Friday 13 May 2016

जो खिलाडी देश के लिए ओलिंपिक मैडल की हैट्रिक लगाने की दहलीज पे खड़ा हो, उसके लिए एक ट्रायल तो बनता है!

ओलम्पिक अनुभव:
सुशील कुमार: 66 किलो केटेगरी में 2008 बीजिंग ब्रॉन्ज़ मैडल, 2012 लंदन सिल्वर मेडल|
नर सिंह यादव: 74 किलो केटेगरी में 2012 लंदन में पहले ही राउंड में बाहर|

दोनों का परस्पर अनुभव:
सुशील कुमार ने 66 किलो और 74 किलो दोनों में नर सिंह यादव को हराया हुआ है।

66 किलो कैटेगरी खत्म होने से रियो ओलम्पिक का क्या सीन होगा:
2012 में जो जिस-जिस देश के जो-जो खिलाडी 66 किलोग्राम में लड़े थे, अधिकतर 74 किलोग्राम वर्ग में आये मिलेंगे| यानि सिर्फ गोल्ड-मैडल वाले जापानी पहलवान को छोड़ के सुशील सबको पहले हरा भी चुके हैं और उनसे भिड़ने का अनुभव भी है। जो कि नर सिंह यादव के लिए एक दम नए होंगे। हाँ कुछ ऐसे भी मिलेंगे जो सुशील के लिए भी नए होंगे, परन्तु अधिकतर 66 से 74 में शिफ्ट हो के आये हुए ही होंगे। क्योंकि अधिकतर देश देश के भीतर ट्रायल जरूर करवाते हैं।

सुशील कुमार अगर लगातार तीसरा मैडल जीत जाते हैं तो ओलिंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में किसी भारतीय द्वारा मेडल्स की हैट्रिक लगाने का भारत के लिए पहला रिकॉर्ड होगा। पहली-दूसरी बार तो मैडल और भी बहुत खिलाड़ी ला रहे होंगे, परन्तु भारत के पास सुशील इकलौता ऐसा खिलाडी है जो हैट्रिक लगाने के लिए खेलेगा।
इसलिए जिस खिलाड़ी के साथ देश का इतना बड़ा सम्मान बढ़ेगा, उस खिलाड़ी को एक फेयर ट्रायल तो बनता ही है| फिर भले ही ट्रायल में नर सिंह यादव सुशील को हरा दे; परन्तु देश के लिए ओलिंपिक में नए रिकॉर्ड बनाने की दहलीज पर खड़े खिलाडी के लिए देश को इतना करना तो बनता है।

फूल कुमार मलिक ‪#‎justice4sushil‬

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