Saturday 2 July 2016

इनको उतना ही दान दो जिससे यह इज्जत से जी सकें!

मंडी-फंडी के लिए जितनी यह कहावत सच है ना कि "जाट छिक्या और राह रुक्या!" इसका उल्टा भी किसान के लिए उतना ही सच है कि "मंडी-फंडी छिक्या और राह रुक्या!"

यानि आज सत्ता और पैसे दोनों से मंडी-फंडी छिक्या हुआ है तो इसने किसान के सारे रास्ते बंद करने शुरू कर रखे हैं, जबकि इस कहावत के अनुसार जब जाट छिक्ता है तो मंडी-फंडी के सिर्फ ढोंग-पाखण्ड-आडंबर-सूदखोरी के रास्ते बंद करता है| जबकि मंडी-फंडी ने तो किसान की नेक-कमाई की ही कीमत ना मिले, ऐसे रास्ते भी बंद कर दिए, उदाहरण स्वामीनाथन रिपोर्ट पर सरकार का ताजा-ताजा रूख|

इसलिए इनको उतना ही दान दो जिससे यह इज्जत से जी सकें व् मानवता बची रह सके, फ़ालतू और बेहिसाबा इनको दोगे तो यह उसको आपके ही रास्ते अवरुद्ध करने में लगाएंगे| उस दिए का हिसाब-किताब लेते रहो इनसे; वर्ना गुप्तदान के चक्कर में पड़के दोगे तो यह उसी गुप्तदान से तुम्हारे ही खिलाफ षड्यंत्र रच-रच एक दिन तुम्हें ही लुप्त कर देंगे और वही हो रहा है| अभी सुधार लें अपनी दान देने की आदत| मंडी-फंडी आपपे कितना जुल्म करे और कितना नहीं, उसकी चाबी यह दान है इसका सही इस्तेमाल कीजिये; इसको अपने डायरेक्ट कंट्रोल में रखिये|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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