Saturday 13 August 2016

राजकुमार सैनी के मामले में धैर्य से काम लेने वाला जाट समाज बधाई का पात्र है!

पिछले दो साल से आरएसएस/बीजेपी द्वारा (क्योंकि इनकी इजाजत या शय के बिना जो ऐसे कार्य करते हैं वो तुरन्त मोदी-शाह दरबार या आरएसएस के झण्डेवालां दरबार में हाजिर करके हड़का दिए जाते हैं) जाट बनाम नॉन-जाट की मंशा से समाज में जातिवाद का खुला जहर उगलने के लिए खुले छोड़े गए कुरुक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी को अब जनता ने खुद ही नकारना शुरू कर दिया है| कल कलायत में हुई बीजेपी की राज्य-स्तरीय रैली में जब महाशय बोलने के लिए उठे तो जनता ने इतनी हूटिंग करी कि बिना भाषण दिए ही सन्तोष करना पड़ा|

यह हरयाणा है बाबू, यहां काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ा करती| किसी सामाजिक या गैर-बीजेपी रैली में राजकुमार सैनी का विरोध होता तो कुछ भी बहाना मार के मामले को रफ-दफा किया जा सकता था| परन्तु बीजेपी की रैली में ही ऐसा होना, हरयाणा में जाट बनाम नॉन-जाट की खाई पर सवार हो राज करने की आस पाली हुई भाजपा और आरएसएस को निसन्देह अब गहन चिंतन में डालने वाला है| क्योंकि इधर रोहतक में भी जाट बनाम नॉन-जाट के फार्मूला को भुनाने के उद्देश्य से 27 अगस्त को रखी गई रैली को जाटों द्वारा समर्थन मिलने से सैनी महाशय को रदद् करना पड़ा है| यानी एक के बाद एक दो सेट-बैक लगना कहीं राजकुमार सैनी को अब भाजपा और आरएसएस के लिए बुझे हुए कारतूस वाली श्रेणी में ना खड़ा कर दे|

खैर, बीजेपी, आरएसएस अब सैनी को ले के आगे क्या प्लान बनाएगी, इनको उलझा रहने देवें इसी में| काम की जो बात है वो यह कि जाट समाज के लिए अब और भी सावधान होने की आवश्यकता है; क्योंकि अगर राजकुमार सैनी को 2-4-5 रैलियों में और ऐसे ही जनता की हूटिंग या रैली रदद् करने जैसी परिस्तिथियों का सामना करना पड़ गया तो समझो सैनी बीजेपी/आरएसएस के लिए चला हुआ खस्ता कारतूस पक्के तौर से बन जायेंगे| और ऐसे में राजनीति का वो वाला घटिया स्तर देखने को मिल सकता है, जिसका मैं पीछे की पोस्टों में भी बहुत बार संशय जता चुका हूँ| यानी जाटों को जाट बनाम नॉन-जाट की बिसात पे अलग-थलग करने वाली बीजेपी/आरएसएस सैनी पर झूठ हमला करवाने या यहां तक कि महाशय को मरवा के उसका इल्जाम जाटों पर लगवाने तक का षड्यन्त्र खेल दे तो, मुझे तो कम-से-कम कोई ताज्जुब नहीं होगा| हाँ, यह यह हमला या मरवाने वाला काम हुआ भी तो 2019 चुनावों के अड़गड़े होगा, अभी तो सैनी को और चला के देखेंगे|

अंत में चलते-चलते जाट समाज को तहे दिल से धन्यवाद कि वो सैनी पर भड़का नहीं, वर्ना और निसन्देह बीजेपी/आरएसएस की जाट बनाम नॉन-जाट थ्योरी सफल हो जाती| अपने मूल डीएनए पर चलते हुए, इनकी इस चाल को इसकी गति (वो देखो उसके कर्मों की क्या गति हुई वाली गति) से मिलवाना; निसन्देह जाट समाज में स्थिरता, शांति और विश्वास को फिर से बहाल करेगा|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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