Tuesday 16 May 2017

जमींदार जागरूकता के 30 सूत्र!

ताकि लोकतान्त्रिक सामाजिकता बची रहे!

(01) जमींदार एक हों।
(02) दादा खेड़ा (उर्फ़ दादा भैया, ग्राम खेड़ा) को अपना नायक मानें।
(03) छोटे छोटे संगठनों के जमींदार कोष बनें।
(04) कोष से गरीब जमींदारों की मदद हो।
(05) जमींदार कोई न कोई तकनीक सीखें।
(06) जमींदार अधिकारी, नेता, उद्योगपति कानून के अंदर जमींदार की मदद को प्राथमिकता दें।
(07) ढोंग-मूढ़मढ़िता-पाखंड बढ़ाने वाली चीजों से जमींदार का पतन हुआ है, इसलिए इनको बढ़ावा देने की अपेक्षा इनके सामने स्कूल-कॉलेज-चौपाल-परस खड़ी करें|
(08) पढ़े लिखे जमींदार, ढोंग-पाखंड की समस्त थ्योरियों को ध्वस्त करें।
(09) अस्पृश्यता बिलकुल न रखें, समाज को वर्ण व् जाति में बांटने वालों से उचित दूरी बना कर चलें।
(10) जमींदार व् जमींदार का वंशज होने पर गर्व करें।
(11) सभी जमींदार अपने नाम में अपना गौत गर्व से लिखें।
(12) जमींदार, जमींदार की निंदा कभी न करे। यदि कोई करता है, तो तार्किक विरोध करें।
(13) "जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" नियम के तहत 100% आरक्षण लागू करवाने हेतु मिलकर आंदोलन चलाएं।
(14) जहाँ भी दादा खेड़ा, बेमाता, खाप जैसी जमींदारों की तमाम लोकतान्त्रिक प्रणालियों का विरोध या आलोचना हो तो तार्किक व् तुलनात्मक मुकाबला करें।
(15) अपनी मान-मान्यताओं व् खाप यौद्धेयों का अपमान बिलकुल सहन न करें।
(16) सर छोटूराम व् अन्य तमाम जमींदारों के मसीहाई नेताओं के जमींदारों के कल्याण हेतु बनाये कानूनों को अपना गौरव ग्रंथ मानें व बच्चों को अवश्य पढ़ाएं। ऐसे तमाम कानूनों को एक पुस्तक का रूप दे के, उस पुस्तक को "जमींदार-सहिंता" के नाम से अपने पास रखें|
(17) इतिहास के जमींदार नायकों व् खाप यौद्धेयों पर शोध पूर्ण लेख व् पुस्तकें लिखी जाएँ।
(18) जमींदार पहले बनें, कोई भी धर्मी बाद में! शहरी जमींदार वंशजों को भी इस बात के तमाम महत्व बताएं!
(19) अगर किसी भी धर्म-जाति के नाम पर बनी कोई संस्था, जमींदार जमात का भला नहीं करती है तो उसको त्याग दें| और अपना जमींदारी सिद्धांत अपनाएँ।
(20) सभी जमींदार प्रतिदिन दादा खेड़ा व् चौपाल की ओर जाएँ व् इनकी इमारतों को बनाये रखने, मरम्मत व नवनिर्माण हेतु यथाशक्ति दान करें।
(21) संगठित होकर रहें| किसी जमींदार पर संकट आने पर मिलकर मुकाबला करें।
(22) प्राचीन व आधुनिक शिक्षा प्राप्त करें।
(23) कैरियर पर अधिक ध्यान दें। जमींदारी से संबंधित तमाम व्यापारों में उतरिये!
(24) जीविका के लिए जो भी काम मिले, दादा खेड़ा का नाम लेकर करें।
(25) जमींदार-पुरखों में आस्था रखें!
(26) नित्यकर्म मे स्वाध्याय को सम्मिलित कीजिये!
(27) नारी का सम्मान व् यथासम्भव बराबरी के लिये संकल्पित होईये! आसपास का माहौल नारी को भयमुक्त जीवन देने वाला बनाईये!
(28) जमींदार किसी भी हालत मे हो उसका सम्मान एवं उसकी उन्नति के लिये प्रयास कीजिये!
(29) जमींदार के दुश्मन वर्गों से जमीन व् फसल बचाने के यथोचित सक्रिय (Proactive) मार्ग अपना कर चलिए!
(30) जमींदार एक जाति-वर्ण रहित सोशल थ्योरी है, इसको किसी भी प्रकार की सामन्तवादिता से बचा के चलिए!


जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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