Sunday, 31 August 2025

दिल्ली–दोआब में ज़मींदारी : असली मालिक कौन?

 दिल्ली–दोआब में ज़मींदारी : असली मालिक कौन?

यह आर्टिकल मुग़ल–ब्रिटिश दौर के असली राजस्व रेकॉर्ड और गज़ेटियर पर आधारित है । इससे ये साफ़ होगा कि जाट ही असली ज़मींदार, किसान, चौधरी और मालिक थे – बाक़ी जातियाँ सिर्फ़ “दरबारी, पुजारी या भाड़े के सैनिक”।
(मूल स्रोतों के आधार पर एक ऐतिहासिक विवेचना )
🔹 1. #मुग़ल काल (#अकबर का दौर – 1595)
अकबर के नवरत्न अबुल फ़ज़ल ने अपनी किताब आइने अकबरी (Ain-i-Akbari, 1595) में लिखा है:
दिल्ली–आगरा–मथुरा–मेरठ–रोहतक के इलाक़ों में खेती करने वाली प्रमुख जाति जाट थी।
इन्हें “बाग़ी, हठी और लगान न देने वाले” कहा गया।
कई परगनों का राजस्व सीधा जाट चौधरियों के पास जाता था, बीच में कोई #राजपूत या #ब्राह्मण जमींदार नहीं।
> स्रोत: Ain-i-Akbari, Vol. II (1595 Persian text with English translation by H. Blochmann, Asiatic Society of Bengal, 1873)
🔹 2. मुग़ल रेकॉर्ड में जाटों का ज़िक्र
फ़ारसी दस्तावेज़ों में जाटों को “#मालगुज़ार” (जमीन पर कर देने वाले) और कई जगह “चौधरी” लिखा गया।
#औरंगज़ेब के दौर (मआसिर-ए-आलमगिरी) में साफ़ ज़िक्र है कि जाटों ने लगान देने से मना कर दिया और फ़ौजें भेजकर भी ऊँहे दबाया नहीं जा सका।
🔹 3. #ब्रिटिश काल (1803–1857)
जब 1803 में दिल्ली ब्रिटिश के हाथ में आयी तो अंग्रेज़ों ने रेवेन्यू सेटलमेंट किया।
Delhi, #Rohtak, #Gurgaon, #Meerut, #Muzaffarnagar के गज़ेटियर में लिखा है:
“The Jats are the principal landholding community.”
दिल्ली और रोहतक के गाँवों में अधिकांश ज़मींदार और खेत मालिक जाट चौधरी थे।
राजपूत और ब्राह्मण छोटे जोत वाले या #मज़दूरी/#पुजारी वर्ग में दर्ज किए गए।
> स्रोत: Gazetteer of the Delhi District (1883–84), Gazetteer of the Rohtak District (1884), Gazetteer of the Gurgaon District (1883)
🔹 4. दिल्ली के आस-पास के जाट गाँव
1857 से पहले दिल्ली क्षेत्र में जाटों की बस्तियाँ और खापें –
पालम 360 खाप (सोलंकी, तोमर, गैहलोत ,पंवार,शेहरावत ,ड़बास, मान, राना , शयोकिन आदि)
अलीपुर, बवाना, नरेला, नजफ़गढ़ – बड़े जाट ज़मींदार
रोहतक–सोनीपत–भिवानी बेल्ट – यहाँ जाट ही खेतिहर और गाँव चौधरी थे।
🔹 5. असली निष्कर्ष
1. पहला #किसान – जाट
2. पहला #ज़मींदार – जाट
3. पहला #चौधरी – जाट
4. पहला #पहलवान/#खिलाड़ी - जाट
5. पहला #राजा - जाट
6. पहला बाग़ी (मुग़लों और अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़) – जाट
7. बाक़ी जातियाँ या तो दरबार की गुलामी करती थीं या पुजारी।
इसलिए जो लोग कहते हैं कि “जाटों के पास ज़मीन नहीं थी”, वह या तो इतिहास पढ़े बिना बोलते हैं या फिर झूठी जातिवादी कहानी गढ़ते हैं।
असलियत यह है कि 1857 से बहुत पहले से ही दिल्ली–दोआब का ज़मींदार सिर्फ़ और सिर्फ़ जाट ही था।
सरकार ऑफ दिल्ली - जाट
सरकार ऑफ़ संभल - जाट
सरकार ऑफ सहारान पुर - जाट



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