Sunday 17 January 2021

फंडी लोग, ओबीसी व् एससी/एसटी जातियों में किसान आंदोलन को सिर्फ "जाट-आंदोलन पार्ट 2" बता कर करवा रहे दुष्प्रचार!

किसान आंदोलन में शामिल हर शख्स अपने-अपने गाम स्तर पर इस बात का संज्ञान लेवे कि फंडी आपके ही खेत-काम-कल्चर की साथी जातियों में इस बात को किस स्तर तक ले जा रहे हैं| हालाँकि वैसे तो यह बिरादरियां भी अपना-पराया परखने में हर लिहाज से सक्षम हैं परन्तु फिर भी फंडी के जहर की काट को काटने के लिए, फंडी की बिगोई बात के स्तर के अनुसार आप इन भ्रांतियों को ऐसे दूर करें/करवाएं:

1) सबसे पहले जो-जिस कारोबार से है उसके कारोबार का किसान से संबंध बतलाएं| जैसे छिम्बी/धोबी/टेलर को बोलें कि आपको सबसे ज्यादा कपड़े सीने का कारोबार कौन देता है? अवश्यम्भावी जवाब होगा - किसान| कुम्हार के मिटटी के बर्तन सबसे ज्यादा कौन लेता है? अवश्यम्भावी जवाब होगा - किसान| लुहार को औजार बनाने का काम सबसे ज्यादा किस से आता है? अवश्यम्भावी जवाब होगा - किसान| सीरी-साझी वाला वर्किंग कल्चर दलित के साथ कौन सबसे ज्यादा बरतता है? - अवश्यम्भावी जवाब होगा - उदारवादी जमींदार, जिसकी मुख्य व् सबसे बड़ी जाति ही जाट किसान है|
2) आज भी ओबीसी-दलित में ब्याह-शादी तक की भीड़ पड़ी में पूरे-के-पूरे ब्याह-वाणे के खर्चे सबसे ज्यादा कौन ओट लेता है? अवश्यम्भावी जवाब होगा - किसान| फंडी ने ओटा है आज तक, शायद ही कोई उदाहरण मिले|
3) आपको सबसे ज्यादा अपने खेत-पारवारिक-समारोह-दुःख-सुख में कौन शामिल करता व् होता है? अवश्यम्भावी जवाब होगा - किसान|
4) आपको धर्म-कर्म-कांड आदि के नाम पर सबसे ज्यादा मानसिक-आर्थिक-सामाजिक तौर पर कौन लूटता है व् लूट के बदले कुछ भी नहीं देता? यहाँ तक कि आपसे ही ले कर आपको ही वर्ण-व्यवस्था में शूद्र लिखता-बताता-गाता-फैलाता है व् आपको अछूत-मलिन तक बोलता है? - जवाब होगा फंडी|
4) साथ ही किसान आंदोलन से संबंधित यह तथ्य भी देवें कि कैसे किसान आंदोलन सिर्फ किसान नहीं अपितु आपके मुद्दों से भी जुड़ा है, खासकर इसका "खाद्दान भंडारण पर से लिमिट" हटा देने का तीसरा कानून, जो कालाबाजारी को बेइंतहा बढ़ा देगा|
5) इसके साथ ही 1 अप्रैल 2021 से नए "लेबर-लॉ" के बारे भी इन साथी बिरादरियों को बताएं, कि इस तारीख के बाद मजदूरी के तय घंटों की लिमिट 8 घंटे प्रतिदिन बढ़ाकर 12 घंटे हो जाएगी व् सारे तरह के भत्ते-बोनस लगभग-लगभग खत्म हो रहे हैं अन्यथा घटाए तो शर्तिया जा रहे हैं| और क्योंकि सबसे ज्यादा लेबर ओबीसी व् दलित समुदायों से आती है तो यह कानून इन्हीं बिरादरियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा|
तो इस बात से यह बात समझाई जाए कि वैसे तो लेबर बिल, कृषि बिलों से भी पहले बन चुका परन्तु क्योंकि इस सरकार ने सारी लेबर यूनियनों की कमर तोड़ रखी थी तो कोई भी आंदोलन खड़ा नहीं कर पाया| अब किसान यूनियन कर रही हैं तो असल तो इनका साथ दीजिये, अन्यथा फंडियों के बहकावे में आ के इससे तटस्थ ना होवें क्योंकि इसी आंदोलन की कामयाबी तय करेगी कि कल को लेबर लॉ पर आंदोलन हो सके, जिसमें कि किसान बिरादरियां सदा की तरह आपको भरपूर साथ देंगी| बल्कि साथ अभी भी दे रही हैं जैसे कि कृषि बिलों का तीसरा कानून, किसान से ज्यादा आम उपभोक्ता (जिसमें आप भी शामिल हो) को प्रभावित करने वाला है क्योंकि इसके लागू होने पे कालाबाजारी बढ़ेगी व् सभी खाद्य वस्तुएं कई गुणा महंगे दामों में खरीदनी पड़ा करेंगी|
अनुरोध: सभी किसान-जवान-मजदूर-व्यापारी पुत्र-पुत्रियों से अनुरोध है कि यह पोस्ट या इसके अनुसार आपके अपने शब्दों में बनाई पोस्ट, सिर्फ सोशल मीडिया तक फ़ैलाने तक में सिमित ना रखें, अपितु इसमें चर्चित पहलुओं को हर किसान-दलित-ओबीसी की शहर-शहर, गाम-गाम बैठकों-हुक्कों-परस-चुपाडों में पहुंचाएं, इन पर चर्चा करवाएं|
उद्घोषणा: इस पोस्ट में चर्चित धूर्त "फंडी" का किसी भी जाति-समुदाय विशेष से कोई लेना-देना नहीं है, ऐसे लोग किसी भी जाति-समुदाय में हो सकते हैं|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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