हालाँकि करमु-धरमु का किसान बिरादरी के बारे कंफ्यूज करने वाला ही स्टैंड देखने को मिला है; किसान में भी जाट बारे खासतौर से| फिर भी एक हरयाणवी के तौर पर सोचा जाए तो इनकी गिरफ्तारी की कुछ वजहें यह भी हैं:
1 - आरएसएस की मनोहरलाल खट्टर लॉबी यानि 80% खुद को पंजाबी कहने वाला समुदाय हरयाणवी ब्राह्मणों के खिलाफ है; यह खट्टर के सीएम काल में इनके विरुद्ध खट्टर की एक्टीवितियों से हमने देखा भी है; 20% पंजाबी जो संघ में शायद नहीं हैं, सिर्फ वही हरयाणवी ब्राह्मण को पसंद करते हैं|
2 - आरएसएस का चित्पावनी ब्राह्मण तबका भी हरयाणा के ब्राह्मण से नफरत करता है, इनको हेय मानता है, दलित के बराबर मानता है; इसलिए वह भी नहीं चाहते कि हरयाणवी ब्राह्मण एक लिमिट से ज्यादा ऊपर आवे|
3 - हरयाणा के तमाम मंदिरों में बैठा पूर्वी-यूपी व् उत्तराखंड साइड का पंडा-पुजारी भी हरयाणवी ब्राह्मणों को पीठ-पीछे गंवार कहता हुआ सुना गया है; इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कहीं मंदिरों की पोस्टों में यह बैठे-बिठाए हिस्सा ना मांगने लग जाए| आज के दिन की ही स्थिति देख लो, 90% पंडे-पुजारी हराना से बाहर के हैं व् इनके हक़ पे कुंडली मार के बैठे हैं|
इसलिए करमू की गिरफ्तारी की सबसे बड़ी वजह यह भी है कि सारे हरयाणा के ब्राह्मणों को संदेश दिया जाए कि औकात में रहो|
और पता प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से हरयाणा के ब्राह्मण को भी है इस बात का; परन्तु बोलता नहीं, दबाता है इस दर्द को| क्योंकि खुद को संघ व् चित्पावनियों से जोड़ने की मानसिकता नहीं छोड़ पाता| जबकि इसको यह भी पता है कि तुम्हारा असली भाई जाट ही है, परन्तु नहीं जुड़ेंगे उसके साथ; पोलिटिकल माइलेज के लिए "जाट-ब्राह्मण" टाइप स्लोगन्स जरूर चलाएंगे, परन्तु धरातल पर नहीं आएँगे|
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