Thursday 12 August 2021

जनसंख्या में आधा प्रतिशत होते हुए भी कभी जैन धर्म, फंडियों के षड़यत्रों का शिकार क्यों नहीं हुआ या होता?

रामरहीम, रामपाल, आशाराम यह आसानी से इनके शिकार कैसे हो जाते रहे हैं? यहाँ तक कि सिखी को भी इन्होनें टारगेट किया न्यूनतम एक दशक (1984-1994) तो मिटाने के जूनून तक किया| 2000 से ले 2016-17 तक खाप भी खूब टारगेट करवाई? तो ऐसा क्या है कि इन सबसे जनसख्यां में कई गुणा कम होने पर भी जैनी कभी इनके निशाने पर नहीं आते?

आप कहेंगे पैसा?
क्या पैसा बिना किसी स्ट्रेटेजी के ही आ जाता है किसी के पास? तो क्या हैं वो स्ट्रेटेजी, जिनके बूते यह पैसा भी हासिल करते हैं व् विश्व में महाधूर्तों में आने वाले फंडियों की बिना एक पत्ता खुड़काये नकेल डाले रखते हैं? कुछ एक जो मैंने समझी वो यह कही जा सकती हैं:
1 - जैनी, सूचना-तंत्र पर बेहताशा इन्वेस्ट करता है| हर एक की गुप्त सीआईडी करवाता है; व इसके आधार पर जब जहाँ जिसको मारना होता है, उसको बौद्धिक और चारित्रिक कमजोरी के बल पर मारता है|
2 - "किनशिप" व् "सरजोड़" में यह सबसे मजबूत हैं, इसीलिए शायद सबसे थोड़े भी हैं| परन्तु आंतरिक लोकतंत्र इतना महीन मैनेज करते हैं कि एक चम्मच तक गिरने की आवाज बाहर नहीं आती इनके यहाँ की| यानि "mind-aligning" पर सबसे ज्यादा जोर देते हैं|
3 - इनकी नाक में दम करने वाले (जैसे इनकी सॉफ्ट-टार्गेटिंग, इनकी बदनामी आदि) को यह पहली-दूसरी-तीसरी आदि स्टेज पे नहीं अपितु अंतिम स्टेज पे जा के मारते हैं यानि जब इस लेवल की वाकई में नौबत आती है| इस मामले में यह इतने कटिबद्ध होते हैं कि सुनने में आता है एक बार तो इन्होनें सीधा एक शंकराचार्य को ही मरवा दिया था| तब से बताते हैं कि सनातनी कभी इनसे पंगा नहीं लेते| जबकि रामरहीम-रामपाल-आशाराम-खाप क्या बिगाड़ पाई फंडियों का? हाँ सिख धर्म ने जरूर इनको जवाब दिया परन्तु 3-4 दशक लग गए इसमें| जबकि जैनी एडवांस में भांप लेते हैं कौन किस मीजान से इन पर मुंह उठाये चला आ रहा है| और यह सम्भव होता है अपनी "कौम-कल्चर" की इंटेलेक्चुअल स्तर पर टॉप वाली "बाड़" किये रहने से|
4 - सन्यास के नाम पर फंडियों की तरह ढोंग नहीं करते, एक बार संसार तज दिया तो तज दिया| और ना ही यह सन्यास लेने पे गली-मोहल्ले मांगते फिरते व् ना ही जंगलों में जा बैठते| अपितु अपने समाज के बीच ही रहते हैं व् समाज से सोध कर-कर अपने समाज को एक सच्चे-सूचे गाइड की तरह गाइड करते हैं|
5 - दुनिया की सबसे खतरनाक नश्लवाद व् अलगाववाद की थ्योरी यानि "वर्णवाद" को यह अपने यहाँ सिरे से नकारते हैं| इनके यहाँ कोई आ गया तो वह सिर्फ जैन है| यानि एक बार जो जैनी बन गया, उसकी हर सम्भव रक्षा करते हैं|
यही वह कुछ वैल्यू-सेट हैं जिनके बूते जैनी सबसे सुरक्षित व् सबसे अमीर बने रहते हैं|
आशा है कि "किनशिप", "सरजोड़" व् "बाड़" की सामाजिक परिवेश में कितनी महत्ता है समझ रहे होंगे|
जैनियों के हिसाब का इनके सबसे नजदीक लगता समाज है उदारवादी जमींदारों व् सिखी का; बशर्ते वह अपनी "किनशिप", "बाड़" व् "सरजोड़" ढंग से कर लें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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