Wednesday 27 January 2016

जब सरदार भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाने वाले जज शादीलाल का सर छोटूराम से पाला पड़ा!

बात सन 1934 की है| लाहौर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश 'शादीलाल' से एक अपीलकर्ता किसान ने कहा कि मैं बहुत गरीब आदमी हूं, कर्ज ना चुका पाने की सूरत हो चली है और मेरा घर और बैल कुर्की की नौबत आ गई, कृपया मेरे घर और बैल की कुर्की से माफ किया जाये। तब जज शादीलाल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि एक छोटूराम नाम का आदमी है, वही ऐसे कानून बनाता है, उसके पास जाओ और कानून बनवा कर लाओ। अपीलकर्ता किसान चौ. छोटूराम के पास आया और यह तंज भरी टिप्पणी सुनाई।

दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने 8 अप्रैल 1935 में किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए "कर्ज माफ़ी अधिनियम" बना डाला। इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा। इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी (रीकैन्सिलेशन) बोर्ड बनाए गए जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य होते थे। दाम दुप्पटा का नियम लागू किया गया। इसके अनुसार दुधारू पशु, बछड़ा, ऊंट, रेहड़ा, घेर, गितवाड़ आदि आजीविका के साधनों की नीलामी नहीं की जाएगी।

और साथ ही चौ. छोटूराम ने कानून में ऐसा संशोधन करवाया कि शादीलाल की उस अदालत की सुनवाई पर ही प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह चौधरी साहब ने इस व्यंग्य का जबरदस्त उत्तर दिया।

जय हो किसानों के राम, सर छोटूराम जी की!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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