Friday, 19 June 2015

नजदीकी खून के गोतों (गोत्रों) में शादी की मान्यता वाले समुदाय में 56% लोग थैलिसीमिया बीमारी से ग्रस्त!


हिन्दू पंजाबी खत्रियों के बाद अब बंगाल के टोटो समुदाय के इस बीमारी की चपेट में होने की बात सामने आई है|

जाट के गोत (गोत्र) सिस्टम के पीछे पड़ने वालों और खुद को खुले-विचारों का बताने के लालच में इसके लिए जाटों को अपनी मनचाही भर्तसना का निशाना बनाने वालों के लिए, जाटों के गोत सिस्टम के पक्ष में एक और वैज्ञानिक साक्ष्य|

पश्चिमी बंगाल की जलपाईगुड़ी इलाके की टोटो जनजाति जिनमें मामा-चाचा के बच्चों {नजदीकी खून के गोतों (गोत्रों)} की शादी की जाती है, अपनी घटती संख्या को लेकर समुदाय गहरे संकट में है| कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र कैंसर रिसर्च सेंटर ने टोटो जनजाति के लोगों के खून के नमूने लिए। इन नमूनों का जब नतीजा आया तो जानकारों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। जांच में पता चला कि टोटो जनजाति के 56 फीसदी लोग थैलीसीमिया के शिकार हैं। चूंकि इस जनजाति के लोगों ने अपनों में ही शादी के रिवाज बनाए हैं इसलिए इस बीमारी का खतरा और बढ़ जाता है।

इससे पहले हैदराबाद रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट्स के अतिरिक्त दयानंद मेडिकल कॉलेज, लुधियाना पंजाब के प्रोफेसर सोबती ने उनकी 17 मई 1990 की शोध रिपोर्ट में पाया था कि पाकिस्तान पंजाब से आई नश्लों में भी 7.5% लोग थैलिसीमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं| डॉक्टर सोबती ने इस बीमारी से निजात पाने के लिए इन समुदायों को वैवाहिक दायरे जैसे कि ब्लडलाइन से दूर के गोत (गोत्र) व् अंतर्जातीय विवाह करने के सुझाव दिए थे|

Read the recent report revealed about Toto Community: http://khabarindiatv.com/india/national-girls-become-mothers-before-marriage-in-west-bangal-1307.html
Also read what is the Gaut System of Jats and Khaps: http://www.nidanaheights.net/EH-gotra.html

फूल मलिक|

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