Tuesday 10 August 2021

गौत का प्यार जाति-धर्म से भी बड़ा होता है, ठीक वैसे ही जैसे जाति का प्यार धर्म से भी बड़ा होता है!

अलग जातियों के मध्य साझा गौत (गोत्र) होने पर भी गौत से क्या लगाव होता है इसकी बानगी देखने को मिली बॉलीवुड एक्टर प्रेम चोपड़ा (खत्री जाति) की नीरज चोपड़ा भाई (रोड़ जाति) को गोल्ड मैडल आने की बधाई देने के लहजे वाली वीडियो से| चोपड़ा गौत चार जातियों में साझा है रोड़, खत्री, जाट व् बाल्मीकि दलित| ऐसे ही खत्री एक जाति है तो दूसरी तरफ जाटों में खत्री एक गौत है|


यह एक सुखद अहसास है, यह होना भी चाहिए| इसमें कई लोग जातिवाद ढूंढते नजर आए; परन्तु यह भावना भिन्न जाति-गोतों के मध्य अगर ऊपर दिए उदाहरण की तरह इन अंतरों को मिटाती है तो सुखद है; बशर्ते इसका पता लगने पर भी यह भावनाएं ना बदलें तो|

मेरे दादा-दादी ने मुझे यही सिखाया कि जाति-धर्म अलग होने पर भी गौत के प्यार का लगाव नहीं बदलता व् धर्म अलग होने पर भी जाति का लगाव नहीं बदलता| मेरा गौत मलिक (गठवाला) है, जाति से जाट हूँ; परन्तु मलिक खत्री जाति में भी होता है, चमार जाति में भी व् मुस्लिम धर्म में गौत के साथ-साथ मलिक टर्की, फारस के खलीफाओं की उपाधि भी होती है|

कोई हँसे तो हँसे, परन्तु दादा-दादी की शिक्षा का इतना प्रभाव था कि स्टूडेंट लाइफ में लड़कियों से दोस्ती करते वक़्त, मैं गौत सबसे पहले देखता था; मलिक गौत की किसी भी जाति-धर्म की हुई तो बहन, अन्यथा दोस्त| आज भी किसी भी महिला से प्रोफेशनल-सोशल वजहों से जुड़ना होता है तो पहले झटके पीहर व् ससुराल के गौत पूछता हूँ; पीहर की मलिक हुई तो बहन/भतीजी/बुआ (उम्र के हिसाब से), ससुराल की मलिक हुई तो भाभी या आंटी; बाकी अन्य अपनी आपसी समझ व् आदर के अनुसार आंटी, बहन जी, दीदी, मैडम या सीधा नाम से बुलाना|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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