Monday 17 February 2020

इतिहास के झरोखे से: सन 1849 से पहले अधिकतर पंजाब का नाम "डेरा जाट" रहा है!

Imperial Gazetteer of India, v. 11, p. 270. के अनुसार आधे से ज्यादा आधुनिक पंजाब का लाहौर-अमृतसर से ले मुल्तान-सिरसा तक 525 गुणा 80 स्क्वायर-किलोमीटर का एरिया "डेरा-जाट" सल्तनत यानि स्टेट कहलाता आया है| 1849 में जब महाराजा रणजीत सिंह जी के मरणोपरांत उनके राज को ब्रिटिश राज में मिलाया गया तो तब इस भूभाग का नाम ऑफिसियल रिकार्ड्स में "डेरा जाट" दर्ज हुआ है|

इसको बसाने वाले थे मलिक शोहराब दोदाई जी जाट| Imperial Gazetteer of India, v. 11, p. 270. के अनुसार यह बात इतिहास में अमर-तौर पर दर्ज है, इस पन्ने की कॉपी पोस्ट में बतौरे-सबूत-पेशे-खिदमत है| यह सत्यापित करता है कि "डेरा जाट" असल इतिहास है, गंगा से ले जमना-राखीगढ़ी-सतलुज-झेलम-चिनाब-रावी से होता हुआ सुलेमान पर्वत तक बिखरा पड़ा है|

पगड़ी संभाल जट्टा, इतिहासां नूं खंगाल जट्टा,
किवें रुल्या जांदा ए, ओ कित्थे टूरया जांदा ए!
इतिहासां दे वेहड़े बोलदे, तेरे ही खेड़े बोलदे,
आजा संग मेली, झाँके इतिहासां दी राक्खां ते| 

विशेष: "कुत्ते को मार गई बिजली और मिराड़ को देखे और कुकावे-ही-कुकावे" की तर्ज पर "जातिवाद मत फैलाओ" की रट्ट लगाने वालो, यह बताओ मेरे पुरखों का यह स्वर्णिम इतिहास कहाँ छुपाऊं? और क्यों-किसलिए ना इसको आज की पीढ़ी को बताऊँ? क्या यह बताने भर से तुम मुझे जातिवादी कहोगे? यह इतिहास साबित करता है कि जाति के नाम से जब पूरी-की-पूरी स्टेट तक के नाम रहे हैं तो जाति तो कभी कोई मसला रही ही नहीं इतिहास में| यह तो अब जानबूझकर बनाई जा रही है ताकि ऐसे इतिहासों को छुपाकर, बदनीयती साधी जा सकें|

Source: https://dsal.uchicago.edu/reference/gazetteer/pager.html?objectid=DS405.1.I34_V11_276.gif

जय यौद्धेय! - फूल मलिक


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