Saturday 14 March 2020

मीडिया के फंडी भांडों के रटे-रटाये रंग उभर आये हैं, उदाहरण "दीपेंद्र हुड्डा का राजयसभा के लिए नॉमिनेट होना"!

यूट्यूब देख लो या अखबार, क्या हैडिंग आ रहे हैं?: हुड्डा ने चलाया "जिसकी लाठी उसकी भैंस" का फार्मूला व् अड़ाया एक दलित नेता की टिकट में अड़ंगा|

उदारवादी जमींदारों, व्यापारियों व् मजदूरों की पीढ़ियां समझें इस फ़ंडी पॉलिटिक्स को:

इनको "जिसकी लाठी, उसकी भैंस" लिखना तब क्यों नहीं सूझता:

जब मोदी, अडवाणी-जोशी-सिन्हा सबकी घिस काढ़ के कूण में लगा देता है?
जब राजनाथ सिंह को दरकिनार कर, अमित शाह को गृह मंत्री बनाया जाता है?
जब कमलनाथ की सरकार हो या लालू की, अमितशाह अनैतिक तरीकों से गिरवाने की कोशिश करता है या गिरवा देता है?
जब उन्नाव रेपकांड जैसे अनगिनत रेपकांडों में, आरोपियों को जेल तक नहीं होती परन्तु पीड़ितों के परिवार के परिवार खत्म करवा दिए जाते हैं?
जब राणा कपूर जैसे लोग बैंक-के-बैंक डुबो देते हैं और लाखों लोगों का रुपया आया-गया कर देते हैं? ऐसे केसों में तो कायदे से इनको "जंगलराज" शब्द भी जोड़ना चाहिए, परन्तु नहीं यह जोड़ेंगे सिर्फ तब जब "लालू यादव" जैसों की सरकार होगी|

और तो और, इनको जो सूट करता है उनके बारे भी तब तक ऐसी लैंग्वेज प्रयोग नहीं करेंगे, उदाहरणार्थ:
चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी के साथ उनके परिवार व् पार्टी वालों द्वारा की जा रही नाइंसाफी| यह नाइंसाफी उस दिन देखना जिस दिन जजपा ने बीजेपी से अलायन्स तोड़ अलग चलने की कोशिश करी| यही भाडखाऊ देखना फिर क्या-क्या इनके बारे भी लिखेंगे|

निचोड़ यही है कि इनका एजेंडा जमींदार-किसान-मजदूर राजनीति को खत्म करना या खत्म बनाये रखना या इन वर्गों से आने वाले नेताओं को एक लिमिट से आगे नहीं बढ़ने देना है| ऐसा कोई नेता उभरता दीखता है तो इनकी भाषा का नीचतम स्तर उभर कर आता है जैसे दीपेंद्र हुड्डा को राजयसभा की टिकट मिलने पर आया| यही टिकट दीपेंद्र की जगह किसी इनको सूट करने वाले वर्ग वाले को मिलती तो इन्हीं की भाषा ऐसी-ऐसी सफाइयों भरी होनी थी कि मैडम सैलजा नहीं, फिर इनकी छोटी साली भी लगनी थी| कहते कि यह कांग्रेस की मजबूरी थी क्योंकि एक तो मैडम सैलजा पर सारे विधायक राजी नहीं थे और दूसरा क्रॉस-वोटिंग होने का खतरा था, जिससे सीट हाथ से निकल सकती थी व् बीजेपी के खाते जा सकती थी|

इनको सुना के भी क्या करना, बस युवापीढ़ी समझ ले कि भारतीय राजनीति में लड़ाई मैदान की जितनी है उसकी सौइयों गुणा कलम से हवा व् इमेज बनाने-बिगाड़ने की है| कलम से इमेज बनाने-बिगाड़ने की प्रैक्टिस करते जाओ|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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