Monday 17 August 2015

सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों की सरपरस्ती में जंतरमंतर पर पिटते ऑफिसियल राष्ट्रभक्त!

13 सितम्बर 2013 में पीएम कैंडिडेट घोषित होते ही मोदी ने रेवाड़ी (हरयाणा) में 15 सितंबर 2013 को पहली चुनावी रैली "सैनिक सम्मान" के नाम से आयोजित करी और OROP पर बोले कि आते ही सर्वप्रथम इस कार्य को करेंगे। जाहिर सी बात है पीएम कैंडिडेट के नाते सबसे पहली रैली में सबसे पहला वचन भी सैनिकों के लिए दिया तो सबसे पहले पूरा भी यही होना चाहिए था।

परन्तु अब हो क्या रहा है वो जंतरमंतर पर पिछले 65 दिन से धरने पर बैठे सैनिकों की बानगी हम सबको दिख ही रहा है।

कहने को तो बहुत कुछ है इस मुद्दे पर, 5-6 पन्ने तो आराम से लिख सकता हूँ, परन्तु ज्यादा सार्थक जो कहना रहेगा वो यही है कि अभी कल ही पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी हुई है। तो क्यों ना इन सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों की एक छोटी सी परीक्षा हो जाए और ऑफिसियल राष्ट्रभक्तों यानी हमारे सैनिकों की जगह इनको मोर्चा संभालने दिया जाए? नितिन गडकरी, अमित शाह जैसों के तो पेट में ही 100-200 गोली तो यूँ ही पेट पे हाथ फेरते-फेरते ही खप जाएँगी दुश्मन की।

यह सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों को समझना चाहिए कि जिनकी सुरक्षा के साये तले तुम्हारी सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्ति चलती है, उनको इतना बेइज्जत मत होने दो, उनको उनका हक़ दिलवा दो। वह कोई कांग्रेस या आप के लोग नहीं हैं कि जिनकी ना सुनने की घुट्टी पिए बैठे हो| वो इस देश के सैनिक हैं, उनकी आत्मा को तो दुखाने से बख़्श दो।

वो कोई रामबिलास शर्मा वाले अस्थाई टीचर भी नहीं हैं जिनको आते ही एक कलम में पक्का करने के लिखित वादे करने के बाद भी लाठियों के अलावा कुछ ना मिला, वो इस देश के सैनिक (ऑफिसियल राष्ट्रभक्त) हैं। कम से कम उनको तो आम जनता मत समझो।

वैसे भी पीएम साहब को तो एक छोटे से आईडिया से 10-15 हजार करोड़ से ले 27 हजार करोड़ तो यूँ चुटकियों में निकाल लेने आते हैं (यह मैं नहीं कह रहा उनका 2 दिन पहले का लाल किले की मीनार से दिया भाषण कह रहा) तो क्या देश के ऑफिसियल राष्ट्रभक्तों के लिए उनकी तिजोरी में एक 8-10 हजार करोड़ रुपया नहीं?

अरे जब कहीं जनधन योजना तो कहीं गैस-सब्सिडियों से पैसा उगाह के व्यापारियों को दिया जा सकता है तो सैनिकों के मामले में तो जनता से झूठ बोलने की भी जरूरत नहीं। एक बार घोषणा करवा दो कि भारत का हर BPL घर महीने के 20 रूपये, हर मिड्ल क्लास घर 100 रूपये और हर वेल एस्टैब्लिशड घर 500 रुपए OROP के लिए दिया करेगा तो, देखो देश के 34 करोड़ घर, यह 8-10  हजार करोड़ रुपया तो हंसी-हंसी दे देंगे। बदले में ऐसी ही कोई छोटी-मोटी जनधन जैसी बीमा योजना दे देना जनता को।

पर शायद उसके लिए एक सैनिक (ऑफिसियल राष्ट्रभक्त) की देश के लिए क्या कीमत होती है यह समझना पड़ता है| और उसको समझने के लिए शायद सेल्फ-स्टाइल राष्ट्रभक्ति और ऑफिसियल राष्ट्रभक्ति में कितना दिन-रात का अंतर होता है यह समझना और महसूस करना जरूरी होता है। लगता है पीएम साहब ने सेल्फ-स्टाइल राष्ट्रभक्तों को ही ऑफिसियल राष्ट्रभक्त बनाने की वाकई में सोच ली है|

अगर ऐसा हुआ तो फिर कोई बाला जाट जी ही आ के बचाये सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों की आँखों आगे महमूद गजनवी द्वारा होती सोमनाथ की लूट से सोमनाथ को, या फिर कोई रामलाल खोखर ही मार गिराये सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों द्वारा माफ़ कर दिए मोहम्मद गौरी को, या फिर कोई जोगराज गुज्जर और हरवीर गुलिया जाट ही मार भगाने आएगा तैमूर लंग को, या फिर कोई गॉड गोकुला ही जा औरंगजेब की नाक में दम करे उसके लगाए जजिया कर की त्रासदी से त्राहि-त्राहि करते सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्तों को।

खैर पीएम साहब आपको दर्द होता हो या ना होता हो, हम आमजनता से हमारे सैनिकों की यह दुर्दशा नहीं देखी जाती जो आपकी सरकार उनकी कर रही है। वो हमारा सम्मान-घमंड-अभिमान और विश्वास हैं, उस विश्वास को ऐसे तार-तार बेइज्जत करके मत तोड़िये।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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