Friday 8 July 2016

यूनियनिस्ट मिशन, धर्म और राजनीति!

जब से दो जाट आंदोलन हो के हटे हैं, आरएसएस और बीजेपी में बड़ी बेचैनी है कि जाटों को अपने झांसे में कैसे रखा जाए| इसके लिए दो तरह के ट्रोल्स सोशल मीडिया पर चल रहे हैं|

एक तो ब्रेनवाश किये जाट युवा को यह नहीं दिखने दे रहे कि एक हिंदूवादी सरकार ने ही बावजूद "हिन्दू एकता और बराबरी" की संदेशवाहक होने के, बिना देश में विदेशियों का राज हुए भी तुम्हारे जाट समाज के साथ फरवरी माह में हरयाणा में खुला 'जलियांवाला बाग़' खेला है और पुलिस-फ़ौज-तथाकथित ब्रिगेड और स्वंय आरएसएस के गुर्गे लगा के पूरा एड़ी-चोटी तक का जोर लगा के तुम्हें दबाने और कुचलने की जी-तोड़ कोशिश की गई है|

और दूसरा इन्हीं जाट युवाओं को पठा के सोशल मीडिया पर छोड़ा गया है, वो भी वही रटी-रटाई नफरत करने की राजनीति के राष्ट्रवाद भरे कैप्सूल्स और डोज पिला-पिला के कि देखो यह यूनियनिस्ट मिशन वाले मंडी-फंडी के बहाने हिन्दू धर्म पर अटैक कर रहे हैं और मुस्लिमों को कुछ कह ही नहीं रहे?

तो पहली तो बात यह बता दूँ कि उस सावरकर के शागिर्दों से जिसने 6-6 बार तो अंग्रेजों से दया-याचिकाएं लिखित रूप में मांगी और इन्हीं की तर्ज वाली देश को तोड़ने की मंशा रखने वाली मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सावरकर की हिन्दू महासभा ने आज़ादी से पहले के सिंध प्रान्त में सरकार भोगी; उनसे एक यूनियनिस्ट को यह सीखने की जरूरत नहीं कि क्या तो राष्ट्रवाद और कौनसे मुस्लिम से बच के रहें और कौनसे से नहीं|

कहना क्या चाहते हो कि हम उसी महबूबा मुफ़्ती किस्म के मुस्लिमों से बच के रहें, जिनके साथ तुम जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाते हो? तुम बोलते हो कि यूनियनिस्ट मुस्लिमों का विरोध नहीं करते, कर तो रहे हैं तुम्हारे द्वारा जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती के साथ मिलके सरकार बनाने का? है हिम्मत तो दो जवाब कि यह "बगल में छुर्री और मुंह में राम-राम" वाली बेपैंदी के लोटे वाली दिग्भर्मित राजनीति क्यों?

या फिर तुम्हारे संघ के पहले संस्थापक गोलवलकर से सीखें, जिससे कि आज़ादी की लड़ाई लड़ने की कहा जाता था तो कहते थे कि हमें अंग्रेजों से झगड़ा नहीं करना?

या फिर उस श्यामाप्रसाद मुखर्जी से राष्ट्रवाद सीखें जिसने आज़ादी से पहले के बंगाल में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर ही उप-मुख्य्मंत्री की राजगद्दी भोगी? और भारत छोडो आंदोलन का विरोध किया? नेता जी सुभाष चन्द्र बॉस की आज़ाद हिन्द सेना से मुकाबले हेतु अंग्रेजों के लिए बंगाल में फ़ौज की खुली भर्तियां करवाई?

अरे हम अगर मुस्लिम-सिख-हिन्दू (मंडी-फंडी की किसान-मजदूर के प्रति बुरी नीतियों के पुरजोर विरोधी हैं हम, इसके अलावा जिन किसान-दलित-पिछड़े की हम आवाज उठाते हैं, भूलो मत कि वो भी हिन्दू ही कहलाते हैं) इत्यादि धर्मों से भाईचारा रखते हैं तो साफ़ दिल से रखते हैं; तुम्हारी तरह नहीं कि वैसे तो सोते-उठते-खाते-पीते मुस्लिमों को पानी पी-पी कोसने की भांति कोस के सारे समाज को भड़क बिठाए रखो और जब असली हकीकत सामने आये तो उन्हीं से मिलके कहीं सिंध में सरकारें बनाने से नहीं चूकते तो कहीं बंगाल और कहीं जम्मू-कश्मीर में|

व्यक्तिगत तौर पर मुझे अंधभक्तों की जमात से कोई वैर-विरोध नहीं, कोई मनमुटाव नहीं; बशर्ते इनमें शामिल जाट और हर किसान-दलित-पिछड़े का बेटा-बेटी यह चीजें कर दे; करवा दे इनसे और फिर मेरा इनसे विरोध खत्म:

1) आरएसएस कहे कि हरयाणा में तुरंत-प्रभाव से जाट बनाम नॉन-जाट का अखाडा बंद हो|

2) जिस हिन्दू धर्म की एकता और बराबरी की ख्याली दुहाई की धूनी यह तुम पर घुमाए फिरते हैं, पहले यह इसमें फैले-फैलाए इनके लिखित-मौखिक हर प्रारूप के वर्णवाद व् जातिवाद को सार्वजनिक समारोह करके तिलांजलि देवें|

3) आरएसएस सिर्फ 2-3 जातियों के महापुरुषों के नहीं अपितु हर जाति-वर्ण के महापुरुषों के जन्म व् मरण दिन मनावे| जाति-वर्ण को खत्म करे तो राजाओं-महाराजों, खाप यौद्धेयों की वीरता के पैमानों के आधार पर तय करे कि कौन महापुरुष और कौन नहीं| ऐसे स्वघोषित तरीके से नहीं कि जो अंग्रेजों से छ-छ बार दया-याचिका लिखा करते थे (सावरकर), जो मुस्लिमों के साथ मिलके सरकारें बनाया करते थे (सावरकर और मुखर्जी), जो किसान-दलित पिछड़े के लिए बनके आई साइमन कमिसन का विरोध किया करते थे (लाला लाजपत राय) जैसों को ही अपना आदर्श पुरुष मानती हो|

4) हर जाति का उस जाति के अपने लोगों की राय और समीक्षा के आधार पर निष्पक्ष इतिहास और संस्कृति लिखे व् उसको बराबर तरीके से प्रचारित होने दे व् फलने-फूलने दे| याद है ना आज के दिन हरयाणवी की क्या औकात बना के रख दी है इन्होनें? प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में "मैं हरयाणवी हूँ" की पहचान तक छुपाते फिरते हो और तुम भी| किसी हिन्दू धर्म के ही लाले-बनिए को कहीं यह ना पता लग जाए कि मैं फलानि जाति का हिन्दू हूँ, वो पहचान तक छुपानी पड़ रही है तुम्हें,उसके वहाँ काम करते हुए?

और बात करते हो कि हिन्दू धर्म को यूनियनिस्ट तोड़ रहे हैं? हो औकात और स्वछन्द तरीके से सोचने की शक्ति और समर्थता तो बताओ तुम्हें प्राइवेट नौकरी करते हुए हरयाणवी और जाट होने की पहचान किसी मुस्लमान की वजह से छुपानी पड़ रही है या हिन्दू की वजह से?

अगर इन चीजों पर कार्य नहीं कर या अपने आकाओं से करवा सकते तो, शांति से समझने की कोशिश करो कि हम इन मुद्दों के लिए खड़े हुए हैं और इनके लिए ही आवाम को जगा रहे हैं| साथ नहीं आ सकते तो न्यूट्रल भी रहोगे तो हमारी बहुत मदद होगी| धन्यवाद|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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