Thursday 7 November 2019

सिर्फ दिल्ली ही क्यों पूरे प्राचीन विशाल हरयाणा-पंजाब के प्रदूषण की बात होनी चाहिए!

इससे पहले दिल्ली पॉल्यूशन का इलाज यह हो कि इसके पॉपुलेशन बोझ को कम करने हेतु इसको हरयाणा-वेस्ट यूपी के अन्य जिलों में फैलवाया जाए; स्थानीय हरयाणवी-पंजाबी आवाज उठानी शुरू कर लें कि "पूरा देश यही ला के बसाओगे क्या? यह फैक्टरीज-डेवलपमेंट उन राज्यों-जिलों में भी ले जाओ जहाँ इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है और जहाँ लोगों को रोजगार नहीं|" माना एक देश एक कानून के तहत कोई कहीं भी रह कर रोजगार कर सकता है, बस सकता है; परन्तु कहीं तो कोई लिमिट होगी जो पूरे देश की निर्भरता पंजाब-हरयाणा-एनसीआर पर ही लादे जा रहे हो?

पता नहीं किस सनक व् संवेदनहीनता से भरे लोग हैं इस देश की सत्ता को चलाने वाले कि चाहे यह पूरा क्षेत्र प्रदूषण का डस्टबिन बन जाए परन्तु यह इसकी वजह से स्थानीय लोगों पर पड़ने वाली ना सिर्फ वायु प्रदूषण की मार वरन अन्य 70 तरह के प्रदूषण और जैसे कि कल्चरल प्रदूषण, हेल्थ-प्रदूषण, मानसिक तनाव, धरती-दोहन, जल-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण, स्थानीय युवाओं की नौकरियाँ जाना या मिलना ही नहीं आदि-आदि जो यहाँ लोग झेल रहे हैं; वह ना इनको दीखता और ना उसकी चिंता|

हरयाणा के एक-एक गाम-मोहल्ले-शहर में दर्जनों-सैंकड़ों-हजारों कैंसर से ले पता नहीं कौनसी-कौनसी गंभीर बिमारियों के बचपन से शिकार हो गए हैं, इसकी तरफ कौन ध्यान देगा? और स्थानीय लोगों को तो इनमें नौकरियाँ भी नहीं मिल रही तो क्या यह तथाकथित फैक्टरीज आदि हमारी छाती पर हमारे फेफड़े-गुर्दे-किडनी आदि खराब करने मात्र को आन धरी हैं बस?

ऊपर से हरयाणवी ऐसे, हरयाणा ऐसा, इनकी बोली लठमार, इनका व्यवहार तालिबानी आदि के तान्ने झेल-झेल मानसिक तनाव बढ़ावें हरयाणवियों का वह अलग से| ना कोई श्यान ना गुण|

अत: तमाम हरयाणवी व् पंजाबी सावधान हो जावें, यह दिल्ली का प्रदूषण का शोर यूँ ही नहीं है, इसके जरिये दिल्ली से निकाल आपके शहरो-गामों की ओर इस बोझ को टालने की तैयारी भी है| इससे पहले यह सब होवे, हर जिला-तहसील आदि में ज्ञापन-पे-ज्ञापन भर दो कि हमारे ऊपर से यह तमाम तरह के तनाव कम करने हेतु; नई फैक्ट्रियों को उन जिलों-राज्यों में ले जाया जाए जहाँ इनकी वाकई जरूरत है| जानता हूँ कि इन ज्ञापनों से भी इनके कानों पर शायद ही जूँ रेंगें परन्तु जब मामले कोर्टों में पहुंचेंगे तो यह ज्ञापन की कॉपीज ही काम आएँगी|

नोट: हरयाणा एनसीआर में दूसरे राज्यों से बसने वाले मित्र माफ़ करें; परन्तु मुझे विश्वास है कि इस जानलेवा प्रदूषण में रह के नौकरी करके तो आप भी ज्यादा से खुश नहीं ही होंगे| आपके पास तो इस से ब्रेक पा लेने को आपके गृहराज्य घूम आने का ऑप्शन है परन्तु आम हरयाणवी-पंजाबी क्या करे जिसके पास यह ऑप्शन भी नहीं| या फिर आप ही ऐसे उपाय बताएं, जिम्मेदारी लेने को आगे आवें जिससे यह तमाम प्रकार के प्रदूषण कम किये जा सकें|   

जय यौद्धेय! - फूल कुमार

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