शरद यादव कहते हैं कि ओ.बी.सी. का आरक्षण कोटा जो कि आज ओ.बी.सी. की जनसंख्या के अनुपात का आधा है, इसको अगर पूरा-पूरा लेना है तो हमें जाटों को ओ.बी.सी. में शामिल करना ही होगा, क्योंकि जाट जुनूनी है, दृढ-संकल्पी है और वह हमसे जुड़ा तो फिर हमारा आधा हक और 'बैकलॉग" का स्लॉट कोई जनरल वाला नहीं मार पायेगा|
और यह बात सच भी है| मेरा मानना है कि मंडी-फंडी इस बात से ज्यादा बौखलाया हुआ है कि अगर जाट और ओ.बी.सी. एक हो गए तो फिर यह लोग अपना हक़ अपनी जनसंख्या के अनुपात में मांगेंगे और तुम्हारे (मंडी-फंडी के) मुफ्त में मलाई मारने के दिन लद जायेंगे| इसलिए जाटों और ओ.बी.सी. में "बांटो और राज करो" का पासा फेंका हुआ है| और राजकुमार सैनी जैसे ओ.बी.सी. कौम के कुछ नादान सिपाही इनके झांसे में आये हुए हैं| अब चॉइस आपकी है कि आपको इस पासे का जवाब कैसे देना है|
कि आपको इनके झांसों में आके अपना दोहरा नुक्सान करना है या जाट के साथ मिलके आपका जो हक़ यह लोग खा रहे हैं वो वापिस लेना है| फिर भले ही आपको ओ.बी.सी. में भी जातीगत बाउंड्री चाहिए तो वो खिंचवा लेना| परन्तु इन मंडी-फंडी के बहकावों में आ के खुद ही अपने पैरों पे कुल्हाड़ी मत मारो| क्योंकि इतना तो शरद यादव जैसे पहुंचे हुए दिग्गज भी समझ रहे हैं कि बिना जाट को साथ लिए, मंडी-फंडी 27% आरक्षण को 54% नहीं होने देगा आपके लिए|
इस बीच मेरे जाट समाज से इतनी अपेक्षा चाहूंगा कि जब तक मंडी-फंडी की यह ओ.बी.सी. और जाट को बाँट के राज करने की 'एक्सपेरिमेंटल पॉलिटिक्स' के बादल ना छंटे, तब तक धैर्य बनाये रखें| क्योंकि सारा ओ.बी.सी. हमारा विरोधी हो ऐसा तो मैं मान ही नहीं सकता| हमें धीरज धार के सिर्फ और सिर्फ सही वक्त का इंतज़ार करना होगा| परन्तु हाँ इस बीच एक यह सुदृढ़ संकल्प जरूर कर लो कि जब तक ओ.बी.सी. भाईयों को यह राजनीती समझ में आवे और वो वापिस हमारे साथ जुड़ें, तब तक हम यह रणनीति बना चुके हों कि कैसे ओ.बी.सी. के साथ मिलके मंडी-फंडी से हमारी जनसंख्याओं के अनुपात में ना सिर्फ सरकारी वरन प्राइवेट नौकरियों में इसी अनुपात का आरक्षण लेना है|
इसलिए जाट कौम के लिए यह वक्त बहुत ही धैर्य धारण करके मंडी-फंडी की चालों को समझने व् ओ.बी.सी. भाईयों के मंडी-फंडी चालों से बाहर आने तक इंतज़ार करने का है|
शायद ओ.बी.सी. को अभी और वक्त लगेगा यह बात समझने में कि यह सब नाटक किसलिए हो रहा है और यह आभास फिर से तरोताजा करने में कि मंडी-फंडी कितना ही तुम्हारा होने का नाटक कर ले अथवा तुमको जाट से अलग-थलग करने के प्रपंच चल ले, परन्तु तुमको तुम्हारी जनसंख्या के अनुपात का आरक्षण कभी नहीं देगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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