अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Wednesday, 29 September 2021
जाटां की मरोड़ लिकड़नी चाहिए, फेर म्हारी बेशक घस्स लिकड़ ज्याओ!
Tuesday, 28 September 2021
चंद्रमोहन महंत, मुज़फ्फरनगर आप अपने वंश का पता ठीक से रखें इतना बहुत!
सभ्य इंसान ऐसी बातों के दूसरों के ठेके नहीं उठाया करते| और फिर भी उठाने हैं तो जिस चाहे समाज के उठाओ, परन्तु जाटों के मत उठाना; वरना हम थारे पिछोके व् वंश खोल के बैठ गए तो मुंह छुपाने को तो थमनें जगह नहीं मिलनी और ना थारे समाज में इतनी सहनशीलता व् सामाजिकता कि जैसे आप 26 सितंबर की रैली में बोल गए और समाज फिर भी सुन गया, ऐसे आप भी सुन और सह लोगे|
Thursday, 23 September 2021
ना तो ये अंग्रेज हैं और ना आप गाँधी; जो आप यह सोचते हैं कि खुद को कष्ट देने के सत्याग्रह से यह पिघल जाएंगे!
आप सोचते हैं कि, "इनकी भाषा में शूद्र का कमाया बलात हर लेने को भी अपराध की जगह हक़ मानने की मनोवृति से पले-बढ़े यह फंडी" आप किसानों को जिस तरीके से सत्याग्रह कर रहे हो इससे आपके हक़ दे देंगे? इनके भळोखे चाहे आत्मदाह कर लो, 2018 में जैसे तमिलनाडु के किसानों ने नग्न हो के प्रदर्शन किया, सुनते हैं उन्होंने मूत्र तक भी पिया; भूख-हड़तालें करी; क्या यह पिघले उनपे?
Monday, 13 September 2021
कल सारागढी दिवस की बधाईयों के साथ इसको ले के तंज भी चले!
कुछ यूं: अंग्रेजों के लिए लड़ने में काहे का विजय-दिवस, काहे की वीरता मनाते हो?
Friday, 10 September 2021
जब किसान आंदोलन को अहिंसक रह कर ही चलाने की ठानी हुई है तो "आर्थिक असहयोग" भी तो अहिंसक तरीका ही है; इसको भी आजमा लिया जाए!
लगता है फंडियों की सरकार यह जो हद दर्जे की बेशर्मी दिखा रही है कि करनाल SDM के खिलाफ वीडियो में सबूत होने पर भी उसको ससपेंड नहीं कर रही; जबकि बंगाल में एक विवाह में covid गाइडलाइन्स पालन ना करने पर एक पुजारी को थप्पड़ मारने के वीडियो के आधार पर उस DM को ही ससपेंड कर दिया था तो इसका क्या संदेश लिया जाए?
Sunday, 5 September 2021
खापलैंड का किसान भी गजब है; और वर्णवाद के काटे लोग यह सोचते हैं कि इनको गलत-सही दोनों में सर पर ही बैठा कर रखा जाए!
"वो तोड़ेंगे, हम जोड़ेंगे" - मुज़फ्फरनगर किसान महापंचायत का सबसे बड़ा संदेश!
Saturday, 4 September 2021
कई बार लोग पूछते हैं कि आरएसएस लोकल स्तर पर लोकल लोगों की मदद से लोकल लोगों के चंदे से ही इवेंट्स करना कहाँ से सीखी?
वह लोग खापों/मिशलों व् खाप-मिशाल कल्चर से ही निकली विभिन्न किसान यूनियनों के द्वारा कल मुज़फ्फरनगर महापंचायत में लगने वाले 500 से ज्यादा लंगरों की व्यवस्था से जान लें| कोई-कोई इन लंगरों की संख्या 1000 तक पहुँचने आशंका जता रहा है| यह ऐसे ही लंगर 1925 से पहले भी लगते थे, जब आरएसएस नहीं थी| तब खापें व् मिशल यह करती थी; इन्हीं खापों की यह लोकल स्तर पर इवेंट मैनेजमेंट की कार्यप्रणाली आरएसएस ने कॉपी की है|
Thursday, 2 September 2021
जब तक इस 35 बनाम 1 नाम के जिंक पर वॉकल हो कर इसको नहीं तोडा जाएगा!
तब तक फंडी इसके अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए मुसीबत बना रहेगा| इसमें 1 फंडी के बिगोए इस जहर की किश्तें भरता रहेगा व् 35 में 34 को फंडी (इन्हीं में तो अपना बन के फंडी घुसा हुआ है) 1 से नफरत-द्वेष के नाम पर इन 34 को झाड़ पे टाँगे रख के इनका खून चूसता रहेगा| हालाँकि काफी सारी दलित बिरादरी तो इस 34 से निकलती जा रही हैं, जिसकी ख़ास वजहें बाबा साहेब अम्बेडकर व् गौतम बुद्ध हैं; परन्तु ओबीसी अभी फंडी के सबसे ज्यादा मोहपाश में चल रहा है|
आईए, आपको बाबा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कमरे से मिलवाते हैं!
चारों सलंगित फोटो में जो आप देख रहे हैं यह बाबा जी कमरा है, इससे जुडी ख़ास बातें जानते हैं|