Monday 10 August 2015

भगाना कांड से संबंधित धर्म-परिवर्तन मामले में जाटों को कुछ भी कहने से बच, चुप रहना चाहिए!


हालाँकि धरातल की सच्चाई तो धरातल पे विद्यमान ही जानें, परन्तु जहां तक सुनने में आया है उससे पता लगा है कि 300 गज के प्लाट (जगह कम-ज्यादा भी होती तो भी यही विचार रखता) की जगह को लेकर जाट और दलितों में विवाद चल रहा है|

हर कोई जानता है कि प्रसाशन और सरकार अपनी पर आये तो उस टुकड़े को एक कलम लिखते खाली करवा दे| हालाँकि वो जमीन है वास्तव में पंचायती या किसी की खस्मानी यह एक अलग पहलु रहेगा, परन्तु दो भाईयों में झगड़ा हो जाए जितनी जमीन के टुकड़े पर जाट और दलितों के पूरे समाजों को मीडिया और सामाजिक परिवेश में झगड़े को बढ़ावा देने की यह साजिश कोरी जातिगत राजनीति को बढ़ावा देने के अलावा कुछ भी नहीं|

पिछली सरकार होती तो कोई यह भी इल्जाम लगा देता कि जाटों की सरकार है इसलिए नहीं दिलवा रही, परन्तु अब तो ऐसा भी नहीं है तो फिर यह चुहलबाजी क्यों? जिस एक कलम से जाटों का आरक्षण मिट सकता है उससे एक 300 गज का प्लाट खाली ना होवे, क्या ऐसा हो सकता है भला?

तो खाली क्यों नहीं हो रहा? इसका मतलब साफ़ है इस सरकार को दलित से कोई लेना-देना नहीं, उसको तो बस दलित से भिड़ाए रख के जाट की दुर्गति तो रखनी ही रखनी है साथ ही दलितों को यह सोचने पे मजबूर करना है कि तुम्हारे सबसे बड़े दुश्मन हम नहीं अपितु जाट हैं|

ऐसी विकट स्थिति में सोशल मीडिया और अन्य तमाम जगहों पर बैठे जाट युवा और बुद्धिजियों से इतनी ही अपेक्षा है कि अब जब इन दलित परिवारों ने धर्म-परिवर्तन कर लिया है तो आप चुप रहें| कोई कुछ ना बोले, कोई बयान ना देवे| वो गाँव में रहें या ना रहें इसपे कोई पंचायत ना करें और कोई फरमान ना निकालें| यदि ऐसा कोई फरमान निकलना भी है तो हिंदूवादियों को खुद निकालने देवें|

करने दो हिन्दू सरकार को इसका फैसला अपने आप| मैं तो इस मौके को जाटों के लिए ऐसा मौका देखता हूँ जब हिन्दू एकता और बराबरी के ढोल पीटने वालों की अपने आप ही पोल पिट रही है| तो जाट ऐसे स्वंय चल के आये मौके को समझें और दलित और तथाकथित हिंदूवादियों को होने देवें आमने सामने|

मैं यह नहीं कहता कि जाट और दलित में मनमुटाव नहीं, बहुत हैं परन्तु इन तथाकथित हिंदूवादियों का भी तो पता लगे कि यह दलित के कितने अपने हैं|

मेरा तो यहां तक संदेह है कि अभी काफी कुछ दिनों से सब कुछ शांत चल रहा था| यह शांति इन हिंदूवादियों से बर्दास्त नहीं हो रही थी| इस बात की जाँच होनी या करनी चाहिए कि कहीं जाट और दलित की खाई को और चौड़ा करने के लिए इन परिवारों को मुस्लिम बनाने का सगुफा भी इन हिंदूवादियों का ही ना हो| और उनका मुस्लिम बन जाने का इल्जाम और वजह अब यह जाट को बनाने का एजेंडा लिए चले आये हों|

दुश्मन अपने आप निरौला दिख रहा है उसको दलित को दिखने दें, आप अपनी बयानबाजी या फैसले कर दलित-जाट दोनों के दुश्मन को फिर से आपके ही पीछे छुप के बन्दूक चलने का मौका ना देवें|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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