Monday 15 November 2021

सर छोटूराम धाम, सांपला में एक कन्वेंशन रखे SKM; दुविधा सी बनी स्थिति के सब बादल छंट जाएंगे!

जब हमने 9 जनवरी 2015 यूनियनिस्ट मिशन की शुरुवात की थी तो मेरी हरयाणा के कम्युनिस्टों से अक्सर बहस होती थी कि आपने कभी सर छोटूराम को क्यों नहीं उठाया; जवाब मिलता था कि इंडियन कम्युनिज्म की बागडौर बंगालियों के हाथ में रही है जो कि अधिकतर "सामंती विचारधारा की तथाकथित स्वघोषित स्वर्ण क्लास" से आते हैं व् सर छोटूराम इनको पसंद नहीं| हालाँकि सर छोटूराम कम्युनिस्ट नहीं थे, वह सेंट्र्लिस्ट थे; लेकिन उनका सेंटरलिस्म लेफ्ट वालों को जमता था|

पंजाब के सबसे बड़े लोकल कम्युनिस्ट नेता हरकिशन सिंह सुरजीत इस एरिया में अक्सर सर छोटूराम को आगे रखने की वकालत निरंतर करते रहे| सुरजीत जी वाली यह बात मुझे डॉक्टर रणबीर सिंह दहिया जी, रोहतक ने बताई थी| यही SKM को समझना होगा; यहाँ सेंटरलिस्म चलेगा, लेफ्ट या राइट नहीं|
आज जिंद (जींद) की SKM की कन्वेंशन के बाद या पहले; पूरे SKM को मिलके एक बार सर छोटूराम धाम जरूर जाना चाहिए; 24 नवंबर का इंतज़ार किए बिना| सारी दुविधा छंट जाएंगी| हमने पिछले लगभग 10 सालों से जो सर छोटूरामी अलख जगाई है, उसके अनुभव से बता रहा हूँ| क्योंकि उन चंद युवाओं में शामिल रहा हूँ, जिन्होनें सर छोटूराम को फिर से जिन्दा किया है व् विदेशों में तो सबसे अग्रणी रह के किया है और आज भी निरंतर इसी पथ पर अग्रसर हैं|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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