Saturday 6 November 2021

स्वघोषित कंधों से ऊपर मजबूतों की मजबूती तड़काता "किसान आंदोलन" पार्ट-2

आज रोहतक में रोहतक सांसद अरविन्द शर्मा तड़क गया और तालिबानी अंदाज में बड़बड़ाया "मनीष ग्रोवर के तरफ आँख उठेगी तो आँख निकाल लेंगे, हाथ उठेंगे तो हाथ तोड़ देंगे, छोड़ेंगे नहीं"|
अच्छा जी खट्टर ने थारी धोळी की जमीन खोस (छीन) ली, बिगाड़ लिया कुछ उसका? फरसे से काटने यह थमनें दौड़ लिए; फिर भी इतना याराना? दीन-ईमान-मान-अक्ल सब बेचें फ़िरों हो कती?
रै बावले ब्रह्मा-विंष्णु वालो अपनी लिमिट पहचानो, सामने शिवजी है तीसरी आँख खोले; नहीं जीत पाओगे यूँ आँख दिखा के तो कभी नहीं; थारे पुरखे कभी जीते हों इस अंदाज से तो थम जीतोगे|
मैं तो अक्सर कहता ही रहा हूँ कि इनका तथाकथित ज्ञान व् बुद्धि तभी तक survive करते हैं जब तक किसान/जमींदार मैदान में नहीं आन उतरते| किसानों ऐसे ही दादा महाराज सूरजमल की भांति शांति धारे धरना देते रहो; यह अरविन्द शर्मा तो ऐसे हवा होगा जैसे इसके पुरखे पूणे पेशवा सदाशिवराव भाऊ को पानीपत की तीसरी लड़ाई में दादा महाराज सूरजमल ने ऐसे ही बिना हथियार उठाये धूल चटवा दी थी| इनकी तरफ तो भर के आँख लखा दो इतना ही बहुत है| अब देख लो कल एक माफ़ी ही तो मंगवाई थी किलोई में, थर्र-थर्र काँप के लगे बड़बड़ाने|
अपने पुरखों के "तीसरी आँख खोले शांति धारे रूप की ताकत पर" भरोसा रखना; इहसे-इहसे तो इतने में ही बह जायेंगे| थारे पुरखों की उस पानीपत की तीसरी लड़ाई से स्थापित वह कहावत कभी मत छोड़ना जो कहती है कि "जाट को सताया तो ब्राह्मण भी पछताया"|
कुछ दिन पहले खट्टर, "लठैत तैयार करवाने की बड़बड़ा के" अपनी तथाकथित कंधे से ऊपर की मजबूती के घमंड का पलीता निकलवा चुका और आज यह इंसान भी|
आप लोग जीत चुके हो, इसका अंदाजा इसी बात से लगा लो कि जो लोग हरयाणा में 35 बनाम 1 रचने के पीछे रहे हैं व् कभी राजकुमार सैनी तो कभी रोशनलाल आर्यों जैसों को आगे करके स्वघोषित बुद्धिमान बनते रहे हैं आज आप लोगों के तप ने इनको एक-एक करके सबको बिलों से बाहर आने पर मजबूर कर दिया है| जरा ठहर के किसान वीरो, देखने दो अभी तो इनकी स्वघोषित कंधे से ऊपर की मजबूती पूरे विश्व को|
बाकी किसान वह कौम है जो अपने घर फूंक के चूहों के आँख कर दिया करे| अगर यह भी स्थिति आई तो पंजाब के सिख भाई भलीभांति बता देंगे कि उन पर 1984 करने वाले आज कितने बचे हैं पंजाब में|
और दूसरा अपनी गलती ठीक कर लो, इन फंडियों पे ऐसी लकीर मार दो कि फंडी बनाम नॉन-फंडी में घिर के रह जाएँ यह|
जय यौधेय! - फूल मलिक

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