Friday 26 June 2015

लोकदिखावा, सोशल रेपुटेशन अथवा मनी पावर दिखाने और जताने के अपने पैमाने बदलो!


क्या आपको कावड़ लाने की सलाह देने वाला खुद कावड़ लाता है कभी?

क्या आपको मृत्युभोज/काज करने की प्रेरणा देने वाला, खुद के पुरखों का मृत्युभोज आयोजित करता है कभी?

क्या आपसे सवामनी लगवाने वाला या जगराते करवाने वाला खुद यह करता है कभी?

तो फिर क्यों बावले हुए टूल रहे? कारण साफ़ है उसके लिए यह सिर्फ पैसा कमाने का धंधा है|

दिखावे या समाज में इज्जत और रेपुटेशन या फिर मनी पावर दिखाने के लिए अगर आप ऐसा करते हैं तो वो तो मृत्युभोज के पैसे से किसी गरीब और साधनहीन होशियार बालक की शिक्षा में लगा के भी कर सकते हो?

अपने घर-रिश्तेदारी में होने वाले ऐसे आयोजनों पर उनको बोलें कि आप यही पैसा आसपास के किसी जरूरतमंद के शिक्षा खर्च हेतु बोल दीजिये| गाँव की चौपाल से बुलवा दीजिये, अखबारों में निकलवा दीजिये, कि फलां-फलां ने अपने अतिवृद्ध पिता अथवा दादा की मृत्यु पर एक-दो-चार या जितना भी सामर्थ्य हो उतने गरीब बच्चों की एक-दो-चार या जितने तक हों उतने साल की शिक्षा का खर्च वहन करने का बीड़ा उठाया|

मेरे ख्याल से इससे आपको ज्यादा यश, वैभव और प्रतिष्ठा के साथ-साथ आपके पुरखे की आत्मा को भी संतुष्टि मिलेगी| बात तो दिखावे की ही हैं ना, तो अखबारों में निकाल के आपका दिखावे का चाव भी पूरा और डायरेक्ट आपके हाथों से धर्म का धर्म|

कसम से अगर किसी जरूरतमंद की सहायता करने से भी आपको बहु या मनोकामना नहीं मिलती तो कावड़ लाने से मिलेगी ऐसा तो सपने में भी मत सोचना|

इसको पढ़ के आया एक भेद और समझ कि यह फंडी-पाखंडी लोग आपको गुप्तदान की क्यों बोलते हैं अथवा दान दे के भूल जाने की अथवा दान को गाने-बताने की चीज नहीं होती ऐसा क्यों बोलते हैं? ताकि कहीं आप खुद दान-पुन ना करने लग जावें और इनके धंधे चौपट हो जावें| अखबारों में अगर आप इनको निकलवाओगे तो आप खुद ही भगवान बन जाओगे, तो फिर इनके घड़े हुओं को कौन पूछेगा| बड़ा गहरा रहस्य बता दिया है, अपने भगवान खुद बनिए और खुद के दान को जी भर के लोकदिखावा करते हुए, गरीब बच्चों की मदद कीजिये|

फुलटूस बाकायदा होर्डिंग्स लगवाइये, बैनर लगवाइये परन्तु अपने हाथों से दान-पुन कीजिये| अपने पुरखे की मृत्यु पे बेशक स्पीकर लगा के, यहां तक कि चाहो तो टीवी पे लाइव दिखवा के गरीब और जरूरतमंत को अडॉप्ट कीजिये अथवा दान दीजिये, परन्तु खुद कीजिये| ऐसे लोगों की तोंदों पे वसा चढ़वाने वाले लोकदिखावों से सिवाय समाज में असामनता-अराजकता और हीन भावना फैलने के कुछ हासिल नहीं होगा|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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