Thursday 7 May 2015

मंडी-फंडी के गुर्गों की घड़ियाली राजनीति!


अभी विगत पांच मई को कांधला में स्वर्गीय बड़े चौधरी साहब चरण सिंह जी की प्रतिमा के टूटने की झूठी अफवाह फैला के जाटों की बेइज्जती हो गई का ओढ़ा करके विधवा-विलाप करने वाले मंडी-फंडी के गुर्गो, तुम उस दिन कहाँ गए थे जब चौधरी साहब की समारक 12 तुगलक रोड को खाली करवाया गया था? उस दिन ना दिखी तुम्हें जाट कौम की बेइज्जती?

यह तो धन्यवाद हो कांधला के जाटों का कि उन्होंने मामले को सूझबूझ और संयम से लिया, वर्ना तो हो गया था एक और मुज़फ्फरनगर|

रै मंडी-फंडी के चक्करों में उलझे थोड़े बहुत जाटो बाज आ जाओ और निकल आओ इनके चंगुल से, क्यों कौम को अपने हाथों मिटवाने पे तुले हो|

दिखे ऐसी ही घुन्नी राजनीती की वजह से एक बार सन 1492 में मोखरा नगरी (गैर-हरयाणवी की भाषा में गाँव), रोहतक का मलिक जाट उजड़ गया था| एक बनिए ने ताकू-तकिया करके एक जाट और राजपूत में झगड़ा लगवा दिया वहाँ, और फिर जब जाट राजपूतों पे भारी पड़े तो, उसी बनिए ने राजपूतों को सलाह दी कि इनको बाड़े जैसी जगह पे घेर के जला दो| और फिर रचा गया था मोखरा में बहुत बड़ा काण्ड, राजपूतों ने पहले जाटों से संधि करी और फिर एक बड़ी सामूहिक दावत का आयोजन किया लकड़ी-फूस-चारे के मजबूत बाड़े में और धोखे से जब सारे जाट उस बाड़े में आ लिए तो ऐसा प्रपंच रचा कि बाड़े को बंद करके आग लगा दी, सारे जाट धूं-धूं कर जल गए थे| सिर्फ उस वक्त गर्भवती दादीराणी रामकौर बची थी| तब उन दादी जी ने अपने मायके "देपाल" - हांसी में जा के दोबारा मोखरा के मलिक जाटों का वंश चलाया था|

इसलिए कित चढ़े घूम रहे इन मंडी-फंडी के फंदों में एक दिन सूली पे चढ़ा के ऐसा मारेंगे कि खोज नई टोह्या पावैगा|

और एक बात समझ लो वहीँ कांधला में ही 5 मई के इर्द-गिर्द ही एक जैन मंदिर पे पथराव हुआ वो भी वास्तविक, उसकी तो ना खबर उड़वाई मंडी-फंडी ने थारे से कि आओ रे जाटो देखो मंदिर पे हमला हुआ, यह चौधरी साहब की मूर्ती टूटने की झूठी अफवाह ही क्यों फैलवाई? साफ़ है कि इस बार इनको दंगा भड़काने को हिन्दू-मुस्लिम टैग की जरूरत नहीं, सीधा जाट-मुस्लिम का जंग छिड़वाना चाह रहे|

धन्य हो कांधला के जाटों को जिन्होनें इस बार संयम से काम लिया| हम ऐसे ही चलते रहे तो अपने जाट-मुस्लिम भाईचारे को एक बार फिर सुदृढ़ कर लेंगे| उम्मीद है कि पश्चिमी यू. पी. का मुस्लिम भी अब इस धार्मिक उन्माद की गन्दी राजनीती से सबक ले के संभल चुका होगा और आगे बीजेपी, सपा या आरएसएस जैसी धार्मिक उन्मादी तत्वों ने कोई अफवाह फैलाई तो संयम और सूझबूझ से काम लेगा|

इनसे सिर्फ और सिर्फ कारोबारी रिश्ता रखो, ज्यादा भाईचारे के डोरे डालने या मुंह लगाने से मंडी-फंडी गले की फांसी बनता आया है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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