Monday 18 April 2016

हमें फ़िलहाल एसवाईएल नहीं, हमारे जेलों में कैद और हॉस्पिटलों में भर्ती बच्चे घर चाहिएं!


चिंतनीय व् विचारणीय: आखिर यह नेता लोग अपनी जली प्रॉपर्टी दिखाने हेतु सिर्फ जाट-नेताओं को ही क्यों बुला रहे हैं; राजकुमार सैनी की ब्रिगेड और संघियों को क्यों नहीं बुला रहे?
किसी ने सही कहा है कि फेसबुक पे बैठकर लिखने में और धरातल पर उतर कर करने में बहुत फर्क होता है। जैसे मैं फेसबुक पर लिखते हुए या यहाँ तक कि किसी को फोन करके भी पूछ लूँ तो वो मुझे शायद ही स्पष्ट बता पाये कि एक ऐसे वक्त में जब पूरी जाट कौम का ध्यान केंद्रित तो होना चाहिए अपने बच्चों को जेलों से छुड़ाने में और हमारे कुछ जाट नेता और खाप चौधरी रह-रह कर छेड़ देते हैं कभी एसवाईएल के निर्माण का मुद्दा तो कभी नेताओं की प्रॉपर्टी जलने का मुद्दा।
मैं नहीं मान सकता कि अपने बच्चों को छुड़वाने की ललक और टीस, इन नेताओं में नहीं होगी, जरूर सियासत के 70 ढाळ के प्रेशर और मीडिया के षड्यंत्र इनको टिकने नहीं दे रहे होंगे ।
भारतीय संस्कृति में एक जींस होता है जिसको कहते हैं बापपने का जींस या कहो बड़प्पन का जींस। इनके इस जींस को उभारने का भी सियासतदानों द्वारा खूब इस्तेमाल किया जाता दिख रहा है। कहीं अपनी जली प्रॉपर्टीज दिखा के तो कहीं सरकार द्वार अकाल्पनिक सब्जबाग दिखा के इनको इमोशनली ब्लैकमेल किया जा रहा है और इनके अंदर इससे वो अहसास पैदा किया जा रहा है जिसपे एक बाप अपने बेटे को बोल उठता है कि, 'अच्छा तो कबीज, यु तेरा करा होया सै। तेरे तो टाकणे छांगने पड़ेंगे।'
यह टाकणे छांगने वाला मोड है जिसमें जाट और खाप चौधरियों को अपने ही बच्चों के प्रति सरकार-नेता-मीडिया-बाबामंडली द्वारा मिलकर ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। वर्ना इतना तो यह चौधरी-नेता सरकार-बाबागिरोह भी जानते हैं कि यह यूथ का आंदोलन था और इसमें इनमें से एक का भी कोई बड़ा सा रोल नहीं। बल्कि जब जाट-यूथ आंदोलन कर रहा था तो अधिकतर चौधरियों और जाट नेताओं का इस यूथ को मूक अथवा शाब्दिक समर्थन विभिन्न अखबारों के माध्यम से ही झरने की तरह झर-झर आता रहा था। कई खापों ने खुद आगे बढ़ के कहा था कि हम अपने यूथ के साथ हैं।
यहाँ हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि आखिर यह नेता लोग अपनी जली प्रॉपर्टी दिखाने हेतु सिर्फ जाट-नेताओं को ही क्यों बुला रहे हैं; राजकुमार सैनी की ब्रिगेड और संघियों को क्यों नहीं बुला रहे? कई कहेंगे कि अजी जिनके घर फूंके वो नेता जाट समाज से जो हैं? क्या वो नेता सिर्फ जाट समाज से हैं, संघ से कोई रिश्ता नहीं उनका? और फिर इन नेताओं से मिलने वालों में आपकी ही हस्ती के नॉन-जाट लोग भी तो पहुँच रहे होंगे, फिर मीडिया के सामने सिर्फ आपको ही क्यों विचार रखने हेतु लाया जा रहा है? जरा सोचियेगा, विचारियेगा।
जेलों-अस्तपालों में पड़े अपने बच्चों और उनके परिवारों को संभालने की चिंता की बजाये कभी एसवाईएल, कभी नेताओं की जली प्रॉपर्टी की चिंता किसी के दबाव से हो या इच्छा से परन्तु यह बन वही वाली रही है कि, "मुस्लिम बिगड़े जवानी में और जाट बिगड़े बुढ़ापे में!"।
चलते-चलते एक सीरियस बात, जहां तलवार फ़ैल हो जाती है वहाँ कई बार कलम कारगर साबित होती है। अत: हे बुजुर्गो, एसवाईएल को तो राजकुमार सैनी, रोशनलाल आर्य, जनरल वीके सिंह, राव इंद्रजीत, मनोहरलाल खट्टर, अनिल विज, रामबिलास शर्मा और कैप्टन अजय सिंह यादव आदि-आदि, साथ ही जींद से कोई कौशिक खाप भी ऊठ खड़ी हुई है वो निबट लेंगे।
इनको आगे आने दें। भूल गए क्या अकेले राजकुमार सैनी के पास इतनी ताकतवर सेना है जो जाटों को दिल्ली के दूध-पानी नहीं रोकने देने तक का दम भरती रही है, तो फिर एसवाईएल तो चुटकियों का मुद्दा होना चाहिए उनके लिए| पलक-झपकते में ही डलवा लाएंगे एसवाईएल में पानी। ऊपर से राज्य-केंद्र दोनों जगह सरकार इनकी, सरकार का मुखिया संघ इनका; बताओ आप किस चिंता ने खाये एसवाईएल को ले के?
और अगर इसके बावजूद भी इनसे नहीं निबटा जायेगा तो जाट सहयोग से कब पीछे हटे। वैसे भी जब से एसवाईएल बनी है तब से आप जाटों ने ही तो इससे संबंधित तमाम आंदोलनों की अगुवाई की है। अब जब इनको अपना पुरुषार्थ सिद्ध करने का अवसर मिला है तो आप थोड़ा धैर्य रखें; और अपनी ऊर्जा और सोच हॉस्पिटल और जेलों में पड़े अपने बच्चों और उनके परिवारों को छुड़ाने और संभालने में लगाइए। ठीक है नेताओं की प्रॉपर्टी भी जा के संभाल लीजिए, परन्तु उनकी पहले संभालिए जिनके यहां नेताओं की तरह सरकार शायद ही पहुंचे; नुकसान का मुआयना करने और मुआवजा देने।
आपके हमारे बड्डे-स्याने ही कह के गए हैं कि जब बाप की जूती बेटे के पाँव में आने लग जाए तो उसके दोस्त बन जाईये। हम आपसे दूर नहीं, परन्तु जरा हमारे दोस्त बन के हमारी मनोव्यथा को समझिए, हमें आज के दिन एसवाईएल में कोई रुचि नहीं; हमारी दिन-रात की बस एक ही व्यथा है कि हमारे जेलों में बंद और हॉस्पिटलों में भर्ती बच्चे जल्द-से-जल्द अपने घर को आवें।
विशेष: आप सभी से प्रार्थना है कि अगर आपको यह लेख पसंद आये तो अपने नेटवर्क में हर जाट आरक्षण नेता, खाप नेता और अन्य इस मुद्दे से नाता रखने वाले हर सख्श तक इसको जरूर पहुँचावें।
आपके प्रति धन्यवाद और अथाह स्नेह के साथ!
आपका वंशज!
फूल मलिक
जय यौद्धेय!

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