Sunday 13 October 2024

मां बता रही हैं कि दादी के जमाने में रिश्ता करने से पहले!

लड़की वाले लड़के वालों के खेत देखकर आते और खेत में चिंटियों के बिल देखते इससे अनुमान लगाते घर खाता पिता है।घर पर आकर बटोड़ा(पशुओं के गोबर के गोसे से बना) देखकर यह अनुमान लगाते कि गृहिणी चतर व मेहनती है।यानि इस घर में सब कुछ मिलेगा।अपनी बेटी को उस घर में ब्याह देते।

उस समय की जरूरत के हिसाब से यह लोजिकल लगा
लेकिन आजकल पढ लिख बच्चों की शादी के लिए कुंडली मिलान ,मुहूर्त और दिखावे पर खूब अनावश्यक खर्च फिर परिणाम????

Suman Krishnia

Friday 11 October 2024

”थारा तो सिर्फ दीवा था! दीये में तेल और बत्ती तो मेरी आपणी थी” - लहरी सिंह

 तेल और बती तो मेरी आपणी थी “!🤣🤣🤣

वर्ष 1960, 61…. मैंने जाट हीरोज मेमोरियल एंगलो संस्कृत हायर सेकेंडरी स्कूल रोहतक आठवीं क्लास में दाखिला लिया कोई खास ज्ञान नहीं था, छोटे-छोटे बच्चे थे, हमने देखा कि प्रातः प्रातः सुबह एक नेताजी वाली ड्रेस में हाथ में छड़ी लिए हुए एक सुंदर व्यक्तित्व का धनी,उसके पीछे-पीछे एक बंदूक वाला खाकी ड्रेस में और उनके साथ एक जर्मन शेफर्ड अल्सेशन कुत्ता प्रतिदिन स्कूल के ग्राउंड में देखा करते थे।हम उस समय फुटबॉल ग्राउंड में जाते थे, बहुत वक्त से सुबह-सुबह हाथ अंधेरे प्रैक्टिस करते थे। उस समय मेरे साथी फुटबॉल खिलाड़ी महावीर हुड्डा, मेरे ही गांव का मेरा फुटबॉल गोलकीपर भगवान सिंह, मेरे साथ लडायन गांव का मेरा साथी खिलाड़ी राजरूप सिंह, अतर सिंह बाल्मीकि, ताले राम, वीरेंद्र सिंह, जगबीर खेड़ी आसरा, चांद, ओम प्रकाश, भगता भागी बिरोहड़, पहलवान वेदपाल मोर हमारी फुटबॉल टीम का बैक, दयानंद सांगवान, इत्यादि ग्राउंड में खेलते थे,और कभी-कभी हमारे कोच फुटबॉल इंचार्ज श्री रन सिंह नरवाल जी कथुरा उनसे ग्राउंड में खड़े होकर वार्तालाप किया करते थे। एक दिन हमने हमारे फुटबॉल इंचार्ज कोच से हिम्मत करके मैंने पूछ ही लिया कि गुरुजी यह कौन है? उस दिन हमने पहली दफा जाना उस व्यक्ति के बारे में! अब जब आज के नेताओं को देखते हैं तो वह शख्सियत बड़ी याद आती है काश कि आज के युग में भी जिंदा होती! उन दिनों में पार्टीयों को कोई नहीं पूछता था नेता के कार्यकलाप की ही प्रशंसा होती थी, आजकल कल के नेताओं की तरह नहीं कि जितना बड़ा बदमाश उतना अच्छा नेता?????
पोस्ट छोटूराम इरा में चौधरी लहरी सिंह की गिनती रोहतक जिले के प्रभावशाली नेऔर अग्रणी नेताओं मैं होती रही है!
असुलों के!सिद्धांतों के पक्के! मज़बूत इरादे!
1965 के भारत पाक युद्ध के परांत इंदिरा जी ने पंजाबी सूबे के मसले को सुलझाने के लिए सरदार हुकम सिंह की अध्यक्षता मैं एक कमेटी कांस्टिट्यूट की और इस कमेटी में हरयाणा के पक्ष के प्रतिनिधित्व के लिए चौधरी बंसीलाल और चौधरी लहरी सिंह को बतौर मेंबर रखा!
उस समय चौधरी बंसीलाल राज्य सभा के सदस्य थे और चौधरी लहरी सिंह जनसंघ के सिंबल ” दीये ” पर रोहतक संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे!
पंजाबी सूबे की मांग के मामले में जनसंघ पार्टी की सोच अकालियों की सोच से भिन्न थी! अकाली अलग पंजाबी सूबे की मांग कर रहे थे और जनसंघ की मांग थी कि ” महापंजाब ” का गठन किया जाये जिसमें सिख अल्पमत में आ जाएँ और पंजाबी हिन्दू का बहुमत हो!
पर चौधरी लहरी सिंह की इस मामले में सोच अलग थी! उनकी शुरू से ही सोच थी कि अगर स्वतंत्र हरयाणा प्रदेश का गठन कर दिया जाये तो हरयाणा वासियों के हित अधिक सुरक्षित रहेंगे! अपनी इस सोच पर वो अडिग रहे और हुकमसिंह कमेटी में चौधरी लहरी सिंह ने अलग हरयाणा प्रदेश के गठन की मांग की! 👍👍👍
हालांकि उस दौर में बहुत से कोंग्रेसी भी अलग हरयाणा प्रदेश की मांग के बारे में मुखर नहीँ थे!🫢🫢🫢
चौधरी लहरी सिंह की इस सोच की, इस विचारधारा की, उस समय की जनसंघ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आलोचना की! उनका विरोध किया! उनको उलाहना दिया कि हमारे चुनाव चिन्ह दीये पर निर्वाचित हो हमारा ही विरोध!🫢🫢🫢
चौधरी लहरी सिंह बहुत ही सपष्ट, निर्भीक, मज़बूत जनाधार और सिद्धांतों के पक्के नेता थे!
उनका जवाब था!” थारा तो सिर्फ दीवा था! दीये में तेल और बत्ती तो मेरी आपणी थी!”
ज़ाहिर था चुनाव उन्होंने अपने जनाधार एवं लोकप्रियता के दम पर जीता था ना क़ि जनसंघ पार्टी के दम पर!
इतने निर्भीक थे हमारे पूर्वज़!
सलाम ऐसे निर्भीक और परिपक्व सोच के नेताओं को!
आज़के फसली बटेर इन बुज़ुर्गो से कोई प्रेरणा ले सकें तो उनका भी कल्याण हो जाये! उनके पाप कट जाएँ!
आज समय की मांग है की इन विदेशी यूरेशियन नस्ल के भारतवर्ष के झूठे, लुच्चे लफंगे, बदमाश, बलात्कारी, व्यभिचारी, दुराचारी, भ्रष्टाचारी शासको को इस देश से जड़ मूल से उखाड़ कर फेंकने की आवश्यकता है।

Thursday 10 October 2024

ठगी बाजार की सैर!

सरकार बीजेपी की बनी है, कांग्रेस हारी है लेकिन कोई उत्सव बीजेपी भी नहीं मना पा रही है। पहली बार देख रहा हूं कि जो जीत गए है वो भी डर में है और जो हारे वो सदमे में हैं कैसे हारे। कल तक बीजेपी के लोग अपनी 20 सीट भी नहीं बता रहे थे और वो अपने नए नए नायक खडे कर रहे हैं, जिनको बीजेपी चुनाव में लाने तक में शर्म महसूस कर रही थी।

आज बीजेपी के पास सिर्फ नंबर हैं, सच्चाई ये है कि जितने वोट आपको लोगों ने दिए हैं उससे कहीं ज्यादा लोगों ने आपके खिलाफ वोट किया है। अकेले कांग्रेस को आपके बराबर के वोट मिले हैं। आप निर्दलीय को खडा करके, झूठे नैरेटिव बनाकर, अपनी खामियों को छिपाकर चुनाव जीते हैं। देवेंद्र कादियान, सावित्री जिंदल, राजेश जून आपकी छल प्रपंच की जीती जागती मिसालें हैं। आपके पास धनबल और छलबल था और उसे आपने जनबल को हरा दिया, बस ही है इस चुनाव का नतीजा।
बीजेपी की टोल आर्मी मुझ पर दबाव बना रही है, मुझे कोस रहे हैं कि मैं माहौल बीजेपी के खिलाफ बताता था? क्या गलत था? था, माहौल बीजेपी के खिलाफ था लेकिन बीजेपी ने लोगों से वोट की ठगी कि और वो लोग समझ नहीं पाए तो उसमें किसी गलती बताई जाएगी? बीजेपी के लोग खुद मान रहे थे कि लोग उनको नहीं चुनेंगे? बेचारे लोग ही नहीं समझ पाए तो उसमें भी हमारी गलती है क्या? चारसौ पार बीजेपी बोल रही थी कि हमारी सीट आएगी, कम आई तो प्रधानमँत्री ने देश से माफी मांगी थी क्या? क्या पोल वालों ने माफी मांगी है? क्या चैनल वालों ने माफी मांगी है?
कांग्रेस तो हारने ही लायक है, वो आपस में में ही लडते रहते हैं उनका तो हश्र ही यही होना है, लेकिन जो वोट की ठगी बीजेपी ने जनता के साथ की है उसका जवाब जनता मांगेंगी। बीजेपी से जो सवाल जनता के चुनाव से पहले खडे थे वो आज भी खडे हैं ज्यों के त्यों। क्या हालत होगी उस दलित वोटर की जो बात तो मनुवाद से लडने की करता है, लेकिन उसको चुनाव में दूसरी जाति का डर दिखाकर कथित मनुवादियों को ही वोट डलवा दिया गया। जब उसे होश आएगा तो चिंघाड मारकर रोएगा वो।
वो किसान अहीर बेचारा गंठे के साथ रोटी खाता है उसके बिगडैल बेटे सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ सवाल उठाने वाले को कोस रहे हैं, जबकि सच्चाई ये कि अहीर कम्यूनिटी के पल्ले भी कुछ नहीं आएगा क्योंकि राजा साहब की जिंदगी हमेशा ठाठ की रही है तुम्हें हाथ कुछ नहीं लगना।
मैनेजमेंट से बीजेपी जीती है लेकिन हरियाणा में कानून व्यवस्था, रोजगार, आधारभूत ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य के मुद्दे आज भी ज्यों के त्यों हैं। बीजेपी की टोल आर्मी मेरे पीछे लगाने से क्या मैं रूक सकता हूं? कांग्रेस मरे मर जाने दो, मैं हरियाणा का स्थाई विपक्ष हूं, मैं सवाल पूछूंगा? हर रोज पूछंगा, हर दिन पूछूंगा। सवाल पूछना काम है मेरा।
अरे मान लिया जाट मुख्यमंत्री नहीं बना लेकिन मूर्खों तुम्हें तो वही गंठा फोडकर रोटी खानी है। तुम कौनसे बिडला हो गए हो। जाट कम्यूनिटी तो अपनी जितनी जमीन उसके पास बची है केवल वही बचा ले गई तब भी उनका कुछ नहीं उखडा लेकिन तुम्हारा कुछ नहीं बचना है।
गोरख पांडे की एक कविता है
वे डरते हैं
किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और ग़रीब लोग
उनसे डरना बंद कर देंगे।

Farmers and Labourers unity and Haryana Election 2024

Farmers and Labourers मे एकता न होने के कारण कांग्रेस को इन सीटों का नुकसान हुआ है 👇👇👇👇👇


1• विधानसभा नरवाना - 


▪भाजपा उम्मीदवार को वोट मिले - 59474 ( 11499 से जीता ) 


▪कांग्रेस उम्मीदवार को वोट मिले 47975 ( 11499 से हार ) 


▪इनैलो को वोट मिले - 46303 


▪इनैलो + कांग्रेस = 47975 + 46303 = 94278 



94278 -  59474 = 34804 


▪अगर नरवाना के जाट एक होकर वोट करते तो भाजपा 100% हारती। नरवाना से।


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2• विधानसभा उचाना 


▪भाजपा को मिले वोट - 48968 ( 32 वोट से जीत ) 


▪कांग्रेस को मिले वोट - 48936 ( 32 वोट से हार ) 


▪निर्दलीय विरेन्द्र घोघडीयां को मिले वोट - 31456 

 

▪निर्दलीय विकास ( काला ) को मिले वोट - 13458 


▪निर्दलीय दिलबाग संडील को मिले वोट - लगभग 7500 


▪दुष्यंत को वोट मिले - लगभग 7500


31456+ 7500+7500+13458 = 59914 


▪लगभग 60,000 वोट खराब कर दिए जाटों ने अपने। 


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3• सफीदों विधानसभा 


▪भाजपा को कुल वोट- 58983

▪कांग्रेस को कुल वोट - 54946

▪भाजपा की जीत - 4037


▪आजाद को मिले वोट 👇

▪जसबीर देशवाल- 20114

▪बच्चन आर्य - 8807


8807 + 20114 = 28121 वोट जाटों ने अपने खराब किए। 


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4• लाडवा विधानसभा - 


▪अगर जाट और जट सिख यहां एकता दिखाते तो और अपने वोट न बांटते तो सीएम नायब सैनी भी अपनी सीट नही बचा पता।


▪भाजपा उम्मीदवार नायब सैनी को मिले वोट - 70177 


▪भाजपा की जीत 16054 वोट से- 


▪कांग्रेस उम्मीदवार मेवाराम को मिले वोट- 54123


▪इनैलो उम्मीदवार सपना बडशामी को मिले वोट - 7439


▪आप उम्मीदवार विक्रमजीत सिंह चीमा को मिले वोट - 11191 


▪जाटों ने वोट खराब करे - 7439+ 11191 =  18630 


▪अगर ये वोट का प्रयोग भाजपा को हराने के लिए करते तो नायब सैनी की 2000 से हार होती।


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5• विधानसभा बाढडा- 


▪भाजपा को मिले वोट - 59315


▪कांग्रेस को मिले वोट - 51739


▪आजाद उम्मीदवार सोमवीर घोसेला को मिले वोट - 26730


▪कांग्रेस 7585 वोट से हारी। 


▪अगर जाट अपने 26730 वोट खराब न करते तो बाढडा मे कांग्रेस जीतती।


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6• बरवाला विधानसभा  - भाजपा 26942 वोट से जीती। 

 

▪भाजपा को वोट मिले - 66843

▪कांग्रेस को वोट मिले - 39901

▪इनैलो को वोट मिले - 29055 


  ▪कांग्रेस + इनैलो = 39901+29055 = 68956 


अगर जाटों ने अपने वोट कांग्रेस और इनैलो मे न बांटे होते तो आराम से भाजपा हारती यहां से 


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7• गोहाना विधानसभा 


▪भाजपा जीती - 10429 से 


▪आजाद उम्मीदवार को वोट मिले 

▪हर्ष छिक्कारा - 14761 

▪राजबीर दहिया - 8824 


14761 + 8824 = 23585 


23585 मे से कम से कम 18000 जाट वोट थे जो जाटों ने आजाद उम्मीदवार वोट देकर खराब दिए।



8• पुंडरी विधानसभा 



▪भाजपा उम्मीदवार को मिले वोट -  42805


▪आजाद उम्मीदवार सतबीर भाणा को मिले वोट - 40608


▪आजाद उम्मीदवार सज्जन ढुल को मिले वोट - 5000


▪कांग्रेस को मिले वोट -  26341


▪इसके अलावा सिखों ने अपने उम्मीदवार गुरिंदर सिंह को 8100 वोट दिए। 


▪इस सीट पर भाजपा 2197 वोट से जीती है। अगर जाट और सिख अपने वोट एक जगह डालते। तो यहां भाजपा को हराकर आजाद उम्मीदवार सतबीर भाणा जीत सकता था।


इन जगह के पोलिंग बूथ पर पाई गई 99% बैटरी की मशीनें, 
जो की बदली गई।
*महेंद्रगढ़ _*
नारनौल_
पानीपत_
पानीपत सिटी_
अंबाला कैंट_
दादरी_
अटेली_
रेवाड़ी_
कोसली_
बरवाला_
स्वाभाविक रूप से मशीनों की बैटरी 60% से 70% के आसपास होनी चाहिए , ✅
क्योंकि मशीनों में पोलिंग हुई है।🤷🏻‍♂
पर इन जिलों में 99% वाली मशीनें कहा से आई ये बड़ा सवाल है।
क्या पहले ही मशीनें बदल दी गई थी ?

in seats par ye machines se jeete hain v 5 Sonipat, 1 Jhajjar, 4 Jind, 1 Dadri v 2 Bhiwani, baagiyon ki vajah se jeete hain. Congress ne ye baagi waqt rahte bitha liye hote to situation ye na hoti

yani total 24 seats BJP ko wo gai, jo usko jaani hi nahin thi, practically BJP 24 pe simat rahi thi

Tuesday 8 October 2024

मेरे हिसाब से हरयाणा 2024 assembly polls में उथल-पुथल के यह कारण रहे

1 - कांग्रेस द्वारा इंडिया अलायन्स को सीटें देने की कंजूसी, 2-4 सीटों पर आप वाले भी उलझाए रखे जाते तो perception बनी रहती, सभी के साथ होने की

2 - कांग्रेस का पुराने घोड़ों पर हद से ज्यादा दांव, एक भी नहीं बदला

3 - बीजेपी का दलित में SC व् DSC का विभाजन

4 - रामरहीम फैक्टर 

5 - दोनों तरफ बीजेपी व् कांग्रेस निर्दलीय बागी फैक्टर

6 - 13 फरवरी 2023 से हरयाणा-पंजाब बॉर्डर्स पर लगवाए किसान धरनों के जरिए बीजेपी यह संदेश देने में कामयाब रही कि इनको हमने ठिकाने लगा दिया है; जबकि मैंने बिना पूरे SKM के इस आंदोलन को सिर्फ 2-4 सगंठनों द्वारा चलाने पे ही यह बात कह दी थी कि यह बीजेपी प्रायोजित है, हरयाणा इलेक्शन को देखते हुए

7 - सेंट्रल कांग्रेस द्वारा सीएम चेहरा घोषित ना करना

8 - जाट, नॉन-जाट इतना ज्यादा नहीं था, क्योंकि यह विगत लोकसभा चुनाव में ही लगभग ध्वस्त हो चुका था

9 - काउंटिंग के दिन इलेक्शन मशीनरी का भरपूर दुरूपयोग; ऐसा पहली बार हुआ जब से हरयाणा बना है कि 12 बजे तक जहाँ सब सीटों के रिजल्ट आ जाते थे, वहां शाम होने तक भी रिजल्ट्स पूरे नहीं हुए हैं

10 - किसान संगठनों द्वारा कोई एक रणनीतिक समर्थन बना के ना चलना व् ना ही कांग्रेस द्वारा किसान संघटनों से सही तालमेल बिठाना; एक-आध को भी सेट कर देते 1-2 सीटों पर तो किसान वोट में इतनी अफरातफरी, कहीं अतिआत्मविश्वास तो कहीं पशोपेश ना बना होता; जो कि गलत संदेश दे के गया!


Jai Yauddhey! - Phool Malik