है तो बेशर्मी उससे भी भारी बन जाए|
इस पोस्ट को आगे शेयर करने वालों से अनुरोध: इसको ज्यों-का-त्यों शेयर करें तो बेशक करें अन्यथा इसमें मिर्च-मशाला लगा के करना चाहें तो टाल करें, नहीं करें| यह पोस्ट समाज में शांति बहाली हेतु है, वैमनस्य बढ़ाने हेतु नहीं और यही संदेश इसको शेयर करने वाले आगे देवें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक