यह सब कब से हुआ और कैसे हुआ उसको बड़े सलीके से अंजाम दिया गया है| और इसके परिणाम स्वरूप पहले जाट को चार धड़ों में अलग-थलग किया गया, एक शहरी जाट, दो खाप-परस्त जाट, तीन नेता व् पार्टी परस्त जाट और चार ग्रामीण जाट|
1) 3B ग्रुप ने शहरी जाट को अपने चश्मे में उतारा, उससे माताएं पुजवानी शुरू की, गैर-जाट ब्याह-शादी की चमकीली परन्तु बिना लॉजिक की परम्पराएँ प्रमोट करवाई| इससे शहरी जाट में इतना अरोगेंस भर गया कि रिटायर होने के बाद भी उसने अपने गांवों की तरफ मुड़ के नहीं देखा|
2) पूरा मीडिया और एंटी-जाट सभ्यता एनजीओ को जाट की खाप ब्रांड को धूमिल करने हेतु 2005 से उसके पीछे छोड़ा गया| इससे शहरी जाट को दूसरा कारण दिया गया गाँवों की तरफ मुड़ अपने ग्रामीण भाइयों को ना संभालने का|
3) पार्टी-परस्त जाट, इसका तो कहूँ ही क्या, इतनी तो देश में पार्टियां नहीं, जितनी जाट बहुल एक गाँव में मिल जाएँगी|
4) ग्रामीण जाट के संसाधनों व् संस्कृति को तितर-बितर करने हेतु तो सारा गेम खेला ही गया था|
और हमारे वाले अरोगेंस में बैठे रहे यह कहते हुए कि, "के बिगड़े सै, देखी जागी!"
इब तो एडी उचका-उचका देखण का ही काम रहवगा जब तक यह चार धड़ों में बंटा जाट एक हो के नहीं सोचता|
इसलिए सबसे पहले एक होवो, इनकी माता-मसानियों को अपने घरों से बाहर निकालो| खाप तंत्र को जो नहीं समझता उसको समझाओ| जो शहरी जाट है वो गाँव की तरफ मुङो| जिसको बोलना नहीं आता उसको बोलना सिखाओ| चाहे गाली खा के सिखाओ परन्तु सिखाओ|
क्योंकि एंटी-जाट 3B ताकतें जाट को दलित और पिछड़े से तोड़ रही हैं और जाट सिर्फ खड़े देख रहे हैं| जाटो जब तक आगे बढ़ के अपने आपको स्पष्ट नहीं करोगे, दलित-पिछड़ा आपके एंटी 3B की ही सुनेगा| अपने आपको प्रमोट करो, मार्किट करो और बोलना शुरू करो|
मैं यही नहीं कहता कि दलित-पिछड़े को ले के आपसे कोई गलती नहीं हुई होगी, परन्तु इतना भी जानता हूँ कि आप से कहीं कई गुना ज्यादा दलित-पिछड़े का नुक्सान इन्होनें किया है| और दलित-पिछड़े को इस बात का अच्छे से अहसास भी है, पंरतु अगर आप ऑप्शन ही खत्म कर दोगे तो वो आपके साथ कैसे जुड़ा रह पायेगा?
अत: जरूरत है तो वो उस नुकसान को आगे रखने की, दलित-पिछड़े का ऑप्शन बने रहने की| इसलिए सोशल मीडिया हो या जैसा भी प्लेटफार्म हो, चुप मत बैठो 'Tit for tat करो|' यह आपके अधिपत्य के किस्से दलित-पिछड़े के आगे रखते हैं तो आप इनके रखो| जैसे एमडीयू में जाट असफरों-प्रोफेसरों के साथ किया जा रहा है, ऐसे आप इन वालों के जिसको भी जहाँ जो भी भेदभाव और घपला दिखे उसको आगे लाओ| क्योंकि यह लोग दलित-पिछड़े को सिर्फ बहका के रखेंगे और रोजगार देंगे खुद के 3B ग्रुप को|
शर्म-शर्म में शर्मा के सामड जाओगे और दुश्मन सोचेगा कि यह तो मेरे से डर गया| इनकी नियत को बराबर उजागर करते रहोगे तो इस भीड़ पड़ी के वक्त में एक तो दलित-पिछड़े के दिल-दिमाग से दूर नहीं जाओगे, दूसरा दलित-पिछड़ा इनके इतना नजदीक नहीं जायेगा कि जिससे आपको जुड़े रहने में बाधा आये|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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