बीजेपी की स्टेट-सेण्टर में सरकार होते हुए बीजेपी मना कर देती तो इस अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में ना डिबेट होनी थी ना वोटिंग लेकिन जैसे इन पर देश की जनता को ट्रेंड करने का भूत सवार हो, जनता में 99% को पता था कि यह प्रस्ताव गिरेगा ही गिरेगा फिर भी होने दिया| इसके 3 मायने मुख्यत: निकाले जा सकते हैं:
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Wednesday, 10 March 2021
हरयाणा समेत तमाम इंडिया के लोगों की साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग करता "हरयाणा विधानसभा अविश्वास प्रस्ताव" गिरना!
Friday, 5 March 2021
कैसा लग रहा है फंडियों को अंगीकार करके, इनके यहाँ अपनी "peace of mind" गिरवी रख के?
लेख का निचोड़: सामाजिक दंड से समाज को अनुशासित रखने वाले, रोजगार की धमकियां दे के समाज को काबू रखने वाले वर्णवादी फंडियों के हत्थे चढ़े हुए हैं|
Wednesday, 3 March 2021
ये जो थारे खंडकों और डोगे वाले चौधरी थे ना, फद्दू नहीं थे वो!
कभी भैंस को कुरड़ियों पे या कचरे के ढेरों पर कचरा खाते देखा है? गाय को देखा है ना? - जिस दिन फंडियों की मान गाय में माता की जगह सिर्फ जानवर देखना शुरू कर दोगे, उस दिन गाय की भी भैंस जैसी स्थिति होगी|
खुद आतंकवाद की जड़ अलगाववाद पालते हो और खुद ही अलगाववादी व् आतंकवादियों से डरते हो; यार गज़ब घंटाल हो तुम!
अलगाववाद व् अलगाववादी से नफरत करते हो ना?
Tuesday, 2 March 2021
क्या मुस्लिमों में भी खाप होती हैं?
Monday, 1 March 2021
किसान आंदोलन को टैकल करने हेतु फंडी ला रहे हैं FPC नाम का पैंतरा, किसान सावधान!
फंडी प्रोपैगैंडा डिफ्यूज एजेंसी के हवाले से पता लगा है कि अबकी बार मंडियों की बजाए, फंडी, FPC (farmer produce company) को फसल खरीद हेतु मैदान में उतार रहे हैं; जो कि अल्टीमेटली आपसे खरीदे हुए अनाज को अडानी-अम्बानी के गोदामों में पहुंचाने का काम करेंगे, बिचौलियों की तरह| यह आपसे MSP से भी 100-200 रूपये ज्यादा के दाम पर अनाज उठाएंगी, फटाफट आपकी पेमेंट भी करवाएंगी| इससे होगा यह कि किसानों में से जो भी इनके झांसे में आएगा, उसको सरकार के नए कानून लाभकारी प्रतीत होंगे| वाह क्या प्रेशर है किसान आंदोलन का!
Sunday, 28 February 2021
क्या किसान को लस्सी भी 50 रूपये प्रति लीटर नहीं कर देनी चाहिए, यूँ फ्री में पिलाने की बजाए?
ये टैक्स-भरते हैं, टैक्स-भरते हैं चिल्लाने वालों को बता दो कि जितने का तुम टैक्स भरते हो (95% बड़े-बड़े टैक्स चोर भी तुम ही पाए जाते हो) साल में इतने की तो किसान लस्सी पीला देता है फ्री की, गन्ने चूसा देता है फ्री के; वह भी बिना जाति-वर्ण-धर्म देखे| गाम-कस्बों-शहरों के सरकारी स्कूलों के मास्टर-मास्टरनियों, पीएचसी, आंगनवाड़ी, पुलिस थानों से ले शहरों तक में पूछ लो और खुद में झांक लो मुकाबला करेंगे किसान का| मिनिमम वेज एक्ट व् MRP अपने हाथ में रख के तो टैक्स कोई भी भर दे, किसान की तरह MSP लो और फिर दिखाओ भर के टैक्स| बावजूद MSP पे फसल बेचने के पेट्रोल-डीजल से ले बाजार के तमाम उत्पाद व् सर्विसेज पे बराबर से टैक्स किसान भी देता है| तुम जरा एक महीने फ्री की मांगी लस्सी की बजाये खरीद के पी के देख लो, अंदाजा लग जाएगा किसान की इंसानियत व् जिंदादिली का|
Thursday, 25 February 2021
जब तक फंडी के साथ "फंडी बनाम नॉन-फंडी" नहीं करोगे, यह सेल्हे से राह नहीं देने के!
फंडी को सबसे ज्यादा घमंड है कि यह "इस बनाम उस" की लड़ाई-फूट कभी भी करवा सकता है| जब तक इसके साथ आप फंडी बनाम नॉन-फंडी नहीं करोगे, यह बाज नहीं आने वाला| यह तुम्हारी "जियो और जीने दो" की थ्योरी को "आगला शर्मांदा भीतर बड़ गया, बेशर्म जाने मेरे से डर गया" मान के तुम्हें कायर मानते रहेंगे और समाज को यूँ ही "सिंगा माट्टी उठाये" फिरेंगे|
Wednesday, 24 February 2021
चाचा सरदार अजीत सिंह जी की सोच-आंदोलन-क्रांति की ऊंचाई व् गूँज!
चाचा सरदार अजीत सिंह जी बारे बचपन से जानते पढ़ते आए, वह व् सरदार करतार सिंह सराभा, शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की प्रेरणा थे यह भी जानते-बताते आये| परन्तु वह कितने बड़े हुतात्मा थे, उनके किसानी योगदान का, उनकी सोच का कद कितना व्यापक था; इसका आभास इस किसान अंदोलन ने ही करवाया|
Tuesday, 23 February 2021
जमींदारी परिवेश के शहरों में बसे लोगों को कृषि बिलों के नुकसान!
दो दिन पहले हुई बीजेपी की गुड़गाम्मा वर्कर्स मीटिंग में हुई किसान को समझाने की बजाए बहकाने के 2-4 मंत्र देने वाली बात का आउटपुट: मोड्डे गाम-गाम शांति महायज्ञ करेंगे!
सावधान किसानों: बीजेपी की गुड़गाम्मा वर्कर्स मीटिंग का आउटपुट आ गया है, जिसके तहत बीजेपी/आरएसएस ने किसान को कृषि बिल समझा के कन्विंस करने की बजाए बहकाने हेतु अपना पैंतरा फेंक दिया है| इस पैंतरे के तहत बाबे/मोड्डों की ड्यूटी लगाई गई है कि गाम-गाम शांति के लिए हवन-यज्ञ-महायज्ञ करवाओ| यानि किसानों को तथाकथित शांत करने के लिए अब गाम-गाम शांति के महायज्ञों का प्रपंच होगा और लोगों को ओपरी-पराई शक्तियां उन पर चढ़ी होने, गाम पर चढ़ी होने के फंड रचे जायेंगे ताकि जिससे मर्द किसान ना भी डरें तो उनकी औरतें डरें (क्योंकि औरत का हृदय ज्यादा कोमल होता है, ज्यादा संवेदना वाला होता है) व् अपने मर्दों को घरों पर बैठा लें| कल ही मेरे गाम-गुहांडों में मोड्डों की भरी गाड़ियां देखी गई हैं जो 2 मोड्डे प्रति गाम उतारती है और अगले में चली जाती है| उनसे पूछा जाता है तो कहते हैं कि गाम की शांति हेतु गाम में महायज्ञ करेंगे| क्या मजाक व् संवेदनहीनता है यह, किसान के मुद्दों का अब यूँ मजाक बनाया जाएगा कि इन प्रपंचों से इनके हल निकलेंगे/निकालेंगे?
Monday, 22 February 2021
सिख मिसलों की लंगर परम्परा व् खापों की "गाम-खेड़े में कोई भूखा-नंगा ना सोए" में क्या समानता है?
हर इंसान जिन्दा रहे की इंसानियत वाला धर्म पालने व् अपने कमाए में से भी बाँट के खाने की सबसे बड़ी समानता है| इसी वजह से बीते वक्त तक कहावत चलती आई है कि इन क्षेत्र के गामों में कोई भूखा-नंगा नहीं सोता, शायद आज भी बदस्तूर चलन में है यह कहावत| यही इनके दादे खेड़े कहते हैं कि सर्वधर्म व् 36 बिरादरी बराबर हैं| संवेदना के पैमाने पर औरत, मर्द से पहले है; इसीलिए तो खेड़ों पर 100% धोक-ज्योत औरत ही करती है| भीख-भिखारी का कांसेप्ट ही नहीं इनकी आइडियोलॉजी में|
Monday, 8 February 2021
मोदी का छोटा किसान बनाम बड़ा किसान व् MSP!
लेख का निचोड़: सही मायनों में यह आंदोलन है ही छोटे किसान का, सफल हुआ तो इसके सबसे ज्यादा फायदे होने ही छोटे किसान को हैं|