ये बात कोई गुज्जर जी नहीं बोला आज तक ???
ये बात कोई अहिर जी नहीं बोला आज तक ???
ये बात कोई ब्राह्मण जी नहीं बोला आज तक ???
ये बात कोई बनिया जी, कुम्हार जी, चमार जी, खाती जी, नाई जी, तेली जी etc... नहीं बोला आज तक ????
तो फिर आपको क्या जरूरत है यह बोलने की????
वैसे भी intercaste marriage के दुष्परिणाम भी बहुत भयानक हो सकते हैं, जैसे ताजा चल रही भरतपुर जाट रियासत वाले प्रिंस की बयानबाजी| होती जो उसकी माँ एक ही जाति की, वह काट जाता इतनी बदजुबानी, दो रहपटे मारती उसके मुंह पे; या इतना तो टोकती ही कि क्या बक रहे हो?
इसलिए, इस विषय पर या तो साड़ी जातियों के अग्रणी एक स्टेज पे आ के, एक-एक करके अपनी-अपनी जाति बता के यह intercaste marriage के समर्थन के बयान को जारी करें, अन्यथा आपको अकेलों को क्या चूल मची रहती है; ऐसे विषयों पर बोलने की? Neutral रहना ऐसे मुद्दों पर सर्वहितकारी है, ना आप इसके पक्ष में बोलो व् ना विपक्ष में; और हमने तो देखा भी यही है| जब आज तक कोई भी खाप पंचायत इसके विपक्ष में बोली ही नहीं है तो आप भी मत बोलो; इतने से बात खत्म| जनता में जिसके यहाँ intercaste marriage का सूत बैठता है वह करता-करवाता रहे; यह आपका विषय कैसे हो सकता है; वही बात तब जब तक, ऊपर जहाँ से बात शुरू की है, वह ना हो?
एक और बात, परसेंटेज के अनुपात के हिसाब से success-rate की बात करो तो एक ही जाति की शादियों की सलफता का रेट ज्यादा रहा है| होती होंगी intercaste marriage भी कामयाब परन्तु ऐसी शादियों को अपने कल्चर-किनशिप को कायम रखते हुए कामयाब करना डबल जोखिम का काम रहता है; कोई ऐसे को कामयाब कर ले तो कर भी ले, अन्यथा परिणाम भरतपुर रियासत वाले प्रिंस के रूप में अति दुष्कर व् भयंकर भी होते हैं intercaste marriage के; जो कभी बोलता है कि मैं जाट हूँ ही नहीं, मैं तो फलानों से अपनी लेन जोड़ता हूँ तो कभी बोलता है कि अलानी-फलानि सेना बुला के जाटों को पिटवा दूंगा तो अगर ऐसी शादियों की वकालत करते हो तो मैं रिपोर्ट कर रहा हूँ आपको; लो इस भरतपुर वाले प्रिंस की बदजुबानी का संज्ञान|
जय यौधेय! - फूल मलिक
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