Friday 1 September 2023

उत्तर-पश्चिमी भारत व् बाकी के भारत की "सामाजिक न्याय की लड़ाई" अलग प्रकार व् स्तर की रही हैं!

इसको कुछ यूँ समझें:

1) क्या वजह है कि वर्णवाद, छूत-अछूत की लड़ाई लड़ने वाले राष्ट्रीय महानायक साउथ इंडिया से आते हैं? जैसे कि महात्मा ज्योतिबा फूले, बाबा आम्बेडकर व् पेरियार स्वामी जी| क्यों नहीं यह लड़ाई लड़ने वाला इनके स्तर का कोई लीडर नार्थ इंडिया या कहें कि उत्तर-पश्चिमी भारत से हुआ? इनका साउथ इंडिया से होना, व् ऐतिहासिक दस्तावेजों के रिकार्ड्स भी इस बात को स्थापित व् सत्यापित करते हैं कि चाहे "गले में हांडी व् कमर पर झाड़ू लटका के चलने के अत्याचार रहे हों या बाबा आंबेडकर को तालाब से पानी नहीं पीने देने के या महात्मा ज्योतिबा फूले जी द्वारा शिक्षा के अलख जगाने पे उन पर व् उनकी पत्नी पर गोबर-कीचड़ फेंकने के मामले हों; यह साउथ इंडिया में उच्च स्तर के थे; माने की प्रकाष्ठा की अति होने वाले स्तर के थे| 

2) उत्तर-पश्चिमी भारत से हुआ तो सर छोटूराम हुए, जिन्होनें सामाजिक न्याय की अपेक्षा आर्थिक न्याय की लड़ाई ज्यादा लड़ी| यानि यहाँ सामाजिक न्याय की समस्या इतनी बड़ी नहीं थी, शायद खापों की व्यवस्था पहले से ही समानांतर में होने के चलते? जो थी भी तो फंडियों के बहकावे में आने वाले कुछ लोगों के चलते थी, वरना यहाँ के मूल में यह समस्या नहीं रही कही जा सकती है| इसका मजन "मेवात दंगों में खापों के स्टैंड" से भी समझा जा सकता है कि यह लोग जुल्म-की व्यापकता व् अति को कतई बर्दास्त नहीं करते, इसीलिए तो मेवात में खापें, मुस्लिमों के साथ खड़ी हुई| 

3) क्यों दलित-ओबीसी भाईयों को वर्णवाद, छूत-अछूत की लड़ाई लड़ने वाले महानायकों में कोई उत्तर-पश्चिम भारत से महात्मा ज्योतिबा फूले, बाबा आम्बेडकर व् पेरियार स्वामी जी जितना बड़ा चेहरा नहीं मिलता? आप जिस किसी भी छूत-अछूत, वर्णवाद विरोधी कार्यक्रम के पोस्टर देखें; उनमें मुख्यत; इन्हीं तीन महानायकों के चेहरे मिलते हैं| 


जय यौधेय! - फूल मलिक

No comments: