‘le mariage de même nom pas autorisé dans notre culture’ – as per my european friends
विगत सप्ताह एक फ्रेंच मित्र और उससे कुछ दिन पहले एक रोमानियाई मित्र से मुलाकात हेतु कंट्रीसाइड गया हुआ था| इन दोनों मुलाकातों में ही ऐसा संयोग बैठा कि संस्कृति और मान-मान्यताओं पर बातें चल निकली| उनसे हुई बातों के कुछ रोचक हिस्से हिंदी में रूपांतरित करके सुनाता हूँ|
गाड़ी में कंट्रीसाइड चल निकले तो बातें शुरू हुई| उन्होंने मुझसे कहा कि इंडिया में तो वर्ण व् जाति-व्यवस्था बहुत ऊँच-नीच फैलाती है| सुना है हिन्दू धर्म विश्व का इकलौता ऐसा धर्म है जिसमें धर्म के ही अंदर रंग-नश्ल के आधार पर भेदभाव होता है?
मैंने कहा कि रंग-नश्ल के आधार पर भेदभाव तो हर जगह है| तो वो बोले हाँ, पर खुद के ही धर्म वालों द्वारा खुद के ही धर्म वालों को रंग-नश्ल भेद का शिकार? तो मैंने कहा कि यह सब गन्दी राजनीति की वजह से होता है|
बोले कि फूल बनो मत हमारे आगे, हमें गूगल करना आता है| इस पर मैंने कहा कि अमेरिका में गोरे और काले की लड़ाइयां तो वर्ल्ड फेमस हैं, सुना है दोनों एक धर्म के होते हैं? इस पर झट से बचाव में जवाब आया कि काले पहले गौरों के गुलाम थे, उस वक्त उनका धर्म कुछ और था| तो यहाँ सवाल एथनिसिटी का भी बन जाता है, परन्तु तुम्हारी तो सबकी एथनिसिटी इंडियन ही है ना?
मैंने कहा जो भी हो परन्तु लड़ाईयां तो हैं? इस पर मैंने टॉपिक को घुमाते हुए कहा कि चलो इंडियन और यूरोपियन कल्चर में कुछ कॉमन ढूंढते हैं|
1) गॉड फिलोसोफी मिलाई तो वो नहीं मिली| वो बोले कि हमारे यहां तो जीसस ही को मानते हैं सब| मैंने कहा हमारे यहां ऐसी कोई बाध्यता नहीं, आप जिसको चाहे मानो| पर उन्होंने मुझे इसपे घेर लिया| बोले कि ऐसा है तो फिर दलितों को मंदिरों में चढ़ने से क्यों रोका जाता है? वो भी तो जिसको चाहें मान सकते हैं| मैं मन ही मन कुंधा कि पूरी रिसर्च करके बैठे हैं|
2) फिर बात आई साधु-संत परम्परा की| इसपे कॉमन बात मिली कि जैसे स्थानीय संत-महापुरुष हमारे यहां होते हैं ऐसे ही यूरोप-फ्रांस में क्षेत्र के हिसाब से अपने-अपने होते हैं|
3) शादी के रीति-रिवाजों की बात चली तो मुझे उत्सुकता हुई और उनसे पूछा कि तुम्हारे यहां शादी पे गोत-वोत (गोत्र) छोड़ने जैसा कोई सिस्टम है क्या? तो वो बोले कि हाँ है, आपको सेम-सरनेम में शादी का विधान नहीं है| तो वो बोले की इंडिया में कैसे होता है? तो मैंने कहा कि है तो हमारे यहां भी कुछ-कुछ ऐसा ही परन्तु सिर्फ जाट-बाहुल्य इलाकों में| बोले कि वही जाट जिनकी आर्मी की टुकड़ी की हिटलर ने भी डिमांड की थी कि मेरे पास जाट टुकड़ी होती तो युद्ध मेरे पाले होता? मैंने कहा हाँ वही जाट|
वो आगे बोले कि ऐसा क्यों कि धर्म एक परन्तु विवाह के नियम अलग? मैंने कहा वास्तव में जाट-सभ्यता के नियम अलग हैं| तो बोले कि शादी वाला तो हमारे जैसा हुआ? मैंने ख़ुशी से कहा कि हाँ, बिलकुल|
ऐसे बातें करते-करते हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए| वहाँ रात को डिनर पे बैठे-बैठे हमारे होस्ट के आगे भी यही बातें चली तो उसने सेम-सरनेम मैरिज का एक इशू बताया| बोली कि le mariage de même nom pas autorisé dans notre culture.
ऐसे कुछ दिन पहले जिस रोमानियाई मित्र से मिला था उन्होंने तो सेम-सरनेम मैरिज इशू का एक एक्साम्पल भी बताया| वो पेरिस में रहती हैं, बेसिकली हैं रोमानिया की| बोली कि 2009-10 में मेरे पास जो लड़की रहती थी, उसका अफेयर उसके चचेरे भाई से चल निकला था तो उसके पेरेंट्स ने लड़की को घर से निकाल दिया था| और लड़की माइग्रेट हो के फ्रांस आई तो मैंने आया के तौर पर रख लिया| परन्तु फिर अगले ही साल जब वो वापिस रोमानिया गई तो वो अपने लवर से मिली, परन्तु तब दोनों की फैमिली ने फिर से पींघे बढ़ती दिखी तो लड़के-लड़की को बहुत मारा और लड़की फिर से वापिस फ्रांस आ गई|
हालाँकि मुझे वर्ड-टू-वर्ड याद नहीं परन्तु ऊपरी तौर पर दोस्त ने मुझे यही कहानी बताई| चर्चों से पता चला तो पाया कि जो लोग चर्च में कॉन्फेशन करने जाते हैं उनमें ऐसे केस भी होते हैं जो अपनी कजिन, रिलेटिव या सेम-सरनेम में कोई अफेयर हुआ तो उसका कॉन्फेशन भी करते होते हैं|
कुछ भी हो मुझे इस बात से संतुष्टि हुई कि मेरी सभ्यता से इनकी सभ्यता में इतनी बड़ी चीज मिलती है, कि उसको सोशल लाइफ का 'कोड ऑफ़ कंडक्ट' यह भी मानते हैं और हमारे वाले भी|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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