Sunday 28 June 2015

एंटी जाट ताकतें वैसे ही नहीं जाटों के खिलाफ, एक तरफ़ा कार्यवाही का साहस जुटा गई!


यह सब कब से हुआ और कैसे हुआ उसको बड़े सलीके से अंजाम दिया गया है| और इसके परिणाम स्वरूप पहले जाट को चार धड़ों में अलग-थलग किया गया, एक शहरी जाट, दो खाप-परस्त जाट, तीन नेता व् पार्टी परस्त जाट और चार ग्रामीण जाट|

1) 3B ग्रुप ने शहरी जाट को अपने चश्मे में उतारा, उससे माताएं पुजवानी शुरू की, गैर-जाट ब्याह-शादी की चमकीली परन्तु बिना लॉजिक की परम्पराएँ प्रमोट करवाई| इससे शहरी जाट में इतना अरोगेंस भर गया कि रिटायर होने के बाद भी उसने अपने गांवों की तरफ मुड़ के नहीं देखा|

2) पूरा मीडिया और एंटी-जाट सभ्यता एनजीओ को जाट की खाप ब्रांड को धूमिल करने हेतु 2005 से उसके पीछे छोड़ा गया| इससे शहरी जाट को दूसरा कारण दिया गया गाँवों की तरफ मुड़ अपने ग्रामीण भाइयों को ना संभालने का|

3) पार्टी-परस्त जाट, इसका तो कहूँ ही क्या, इतनी तो देश में पार्टियां नहीं, जितनी जाट बहुल एक गाँव में मिल जाएँगी|

4) ग्रामीण जाट के संसाधनों व् संस्कृति को तितर-बितर करने हेतु तो सारा गेम खेला ही गया था|

और हमारे वाले अरोगेंस में बैठे रहे यह कहते हुए कि, "के बिगड़े सै, देखी जागी!"

इब तो एडी उचका-उचका देखण का ही काम रहवगा जब तक यह चार धड़ों में बंटा जाट एक हो के नहीं सोचता|
इसलिए सबसे पहले एक होवो, इनकी माता-मसानियों को अपने घरों से बाहर निकालो| खाप तंत्र को जो नहीं समझता उसको समझाओ| जो शहरी जाट है वो गाँव की तरफ मुङो| जिसको बोलना नहीं आता उसको बोलना सिखाओ| चाहे गाली खा के सिखाओ परन्तु सिखाओ|

क्योंकि एंटी-जाट 3B ताकतें जाट को दलित और पिछड़े से तोड़ रही हैं और जाट सिर्फ खड़े देख रहे हैं| जाटो जब तक आगे बढ़ के अपने आपको स्पष्ट नहीं करोगे, दलित-पिछड़ा आपके एंटी 3B की ही सुनेगा| अपने आपको प्रमोट करो, मार्किट करो और बोलना शुरू करो|

मैं यही नहीं कहता कि दलित-पिछड़े को ले के आपसे कोई गलती नहीं हुई होगी, परन्तु इतना भी जानता हूँ कि आप से कहीं कई गुना ज्यादा दलित-पिछड़े का नुक्सान इन्होनें किया है| और दलित-पिछड़े को इस बात का अच्छे से अहसास भी है, पंरतु अगर आप ऑप्शन ही खत्म कर दोगे तो वो आपके साथ कैसे जुड़ा रह पायेगा?

अत: जरूरत है तो वो उस नुकसान को आगे रखने की, दलित-पिछड़े का ऑप्शन बने रहने की| इसलिए सोशल मीडिया हो या जैसा भी प्लेटफार्म हो, चुप मत बैठो 'Tit for tat करो|' यह आपके अधिपत्य के किस्से दलित-पिछड़े के आगे रखते हैं तो आप इनके रखो| जैसे एमडीयू में जाट असफरों-प्रोफेसरों के साथ किया जा रहा है, ऐसे आप इन वालों के जिसको भी जहाँ जो भी भेदभाव और घपला दिखे उसको आगे लाओ| क्योंकि यह लोग दलित-पिछड़े को सिर्फ बहका के रखेंगे और रोजगार देंगे खुद के 3B ग्रुप को|

शर्म-शर्म में शर्मा के सामड जाओगे और दुश्मन सोचेगा कि यह तो मेरे से डर गया| इनकी नियत को बराबर उजागर करते रहोगे तो इस भीड़ पड़ी के वक्त में एक तो दलित-पिछड़े के दिल-दिमाग से दूर नहीं जाओगे, दूसरा दलित-पिछड़ा इनके इतना नजदीक नहीं जायेगा कि जिससे आपको जुड़े रहने में बाधा आये|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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