Wednesday 1 July 2015

जाट एकता कर तो लें, परन्तु मुस्लिम और सिख जाट करें तब ना?


मैंने अक्सर यह जवाब उन तथाकथित हिन्दू जाटों के मुख से सुना है जो उदारवादी हैं और जाट की अंतर्धार्मिक एकता के पक्षधर हैं। वो इसके साथ यह भी शिकायत करते हैं कि एक हिन्दू जाट ही क्यों धार्मिक एकता की बात करे, मुस्लिम या सिख जाट क्यों नहीं करता?

वैसे तो यह बात सिख और मुस्लिम जाट के लिए भी ध्यान देने की है, वो आगे आएं और अपनी झिझक या संकोच के कारण समक्ष रखें। परन्तु इसके पीछे एक तथाकथित हिन्दू जाट होने के नाते जो कारण मैं देखता हूँ वो भी काबिले-गौर हो सकते हैं।

1) हमें आज भी हिन्दू धर्म में वो सम्मान और स्थान हासिल नहीं, जिसकी कमी की वजह से हमारे सिख और मुस्लिम भाइयों ने हिन्दू धर्म छोड़ा था। इससे यह दोनों क्या सोचते हों कि हम जाटिस्म के साथ तो एडजस्ट कर लेंगे परन्तु जिस हिन्दू टैग को हम छोड़ चुके, उसको जब हिन्दू जाट, जाटिस्म में साथ लाएंगे तो उसको कैसे एडजस्ट करेंगे? नंबर एक संभावित कारण।

2) सिख और मुस्लिम जाट यह सोचता होगा कि कहीं हिन्दू जाटों के जरिये भावनाओं में डाल हमें वापिस हिन्दू बनाने हेतु तो हिन्दू धर्म वालों द्वारा यह जाट-यूनिटी का नारा नहीं छुड़वाया जा रहा?

3) सिख और जाट एक ही हैं एक ही थे, परन्तु दयानन्द ने सिखों को बरगलाकर कि जाट हुक्का पीते हैं जबकि सिख धर्म में धूम्रपान निषेध है कहकर इनमें दरार डाल दी| हुक्का जाट संस्कृति का प्रमुख अंग रहा है| जाट के टाठ हुक्का और खाट| जाटों में हुक्का पानी समाप्त करना महान दंड माना जाता था|

हो ना हो मेरा सहजबोध तो यही कहता है। अब इस पर हिन्दू जाटों को जाट-एकता आगे बढ़ाने से पहले सिख और मुस्लिम जाट से इस बारे खुलासा करना होगा। क्योंकि जिस वजह से वो इस धर्म को छोड़ चुके हैं उससे उनकी झिझक स्वाभाविक है।

इसका हल यह हो सकता है कि जो हिन्दू धर्म का जाट है वो पहले अपना स्वछंद धर्म घोषित करे यानी शुद्ध जाट मान्यताओं को ही निर्वाहित करता रहे, अथवा हिन्दू धर्म में ही रहते हुए बिश्नोई पंथ की तरह शुद्ध जाट मान्यताओं के साथ अपना अलग पंथ बना ले, अथवा मुस्लिम और सिख जाट को इस बात का आश्वासन देवे कि हम उनकी और हमारी धार्मिक मान्यताओं को कभी भी जाटिस्म के आड़े नहीं आने देंगे।

अत: जाट यूनिटी चाहिए तो पहले यह कम्युनिकेशन गैप्स (communication gaps) खत्म करने होंगे, हर धर्म के जाट के विचार छान के उससे जाट-यूनिटी का एक मिनिमम कॉमन इंट्रेस्ट एजेंडा (minimum common interest agenda) बनाना होगा; तभी जा के धरातल पर अंतर्धार्मिक जाट यूनिटी उतर पायेगी।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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