Monday 1 November 2021

टिकैत साहब व् अन्य किसान नेता फिर से सरकार को खिला रहे हैं या?

यह दो कदम पीछे हटते दिखने का मतलब बड़ी तैयारी है या कोई झिझक?


तैयारी है तो चिंता ही नहीं परन्तु झिझक है तो उसके लिए तमाम संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अपने पुरखों की नीतियों व् सोच का अध्ययन कर लें; झिझक स्वत: दूर होती चली जाएगी! ज्यादा पीछे के इतिहास में नहीं जाऊंगा, अन्यथा दर्जनों उदाहरण बादशाहों-राजाओं से कृषि अधिकारों की लड़ाइयों बाबत खापों व् मिशलों की तारीखों में विद्यमान हैं| हम अगर 20वीं सदी से भी शुरू कर लें तो पर्याप्त प्रेरणा व् मार्गदर्शन के उदाहरण मौजूद हैं:

1 - याद करें चाचा सरदार अजित सिंह जी को, जो गुलाम देश होते हुए भी सन 1907 में 9 महीने लगातार आंदोलन चला, अंग्रेजों से ऐसे ही काले बिल वापिस करवा के माने थे|
2 - याद करें सर छोटूराम को, जिन्होनें मुख्यत: तीनों धर्मों (हिन्दू-मुस्लिम-सिख) के किसानों को धार्मिक भावना की कमजोरी व् दब्बूपन से ऊपर उठा, तब के यूनाइटेड पंजाब में लगातार निर्बाध 25 साल निर्बाध सरकार चलाई| याद करें कि सर छोटूराम ने क्यों 1921 के असहयोग आंदोलन से खुद को वापिस हटा लिया था?
3 - याद करें, सरदार प्रताप सिंह कैरों को, कैसे तब फंडियों से लड़ के फंडियों के बीच बेख़ौफ़ सरकारें चलाई!
4 - याद करें, चौधरी चरण सिंह को, कैसे कर्तव्य-परायणता के आगे एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री तक को जेल में डालने से नहीं हिचके थे|
5 - याद करें, कि कैसे बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने शुक्रताल, मुज़फ्फरनगर की घटना में फंडी धर्मांधों को उनकी औकात दिखाई थी|

और अगर इतने भर से काम नहीं चलता और धर्म नाम की पीड़ में ना उलझ गए हों तो माइथोलॉजी ही याद कर लें कि कैसे इसमें किसान जाट को शिवजी भोले का रूप बताया गया है| उसी शिवजी भोले का रूप, जो जब ब्रह्मा व् विष्णु से जनता व् समाज अनियंत्रित हो जाते हैं (जैसे कि आज हुई पड़ी है) तो शिवजी तांडव पर उतर उसको आर्डर में लाते हैं| बस आप भी यही काम कर रहे हैं, कोई धर्महानि या धर्महीनता नहीं| बस धर्म वालों के आगे यह शिवजी भोले वाला तर्क पब्लिकली बोल के आगे अड़ा दें (इस एक लाइन से सम्पूर्ण फंडी काबू आ जाएगा), फिर देखें वह आपको कौनसे धर्म की हानि की दुहाई देंगे? अपितु ऐसे भावनाओं में उलझा कर ऐसे लोग ना सिर्फ किसान-मजदूर की हानि कर रहे हैं अपितु सम्पूर्ण मानवता के दुश्मन साबित हो रहे हैं|

यह जड़बुद्धि, कुबुद्धि, मूढ़मति व् स्वकेन्द्रित लोग हैं, इनको इतनी अक्ल नहीं है कि इनसे गलती हो गई है तो पीछे कदम खींच लें; इनको शिवजी भोले की भांति साइड करके, चीजें आर्डर में लानी होती ही हैं| अन्यथा यह यूँ उलटे नहीं हटेंगे चाहे इनको गद्दी ही क्यों ना गंवानी पड़े|

इसलिए बेझिझक आगे बढिये, व् अब असली अस्त्र यानि "आर्थिक असहयोग" को इस्तेमाल कीजिये व् अपना किरदार सार्थक कीजिए|

जय यौधेय! - फूल मलिक

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