Wednesday, 20 May 2015

निडाना गाँव के नौनिहालों की जिज्ञासा व् फरमाईस पर!


मेरे गाँव के युवाओं द्वारा हमारी संस्कृति और मान्यताओं पर मेरे से पूछी गई उनकी जिज्ञासाओं बारे जानकारी इस प्रकार हैं:

Q1. हमारे गाँव में देवी के रूप में पूजी जाने वाली "दादी चौरदे" कौन हैं और क्या आप इनको मानते हैं?:

इसके लिए थोड़ा इतिहास से शुरू करूँगा| "गठवाला जाटों" व् कई अन्य जाट गोत्रों जैसे कि 'दलाल' का निकास गढ़-गजनी से है| "दादा महाराज मोमराज जी गठवाला" ने गढ़-गजनी की महारानी से प्रेम-विवाह किया था| जब उनके प्रेमविवाह का गजनी के बादशाह को पता चला तो दोनों को छलावे से आजीवन कैद में डाल दिया| तब वीर व् चतुर तेजस्वी "बाहड़ला पीर जी महाराज" हुए जिन्होनें दोनों को कैद से निकाला और वो गोहाना के पास "कासंढा" आकर बसे और फिर वहीं से आगे "मलिक यानी गठवाला जाटों" की लेन चली|

"बाहड़ला पीर जी महाराज" की धर्मपत्नी थी "दादी चौरदे", जिनका कि अपने गाँव के "दादा नगर खेड़ा (दादा बड़ा बीर)" के बगल में छोटा सा मूर्तिरहित अन्य "खेड़ालय" (हमारे असली भगवान सिर्फ दादा खेड़ा और दादी चौरदे के यह खेड़ालय ही हैं; जिनसे हम वंश व् खून से जुड़े हुए हैं) है। तो जब दादा मोमराज जी महाराज और महारानी गढ़गजनी को बचा के उनको "कासंढा" की ओर "बाहड़ला पीर जी महाराज और दादी चौरदे" ने विदा किया तो वो भावुक हो उठी और कहने लगी कि "मोमराज जी" आपका तो वंश आगे चल पड़ेगा, लेकिन हम दोनों बेऔलादे हैं, क्या हमें भी भविष्य में कोई याद करने वाला होगा? तब दादा मोमराज जी महाराज ने दादी चौरदे को वचन दिया था कि बहन आपको मेरा वंश गठवाला खूम की "देवी" के रूप में पूजा करेगा| और तब से गठवालों के यहां "दादी चौरदे" की पूजा होती है|

Q2. दादा खेड़ा (दादा बड़ा बीर) के बारे आप क्या जानते हैं और हम इनकी पूजा क्यों करते हैं:

दो बातों के साथ नीचे लिंक पे दिया हुआ आर्टिकल पढ़ने की कहूँगा; पहली बात "दादा खेड़ा" जाट व् भाईचारा जातियों का इकलौता वास्तविक भगवान है, गुरु है| गाँवों में भाषा और क्षेत्र के हिसाब से इसके नाम भिन्न-भिन्न हैं, परन्तु मूल स्थापना यह एक ही है, बिना मूर्ती का सफ़ेद छोटा कमरेनुमा ईमारत जिसको "खेड़ालय" भी कह सकते हैं| इस बारे विस्तार से लिंक में दिया लेख पढ़ लें| दूसरी बात यह कि गठवाला जाटों के गाँवों में जो खेड़े हैं, उनमें जिस प्रकार का खेड़ा निडाना में हैं, यह गठवालों के तीन ही गाँवों में है; निडाना, उलहाना और मोखरा|

सविस्तार इस लिंक से पढ़ें:
http://www.nidanaheights.com/EH-hn-dada-kheda.html

इसके अलावा गाँव के दो आदरणीय बुजुर्गों द्वारा मेरे को बताये गए अपने गाँव के अन्य इसी प्रकार के पहलु जानने हेतु इन लेखों पर पढ़ें:

1) गठवालों व् निडाना गाँव की कहानी, दादा चौधरी चतर सिंह मलिक की जुबानी: http://www.nidanaheights.com/indexhn-dada-chatar-singh.html

2) निडाना गाँव की कहानी, दादा श्री दयानंद कबीरपंथी की जुबानी -http://www.nidanaheights.com/indexhn-dada-dayanand.html

सप्रेम: फूल मलिक

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