Friday 11 March 2016

व्यापारिक हो या कृषि-संबंधी, सबके नुकसान संबंधित सर्वे, मुवावजे और भुगतान एक ही पैटर्न पर होने चाहियें!


हाल-ही में हुए हरयाणा दंगों में हुए व्यापारिक नुकसान बारे हो रहे सर्वे, मुवावजे और इनके आवंटन के तरीकों से देश की तमाम किसान यूनियनों, संगठनों एवं किसानों द्वारा भी उनके नुकसानों की भी ऐसे ही भरपाई बारे आवाज उठानी और मांग करनी चाहिए| जैसे:

1) आज हरयाणा कैबिनेट मिनिस्टर कविता जैन ने लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट्स की मीटिंग ली, जिसमें हरयाणा दंगों में शहरों में हुए नुकसान के सर्वे के लिए समिति बनाई गई है| इसमें रोचक बात यह है कि इसमें हर शहर से एक मेंबर मार्किट एसोसिएशन का लिया गया है ताकि व्यापारियों को ज्यादा मुवावजा दिलवाया जा सके| इससे पहले किसानों की फसलों के कभी बाढ़, कभी बारिश, कभी सूखा तो कभी बीमारी के चलते नुकसान के कितने ही सर्वे हुए, परन्तु कभी नहीं सुनने-देखने में आया कि ऐसे सर्वे वाली कमेटियों में कोई किसान यूनियन या संघटनों का सदस्य भी रहा हो| तो अब से किसानों की हर संस्था-संगठन को इस पर भविष्य के लिए सतर्क भी रहना चाहिए और इसकी मांग उठानी चाहिए कि जब-जब किसानों का नुकसान हो तो उनका भी सर्वे इसी तर्ज पर हो|
 

2) व्यापारियों का नुकसान हुआ तो 25% मुवावजा राशि एडवांस में जारी कर दी गई, परन्तु जब किसानों के नुकसान होते हैं तो एडवांस तो दूर, वक्त पे मुवावजा ही मिल जाये तो गनीमत है| इसलिए किसान संगठनों को इस पर भी संज्ञान लेना चाहिए और ऐसा ही कानून या प्रावधान किसानों के लिए हो कि भविष्य में नुकसान होते ही 25% मुवावजा राशि तुरंत जारी हो जाए|

3) सुना है एमएलए लोगों की एक महीने की तनख्वाह इन दंगों के लिए ली जा रही है या एमएलए लोगों ने खुद दी है| किसान संगठनों को चाहिए कि ऐसी ही दरियादिली यह लोग तब भी दिखावें जब किसान का नुकसान होवे|

4) जितनी तीव्रता और कम समय कहिये या जिस भी समयावधि में यह कार्य इस बार हो रहे हैं, इसको नोट करना चाहिए और इसी तरीके की संवेदनशीलता और तीव्रता से किसानों के मामले में कार्यवाही होनी चाहिए|
आज सरकार ने सफेद मक्खी से पीड़ित किसानों के लिये 972 करोड़ रूपये का पैकेज घोषित किया है, इसको इन ऊपर बताये तरीकों की तर्ज दिलवाने हेतु आवाज उठाने का प्रैक्टिकल बनाया जा सकता है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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