Sunday 11 October 2015

यही है बीजेपी और आरएसएस के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की परिभाषा!

मुझे पूरा विश्वास है कि हरयाणा में जाटों से खिंचे-खिंचे रहने वाले यादव भाईयों को बिहार चुनाव में बीजेपी और आरएसएस उसी फील की दस्तक दे रही होगी जो हरयाणा में जाटों के साथ पहले से ही चल रही है!

इतना तो पक्का है कि बिहार का यादव सकपकाया हुआ है कि अगर बीजेपी आई तो उनके साथ कहीं यह वही ना करे जो हरयाणा में जाटों के साथ की हुई है|

यही है बीजेपी और आरएसएस के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की परिभाषा!

उम्मीद है कि इस बिहार इलेक्शन से हरयाणा का यादव भी सबक लेवेगा और अपने सबसे करीबी और समकक्ष समाज जाट से वापिस आन जुड़ेगा!

वैसे भी आम यादव और आम जाट को केंद्र में केंद्रीय मंत्री या राज्य में सीएम से ज्यादा फसलों के भाव चाहियें! जो कि बीजेपी जबसे आई है तब से तली में बिठा दिए गए हैं| कोई ना अभी तो चार साल और बाकी हैं, तब तक सिर्फ भाव ही नहीं, हर जाति के किसान की जेब भी टाँकियों वाली ना हो जावे तो देखना| चाहे फिर वो राजकुमार सैनी का सैनी किसान समाज भी क्यों ना हो| धान की एकड़ का बाद्धा लागत 30000 तो आमदनी 17000, बचत की तो फिर पूछो ही मत|

वैसे हरयाणा में जाटों के साथ यह राष्ट्रवाद-राष्ट्रवाद खेलने से पहले, गुजरात में पटेलों और महाराष्ट्र में मराठों के साथ बीजेपी, आरएसएस यही खेल चुकी है|

जय योद्धेय! - फूल मलिक

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