Monday 28 December 2015

बताओ लोकतांत्रिकता को कर्ज चुकाने का नाम देना कोई इन मीडिया में बैठे एंटी-जाटों से सीखे!

जाट ऐसा करते रहते हैं। और भी बहुत से गाँव हैं जिनमें जाट मेजोरिटी में होने पर माइनॉरिटी जाति को सरपंची दी है। अभी भिवानी की तरफ एक गाँव में एक धोबी (छिम्बी) जाति की महिला को जाट-बाहुल्य गाँव ने सर्वसमत्ति से अपनी सरपंच चुना है, जबकि उस गाँव में धोबी समुदाय का एक ही घर बताया जा रहा है और वो भी सिवानी-मंडी में रोजगार करता है। पिछले हफ्ते ही यह खबर अखबारों में थी।

तो इसका मतलब यह हुआ कि जाटों ने कोई कर्ज उतार दिया, उस लेडी को सरपंच बना के? या यह मीडिया वाले यह कहना चाहते हैं कि सारे गाँवों में जाट ऐसी ही माइनॉरिटीज को सरपंच बना दें और खुद रास्ते से हट जाएँ। अच्छे से समझता हूँ कि तुम लोग कौनसा शब्द और किस मंतव्य में प्रयोग करते हो।

महानता को महानता और लोकतांत्रिकता को लोकतांत्रिकता कहने की कूबत जिसमें नहीं हुआ करती वो ऐसे ही "चूचियों में हाड" ढूँढा करते हैं।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

Source: http://www.bhaskar.com/news/HAR-AMB-OMC-jat-community-gave-sarpanchi-post-to-road-community-5207085-NOR.html?pg=0

No comments: