इतिहासकार David E. Ludden के अनुसार, जाटों ने सिंध और पश्चिमी पंजाब से उत्तर की ओर आकर, 11वीं से 16वीं शताब्दी में सूखे स्थानों को खेती योग्य बनाया और कृषिप्रधान जमीन पर अपना कब्ज़ा बनाया।
H.A. ROSE “भूमि-स्वामी और स्वतंत्र कृषक के रूप में कोई भी जाति जाट की बराबरी नहीं कर सकती। जाट स्वयं को ‘ज़मींदार’ अर्थात ‘भूमि का पालनकर्ता’ कहता है।”
लड़ाकू क्षमता और सामुदायिक संगठन
ब्रिटिश स्रोत बताते हैं कि जाटों को ‘‘मार्शल रेस’’ (martial race) के रूप में वर्गीकृत किया गया — अर्थात् लड़ाकू क्षमता,लड़ाई में किसी अपने को मौत के सामने छोड़कर कभी भी पीठ न दिखाना। दुर्गम इलाकों में सक्रियता और सेना-भर्ती में उनका प्रमुख स्थान था।
C. A. Bayly का विश्लेषण यह दिखाता है कि जाटों की राजनीतिक शक्ति निर्माण में उनकी "peasant-warrior groups" के रूप में उदय-प्रक्रिया महत्वपूर्ण रही। 
जाटों ने सिर्फ गाँव-खेती तक सीमित न रहकर सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से सक्रिय भूमिका निभाई।
अनेक शोध बताते हैं कि जाट-समुदाय ने अलग-अलग धर्मों (हिंदू, सिख, मुस्लिम) में अपना हिस्सा लिया। जिसने उन्हें विभिन्न सामाजिक-धार्मिक परिवेशों में अनुकूल बनने की क्षमता दी। 
यह गुण जाट समुदाय के सामाजिक-लचीलेपन और सामुदायिक सहिष्णुता को चिन्हित करता है।
बेली बताते हैं कि जाट समुदाय ऐसा था जहाँ ब्राह्मण बहुत कम थे, और पुरुष जाट अपनी मेहनत और बेहतर पारिवारिक व्यवस्था के चलते अपनी जेनेटिक श्रृंखला से अच्छी जीवनसाथी पाता था। 
जाटों की सक्रियता जाति-भेदों की बारीक गिनती के बजाय एक तरह की “कुल-राष्ट्रीयता (tribal nationalism)” से प्रेरित थी, जाट अच्छी फसल,अच्छे दूध,अच्छे वंश के लिए किसी ईश्वर से अधिक अपनी मेहनत और खुद पर भरोसा रखता था। इसीलिए जाट की भूमिका ब्राह्मणवादी हिन्दू राज्य CONTEXT में स्पष्ट नहीं थी।
James Tod— Annals and Antiquities of Rajasthan “The Zott or Jat tribe — this very original race…”
एरिक स्टोक्स “जाटों की सीधी खेती-स्वामित्व प्रणाली में किसी किरायेदार (tenant) वर्ग का अस्तित्व नहीं था।”
स्टोक्स बताते हैं कि जाटों के खेत-प्रबंधन में “मालिक-किसान” की परंपरा थी, जहाँ वे खुद खेती करते थे।किसी और पर निर्भर नहीं रहते थे। यह उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता और श्रम-सम्मान का संकेत है।
भविष्य में जाट को खेत के साथ कंप्यूटर में भी महारत हासिल करनी होगी।
खेल के साथ नए इन्वेंशन में भी आगे बढ़ना होगा।
एजुकेशन को डॉक्टर्स,वैज्ञानिक,इन्वेस्टर्स बनने के लिए बहुत सीरियस लेना होगा।
DNA की वैल्यू को समझते हुए जेनेटिक श्रृंखला का ख्याल रखना होगा। 
वास्तविक जट्ट
 
 
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