Monday 26 October 2015

भारतीय सेना, सविंधान और सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाती है यह तस्वीर!


इस तस्वीर को खुद हिन्दू होने के पहलु से न्यूट्रल हो के देखूं तो आरएसएस और आईएसआईएस में क्या फर्क करूँ, बताने वालों का शुक्रिया?

यह तस्वीर पिछले हफ्ते इस फोटो में दिख रहे महानुभावों द्वारा किये गए मार्चपास्ट की हैं| मैं इसको देख के ना ही तो विचलित हूँ, ना ही प्रभावित और ना ही अचम्भित अपितु ऐसी हरकतों से विश्वपट्टल पर हिंदुत्व की नई उभरती छवि को ले मंथन में हूँ|

क्या मैं एक सवैंधानिक राष्ट्र जिसकी सुरक्षा का जिम्मा बाकायदा आधिकारिक भारतीय सेना का है, उसके अस्तित्व को नकार के इस तस्वीर को वैध मान लूँ? या भारतीय पुलिस जिसके कंधों पर देश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा है, उसके अस्तित्व को नकार के इसको वैध मान लूँ? कि अब इस देश में भारतीय सेना और पुलिस दोनों पंगु हो गई और इसलिए इन्होनें हथियार उठाये हैं?

फिर ऐसी बात है तो मैं बधाई देता हूँ इन लोगों को और आह्वान करता हूँ भारत सरकार को कि कम से कम एक बार भारतीय सेना को छुट्टी दे के, देश की सीमाओं पर इन महानुभावों को तैनात कर दिया जाए| साल-छ महीने इनकी उपयोगिता परखी जाए और यह सेना के बराबर या बेहतर उतरते हैं तो फिर देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए देश की सेना की जगह आरएसएस को ही अधिग्रहित कर लिया जाए|

वरना कोई माने या ना माने परन्तु यह लोग, विदेशों में घूम-घूम के सभाएं-कर-करके छवि बनाने की प्रधानमंत्री की सारी कोशिशों पर साथ-साथ पानी फेर रहे हैं| जितना भी कॉर्पोरेट वर्ल्ड का इंडिया है वो भली भांति जानता है कि ग्लोबल कॉर्पोरेट ही नहीं अपितु सारा पश्चिम भी इन लोगों की इन हरकतों को बड़ी बारीकी से देख रहा है| ऐसी हरकतों के साथ आप यूएनओ में स्थाई सीट मिलना तो दूर की बात अपितु इस्लामिक राष्ट्रों की भांति उससे तो कोसों दूर जा ही रहे हो साथ-साथ हिन्दू धर्म को आतंकवाद का चेहरा बना के परोस रहे हो|

और इतने भोले तो आप हो नहीं कि विश्व सिर्फ इस्लाम द्वारा ऐसे खुले में हथियार प्रदर्शन को ही आतंकवाद कहेगा और आप लोगों को इसमें रियायत दे देगा|

आरएसएस और बीजेपी से इतना ही कहूँगा कि तुम्हें अपनी दबंग छवि बनाने हेतु ऐसे हथियार उठा के वीरता के ढोंग करने की आवश्यकता नहीं, अपितु जाटों को आदर-सम्मान से पकड़े रहो, उतना ही काफी है| जाट की विचारधारा की भांति लोकतान्त्रिक व् सभी जाति-धर्मों के प्रति सहिष्णु बने रहो, वही काफी है| हरयाणा और तमाम जाटलैंड में जो तुम जाट-बनाम नॉन-जाट के अखाड़े खोले हुए हो उनको बंद कर दो, उतना ही काफी है|

फूल मलिक

 

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