Saturday 21 December 2019

कल से शुरू हो रहे 18 जाटरात्रों को मनाने की विधि!

एक उद्घोषणा: लेखक सर्वसमाज-सर्वधर्म का पैरोकार है जब तक बात समाज को एक सामूहिक परिवार की भाँति चलाने की आती है तो| यह लेख घर के भीतर के एक सदस्य को उस घर में उसके योगदान-सहयोग-सम्पर्ण आदि बता उसकी हस्ती को जिन्दा रख एक 'किनशिप' के नियम के तहत अगली पीढ़ी को पास करने की कवायद भर है| इसके अलावा घर के जिस सदस्य के लिए यह लिखा जा रहा है यानि "जाट" वह हमेशा यह बात सबसे ऊपर रखेगा कि समाज रुपी इस सामूहिक परिवार में उसके साथ 36 बिरादरी व् सर्वधर्म रहते हैं| इसलिए इस लेख में बताई गई बातों को खुद की हस्ती बारे जागरूकता तक ही प्रयोग करेगा| कहीं भी, किसी भी हालात में यह लेख कोई भी द्वेष-घमंड-अहम्-तुलना पालने या उसका प्रदर्शन करने का जरिया नहीं बनाया जाए| ऐसा करने वाले असली "जाट के जाम" नहीं माने जायेंगे| लाजिमी है कि ऐसी मति को ठीक करके ही इस लेख को पढ़ें अन्यथा यहीं तक पढ़ के छोड़ दें|

यही मौसम सबसे प्रयुक्त क्यों?: सर्दियों का मौसम, खेतों में तमाम तरह की बुवाई-बहाई हो चुकी है| बस फसलों को पानी देना या गन्ना (गंडा) छोलना मुख्यत: यही दो काम रहते हैं| सर्दी शिखर पर होती है तो क्या गाम वाला क्या शहर वाला, हर कोई गूदड़ों में दुबका रहना पसंद करता है| यानि अधिकतर कुणबा घर में ही होता है| छोटे-बड़े लगभग फुरसत में होते हैं| स्कूली बच्चों की भी कहीं क्रिसमस की, तो कहीं सर्दी की तो कहीं नए साल की छुट्टियाँ होती हैं| संयोग यह भी है कि इन्हीं रात्रों के दौरान न्यूनतम 5 सिर्फ जाट ही नहीं अपितु हिंदुस्तान की महानतम हस्तियों में सुमार हस्तियों के जन्म अथवा बलिदान दिवस भी आते हैं| तो ऐसे में मौका है कि घर व् आसपड़ोस के बड़े, बच्चों व् जवानों समेत एक साथ बैठें व् 18 अध्यायों में रोज एक अध्याय की भाँति 18 जाट-रात्रों के जरिये कुछ यूँ अपनी "किनशिप" को आगे की पीढ़ियों को पास करें, 'किनशिप' को डेवेलोप करें:

पहला जाटरात्रा -
दिन - 23 दिसंबर
खास बात - बड़े चौधरी साहब का जन्मदिवस
इस रात्रे का शीर्षक "जाट वास्तुकला-स्थापत्यकला-भवन-हवेली निर्माण रुचि-गाम-खेड़े सरंचना-आर्ट व् कला"|
इसको मनाने का थीम - "अनपढ़ जाट पढ़े जैसा, पढ़ा जाट खुदा जैसा"|
मुख्य मंथन क्या करें - "विचारें कि हमारे पुरखे 99% ग्रामीण व् अक्षरज्ञान में नगण्य होते हुए भी सत्यार्थ-प्रकाश जैसे ग्रंथों में "जाट जी" व् "जाट देवता" कहला गए और आप-हम उसके विपरीत "35 बनाम 1" या "जाट बनाम नॉन-जाट" झेल रहे?"

उत्सव स्वरूप क्या चर्चा करें?: आपस में बताएं कि जाट समाज कैसे परस-चौपाल-चुपाड़, कुँए-जोहड़ों व् उनपे बुर्ज-बुर्जी, दादा नगर खेड़ों के मात्र एक कमरा आकार के धोक-ज्योत के धाम, हवेलीयों आदि के निर्माण में कैसी नक्कासी आदि प्रयोग करता रहा है| क्यों पुरखों की हवेलियां बाई-डिफ़ॉल्ट गर्मियों में ठंडी व् सर्दियों में गर्म रहती थी| बताएं कि जाटलैंड जहाँ तक है इंडिया में कम्युनिटी गैदरिंग की परस-चौपाल सिर्फ वही तक मिलती हैं; इस हद के बाहर इनका नामो-निशां मिलता है तो फिर सीधा इंडिया से बाहर यूरोप-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया में ही मिलता है| कैसे यह मिनी फोर्ट्रेस परस-चौपाल हर प्रकार के धार्मिक व् राजनयिक स्थल से उच्च स्तर की इंसानियत पालती आई हैं, आदि-आदि|

इसी से संबंधित कुछ फोटोज इस पोस्ट के साथ लगा रहा हूँ| तो कल बड़े चौधरी साहब की जीवनी समेत, "जाट वास्तुकला-स्थापत्यकला-भवन-हवेली निर्माण रुचि-गाम-खेड़े सरंचना-आर्ट व् कला" बारे आपस में बताएं-पूछें-जानें-समझें| बच्चों को इस पोस्ट की फोटोज भी दिखा सकते हैं शेयर कर सकते हैं| वैसे भी इन फोटोज को नेशनल-स्टेट आदि लेवल का कोई ही पाठ्यक्रम शायद कवर करता हो, जाट के नाम से तो छोडो "हरयाणवी कल्चर" के नाम तक से नहीं| इसलिए यह करना और भी लाजिमी हो जाता है|

मैंने यहाँ "जाट" की बजाये "हरयाणवी" इसलिए बोला है कि "हरयाणवी कल्चर" अकेले जाट से नहीं बनता; 36 बिरादरी व् सर्वधर्मों के गठबंधन से बनता है| इसलिए यह "जाट-रात्रे" मनाते वक्त सिर्फ अपनी हस्ती का अनुभव करें, किसी भी अलगाव या तुलना का नहीं| क्योंकि यह परस-चौपाल आदि तक में सम्पूर्ण हरयाणवी समाज का सहयोग है| ऐसा होते हुए भी इस विषय को पहला जाट-रात्रा इसलिए चुना क्योंकि हरयाणवी समाज में जाट-समाज का इसमें सबसे अधिक सहयोग व् रुचि रही है शायद न्यूनतम 50 से ले 80% तक| परस-चौपाल के रखरखाव के लिए सरकारी ग्रांट्स मिलना आजकल की कहानी है अन्यथा मुख्यत: जाट-समाज समेत अन्य बिरादरियों के दान-सहयोग से ही यह इमारतें बना करती थी, आज भी अधिकतर ऐसे ही बनती हैं|

इसी तरह अगले 17 रात्रों पर एक दिन एडवांस में 17 रात्रों बारे बताता जाऊँगा| अगर लगा कि दैनिक व्यस्तताओं के चलते वक्त की कमी है तो शायद उस दिन बाकी बचे रात्रों बारे ब्रीफ में एक ही पोस्ट भी निकाल दूँ| सम्पूर्ण जाट-रात्रों की सूची जरूर आज ही डाल रहा हूँ, यह रही इंग्लिश में:

1 - 23 December - Art & Construction Heritage of Jats (Paras-Chaupal-Kuen-Burj-Habitation Structure)
2 - 24 December - Proverbs, Slangs and Literature of Jats (All folk sayings around jats)
3 - 25 December – the Princely States of Jats (All global to domestic prince states of Jats)
4 - 26 December – Spirituality of Dada Nagar Kheda / Dada Bhaiya / Gaam Kheda / Baba Bhoomiya / Jathera – A system of statueless priestless worshipping of ancestors and nature as a prime power. Along with the Jat spiritual leaders.
5 - 27 December – Gender Sensitivity, Gaut and Kheda System and Humanity in Jats and Khaps
6 - 28 December – Basics and Golden Belief System, Barter Distribution and Partner Working Culture of “Udarvadi-Jamindari”
7 - 29 December – Military Culture of Akhadas under Sarvkhap Social Security and Safety System, their contribution in World War 1 & 2 and present-day official defenses of India
8 - 30 December – Social Engineering Legend of Sarvkhaps to maintain Brotherhood and Justice in the society and traditional Lhaas system
9 - 31 December –Custom-Costume-Culture-Folklores-Art and Music-Legendary Kissas of Jats and Khaps
10 - 1 January – History and Legends of Khaps and Yauddheyas ( a brief note)
11 - 2 January – History and geography of vishal Haryana (a brief note)
12 - 3 January – Languages of Jats and Khaps – special focus on “Haryanvi is a language and not a dialect” along with Punjabi, Urdu, Hindi, Marwadi, Sanskrit, English etc.
13 - 4 January – Agriculture, Businesses, and Ecosystem of Jats and Khaps
14 - 5 January – Vishal Haryana- United Punjab as an epic abode of Jats and Khaps and India as their motherland
15 - 6 January – Jat and World to Indian and various State Politics
16 - 7 January – Ancient (Bagad) and modern-day RWAs, Bureaucracy, Judiciary and Civil Societies of Jats and Khaps
17 - 8 January – Environment Purity & Safety, Greenary Management, Society Hygiene System and role of Jats and Khaps in Green and White Revolutions
18 - 9 January – Global Analogical Study of Jats and Khaps as Human Race and Civilization with the rest of the world

Photos Sources:
1 - Sir Ranbir Phaugat
2 - Sir Rajkishan Nain
3 - Sir Rajkumar Siwach
4 - Sir Rohnit Phore
5 - Myself
6 - Many friends

जय यौद्धेय! - फूल मलिक



































No comments: